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Cracking UPSC Mains Through Current Affairs Analysis

करंट अफेयर्स में छिपे UPSC मेन्स के संभावित प्रश्न प्रस्तावना UPSC सिविल सेवा परीक्षा केवल तथ्यों का संग्रह नहीं है, बल्कि सोचने, समझने और विश्लेषण करने की क्षमता की परीक्षा है। प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) तथ्यों और अवधारणाओं पर केंद्रित होती है, लेकिन मुख्य परीक्षा (Mains) विश्लेषणात्मक क्षमता, उत्तर लेखन कौशल और समसामयिक घटनाओं की समझ को परखती है। यही कारण है कि  करंट अफेयर्स UPSC मेन्स की आत्मा माने जाते हैं। अक्सर देखा गया है कि UPSC सीधे समाचारों से प्रश्न नहीं पूछता, बल्कि घटनाओं के पीछे छिपे गहरे मुद्दों, नीतिगत पहलुओं और नैतिक दुविधाओं को प्रश्न में बदल देता है। उदाहरण के लिए, अगर अंतरराष्ट्रीय मंच पर जलवायु परिवर्तन की चर्चा हो रही है, तो UPSC प्रश्न पूछ सकता है —  “भारत की जलवायु नीति घरेलू प्राथमिकताओं और अंतरराष्ट्रीय दबावों के बीच किस प्रकार संतुलन स्थापित करती है?” यानी, हर करंट इवेंट UPSC मेन्स के लिए एक संभावित प्रश्न छुपाए बैठा है। इस लेख में हम देखेंगे कि हाल के करंट अफेयर्स किन-किन तरीकों से UPSC मेन्स के प्रश्न बन सकते हैं, और विद्यार्थी इन्हें कैसे अपनी तै...

09 April 2025 Current Affairs in Hindi

 UPSC Current Affairs : April 2025

1-"नमामि गंगे" परियोजना की शुरुआत के एक दशक बाद इसकी उपलब्धियों और चुनौतियों की समीक्षा करें।

(Review the achievements and challenges of the Namami Gange Project a decade after its launch.)


उत्तर का प्रारूप:

परिचय:

"नमामि गंगे" योजना वर्ष 2014 में प्रारंभ की गई थी। इसका उद्देश्य गंगा नदी को स्वच्छ, अविरल और निर्मल बनाना है। यह भारत सरकार की एक फ्लैगशिप परियोजना है जो पर्यावरण मंत्रालय, जल शक्ति मंत्रालय और अन्य निकायों के सहयोग से संचालित होती है।


प्रमुख उपलब्धियाँ (Achievements):

  1. जल शुद्धिकरण संयंत्रों की स्थापना:
    अब तक 195 से अधिक STPs (Sewage Treatment Plants) स्वीकृत किए गए हैं, जिनमें से कई कार्यशील हैं।

  2. औद्योगिक अपशिष्ट प्रबंधन:
    1,100 से अधिक प्रदूषक उद्योगों की निगरानी की जा रही है और गंगा में अवैध अपशिष्ट छोड़े जाने की घटनाओं में गिरावट आई है।

  3. घाट विकास एवं सौंदर्यीकरण:
    हरिद्वार, वाराणसी, प्रयागराज जैसे प्रमुख तीर्थस्थलों पर 150+ घाटों का निर्माण/पुनर्निर्माण किया गया है।

  4. नदी सतह की सफाई:
    रिवर स्किमर मशीनों द्वारा नदी की सतह से टन के हिसाब से कचरा हटाया गया।

  5. जैव विविधता संरक्षण:
    गंगा डॉल्फिन, कछुए आदि जलजीवों के संरक्षण हेतु विशेष कार्यक्रम चलाए गए हैं।

  6. जनभागीदारी व जागरूकता:
    "गंगा उत्सव", "गंगा रन", "गंगा एंबेसेडर" जैसे अभियानों से लोगों की भागीदारी बढ़ी है।


प्रमुख चुनौतियाँ (Challenges):

  1. सीवेज उपचार संयंत्रों की क्षमता से कम संचालन:
    कई STPs अभी तक पूर्ण क्षमता से नहीं चल रहे हैं या तकनीकी समस्याओं से जूझ रहे हैं।

  2. ग्रामीण क्षेत्रों में नालीकरण की कमी:
    छोटे शहरों और गांवों में सीवेज नेटवर्क का अभाव अभी भी एक बड़ी बाधा है।

  3. जनसंख्या दबाव और शहरीकरण:
    गंगा किनारे बढ़ती जनसंख्या और शहरी फैलाव से प्रदूषण लगातार बढ़ रहा है।

  4. औद्योगिक अपशिष्ट का अवैध निस्तारण:
    कुछ उद्योग अब भी अपशिष्ट को गुपचुप तरीके से नदी में बहा रहे हैं।

  5. राज्यों के बीच समन्वय की कमी:
    उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल में प्रशासनिक तालमेल की कमी देखी गई है।

  6. फंड का उपयोग और पारदर्शिता:
    परियोजना के लिए आवंटित बजट का पूरा उपयोग नहीं हो पाया है और निगरानी तंत्र में पारदर्शिता की आवश्यकता है।


निष्कर्ष:

"नमामि गंगे" ने गंगा को पुनर्जीवित करने की दिशा में सकारात्मक पहल की है और कुछ क्षेत्रों में उल्लेखनीय प्रगति भी हुई है। किंतु दीर्घकालिक सफलता के लिए तकनीकी दक्षता, प्रशासनिक सहयोग, पारदर्शिता और जन भागीदारी को और मजबूत करना होगा। साथ ही, इसे "नदी घाटी प्रबंधन" की व्यापक दृष्टि से भी जोड़ना आवश्यक है।



2-“भारत और फ्रांस के बीच हुई रक्षा डील भारत की समुद्री शक्ति को किस प्रकार सुदृढ़ करती है?” – का विश्लेषणात्मक उत्तर दीजिए। संपादकीय लेख व अन्य संभावित प्रश्न के लिए यहां क्लिक कीजिए👈


उत्तर:

भारत और फ्रांस के बीच हाल ही में हुआ ₹63,000 करोड़ का रक्षा समझौता, जिसमें भारतीय नौसेना के लिए 26 राफेल मरीन फाइटर जेट की खरीद की गई है, भारत की समुद्री शक्ति को सुदृढ़ करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह सौदा भारत की रक्षा नीति, समुद्री रणनीति और अंतरराष्ट्रीय संबंधों में नए आयाम जोड़ता है।


1. समुद्री शक्ति में रणनीतिक बढ़त:

  • राफेल मरीन जेट्स अत्याधुनिक तकनीक से लैस हैं, जो हवा से समुद्र में हमले और बहुस्तरीय निगरानी में सक्षम हैं।
  • इनकी तैनाती से भारतीय नौसेना की ऑफशोर डिटेरेंस (Offshore Deterrence) क्षमता में वृद्धि होगी।

2. विमानवाहक पोत की क्षमता में वृद्धि:

  • इन लड़ाकू विमानों को भारत के स्वदेशी विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रांत पर तैनात किया जाएगा।
  • इससे नौसेना की मल्टी-डोमेन ऑपरेशन की क्षमता में उल्लेखनीय इजाफा होगा।

3. हिंद-प्रशांत क्षेत्र में प्रभाव:

  • चीन की बढ़ती समुद्री गतिविधियों के बीच यह सौदा भारत को हिंद-प्रशांत क्षेत्र में शक्ति संतुलन बनाए रखने में मदद करेगा।
  • भारत की “सिक्योरिटी एंड ग्रोथ फॉर ऑल इन द रीजन (SAGAR)” नीति को बल मिलेगा।

4. फ्रांस के साथ रणनीतिक साझेदारी:

  • यह डील भारत और फ्रांस के बीच मजबूत होते रक्षा संबंधों को दर्शाती है।
  • इससे भारत को दीर्घकालिक तकनीकी सहयोग और ट्रेनिंग समर्थन भी प्राप्त होगा।

5. आत्मनिर्भरता की दिशा में योगदान:

  • डील में संभावित टेक्नोलॉजी ट्रांसफर और रख-रखाव के स्वदेशीकरण से भारत की आत्मनिर्भरता को बढ़ावा मिलेगा।
  • रक्षा उत्पादन में घरेलू कंपनियों की भागीदारी बढ़ेगी।

निष्कर्ष:

यह रक्षा समझौता न केवल नौसेना की युद्ध क्षमता को नई ऊँचाइयों पर ले जाएगा, बल्कि भारत की समुद्री नीति, रणनीतिक संतुलन और अंतरराष्ट्रीय कूटनीति में भी प्रभावशाली भूमिका निभाएगा। यह सौदा भारत को एक वैश्विक समुद्री शक्ति के रूप में उभारने की दिशा में मील का पत्थर साबित हो सकता है।



3-भारत द्वारा पक्षियों से मानवों में फैलने वाली बीमारियों पर किए जा रहे अध्ययन के आलोक में "वन हेल्थ" दृष्टिकोण की प्रासंगिकता पर चर्चा करें।

(Discuss the relevance of the "One Health" approach in light of India’s study on bird-to-human disease transmission.)


उत्तर का प्रारूप:

परिचय:

हाल ही में भारत सरकार ने सिक्किम, तमिलनाडु और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में पक्षियों से मानवों में फैलने वाली बीमारियों (Zoonotic Diseases) पर अध्ययन शुरू किया है। यह कदम "वन हेल्थ" (One Health) दृष्टिकोण के महत्व को रेखांकित करता है, जो मानव, पशु और पर्यावरणीय स्वास्थ्य को एकीकृत रूप में देखता है।


वन हेल्थ दृष्टिकोण क्या है?

"वन हेल्थ" एक अंतरराष्ट्रीय मान्यता प्राप्त रणनीति है जो मानती है कि मानव स्वास्थ्य, पशु स्वास्थ्य और पारिस्थितिकीय स्वास्थ्य परस्पर जुड़े हुए हैं। इसका उद्देश्य समन्वित, बहु-क्षेत्रीय और बहु-अनुशासनात्मक प्रयासों के माध्यम से संक्रमणों की रोकथाम और प्रबंधन करना है।


प्रासंगिकता (Relevance) – पक्षीजनित बीमारियों के सन्दर्भ में:

  1. नवीन और पुनः उभरती बीमारियाँ:
    बर्ड फ्लू, एवियन इन्फ्लुएंजा जैसी बीमारियाँ मानव समाज को महामारी की ओर ढकेल सकती हैं। "वन हेल्थ" दृष्टिकोण इनके शुरुआती पहचान और नियंत्रण में सहायक है।

  2. प्रभावी निगरानी और डेटा साझाकरण:
    पशुपालन, पर्यावरण, और स्वास्थ्य विभागों के बीच सहयोग से संक्रामक रोगों की निगरानी और पूर्व चेतावनी प्रणाली सशक्त बनती है।

  3. रोगों का क्रॉस-स्पीशीज़ ट्रांसमिशन रोकना:
    वन्यजीवों, घरेलू पशुओं और इंसानों के बीच संपर्क बढ़ने से संक्रमण की आशंका बढ़ती है। वन हेल्थ दृष्टिकोण इनसे निपटने के लिए नीति और प्रोटोकॉल विकसित करता है।

  4. प्राकृतिक आपदाओं और जलवायु परिवर्तन का प्रभाव:
    पर्यावरणीय असंतुलन से रोगजनक जीवों का प्रसार बढ़ता है। वन हेल्थ में पर्यावरणीय डेटा के माध्यम से इन प्रभावों की बेहतर समझ विकसित की जाती है।

  5. COVID-19 जैसे वैश्विक उदाहरण:
    कोविड महामारी ने यह स्पष्ट कर दिया कि जब तक मानव, पशु और पर्यावरणीय स्वास्थ्य को एक साथ नहीं देखा जाएगा, महामारी का खतरा बना रहेगा।


भारत की पहलें (भारत में One Health की दिशा में प्रयास):

  • "राष्ट्रीय वन हेल्थ मिशन" (प्रस्तावित)
  • ICAR, ICMR, MoEF और स्वास्थ्य मंत्रालय के बीच सहयोग
  • राष्ट्रीय पशु रोग नियंत्रण कार्यक्रम (NADCP)
  • पशु और मानव स्वास्थ्य प्रयोगशालाओं का एकीकरण

निष्कर्ष:

"वन हेल्थ" दृष्टिकोण आज की वैश्विक स्वास्थ्य चुनौतियों से निपटने का एकमात्र टिकाऊ समाधान है। भारत द्वारा पक्षीजनित रोगों पर किया जा रहा अध्ययन इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जो भविष्य की महामारियों की रोकथाम हेतु नीति निर्माण में आधार बन सकता है। इस दृष्टिकोण को राष्ट्रीय नीति, अनुसंधान, शिक्षा और प्रशासन में पूर्णतः एकीकृत करना समय की माँग है।




4-भारत में ग्रामीण महिलाओं की श्रम भागीदारी में वृद्धि के क्या कारण हैं? इस परिवर्तन के सामाजिक और आर्थिक प्रभावों पर चर्चा करें।

(What are the reasons behind the increase in rural women's labor force participation in India? Discuss the social and economic impacts of this change.)


परिचय:

2023-24 के आंकड़ों के अनुसार भारत में ग्रामीण महिलाओं की श्रम भागीदारी दर (Labor Force Participation Rate - LFPR) बढ़कर 47.6% हो गई है, जो कि एक उल्लेखनीय सामाजिक-आर्थिक परिवर्तन का संकेत है। पहले यह दर 2017-18 में 24-26% के आसपास थी।


भागीदारी में वृद्धि के कारण (Reasons for Increase):

  1. महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (MGNREGA):

    • महिलाओं को स्थानीय स्तर पर रोजगार उपलब्ध कराने में इस योजना की बड़ी भूमिका रही है।
  2. स्वयं सहायता समूहों (Self Help Groups - SHGs) का विस्तार:

    • ग्रामीण महिलाओं की वित्तीय और सामाजिक सशक्तिकरण में SHGs ने सक्रिय भूमिका निभाई है।
  3. ग्रामीण क्षेत्रों में डिजिटल साक्षरता और शिक्षा में सुधार:

    • डिजिटल प्लेटफॉर्म पर कार्य करने की क्षमता बढ़ने से नई नौकरियों तक पहुँच आसान हुई है।
  4. कोविड-19 के बाद प्रवृत्त बदलाव:

    • महामारी के कारण परिवारों की आय में गिरावट आई, जिससे महिलाएँ भी आजीविका में सक्रिय रूप से जुड़ने लगीं।
  5. महिलाओं के लिए कौशल विकास कार्यक्रम:

    • सरकार और गैर-सरकारी संस्थाओं द्वारा सिलाई, बुनाई, खाद्य प्रसंस्करण, डेयरी आदि में प्रशिक्षण देने से आत्मनिर्भरता बढ़ी।
  6. उद्यमिता में वृद्धि:

    • महिला किसान उत्पादक संगठनों (FPOs), छोटे व्यवसायों और ऑनलाइन बिक्री प्लेटफॉर्म से महिलाएँ रोजगारदाता भी बन रही हैं।

सामाजिक प्रभाव (Social Impact):

  1. महिलाओं की सामाजिक स्थिति में सुधार:

    • आय अर्जन से निर्णय-निर्माण में भागीदारी बढ़ी है और पारिवारिक स्तर पर सम्मान भी।
  2. लिंग आधारित पूर्वाग्रहों में कमी:

    • महिलाओं को ‘आश्रित’ न मानकर ‘सहयोगी’ माना जाने लगा है।
  3. लड़कियों की शिक्षा पर सकारात्मक प्रभाव:

    • कामकाजी माताओं के कारण बालिकाओं की शिक्षा को परिवार में अधिक महत्व दिया जा रहा है।
  4. स्वास्थ्य और पोषण में सुधार:

    • आय बढ़ने से परिवार खासकर बच्चों के पोषण और स्वास्थ्य सेवाओं में निवेश संभव हुआ है।

आर्थिक प्रभाव (Economic Impact):

  1. ग्रामीण अर्थव्यवस्था में मजबूती:

    • अधिक कार्यबल के कारण उत्पादन और उत्पादकता में वृद्धि हुई है।
  2. घरेलू आय में सुधार:

    • महिला आय से परिवार की आर्थिक स्थिरता और बचत दर में वृद्धि होती है।
  3. स्थानीय स्तर पर उद्यमिता का विकास:

    • महिलाएँ स्वयं सहायता समूहों या घरेलू उद्योगों के माध्यम से रोजगार सृजन में सहायक हो रही हैं।
  4. विकास में समावेशिता:

    • महिला श्रम शक्ति की भागीदारी से समावेशी और संतुलित आर्थिक विकास संभव होता है।

निष्कर्ष:

ग्रामीण महिलाओं की श्रम भागीदारी में वृद्धि न केवल एक आर्थिक संकेतक है बल्कि यह सामाजिक बदलाव का भी प्रतीक है। इस प्रवृत्ति को स्थायी बनाए रखने के लिए संरचित श्रम बाजार, सुरक्षित कार्य वातावरण, बाल देखभाल सुविधाएँ और लैंगिक समानता पर आधारित नीतियाँ आवश्यक हैं। इससे भारत को समावेशी विकास के लक्ष्यों की प्राप्ति में सहायता मिलेगी।


5-रेसिप्रोकल टैरिफ़ पर विराम: वैश्विक व्यापार को स्थिरता की सांस?

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा 90 दिनों के लिए रेसिप्रोकल टैरिफ़ को स्थगित करने की घोषणा न केवल वैश्विक आर्थिक परिदृश्य में अचानक आए तूफान को कुछ समय के लिए थामने जैसा है, बल्कि यह अंतरराष्ट्रीय व्यापार राजनीति में रणनीतिक पुनर्विचार की ओर भी संकेत करता है। इस कदम ने न केवल शेयर बाजारों को राहत दी, बल्कि कांग्रेस में राजनीतिक तनाव को भी कुछ हद तक शांत किया।

रेसिप्रोकल टैरिफ़, मूलतः "जैसा व्यवहार वैसा शुल्क" की नीति है, जिसमें अमेरिका उन देशों पर समान या अधिक शुल्क लगाता है जो अमेरिकी वस्तुओं पर टैरिफ लगाते हैं। ट्रम्प प्रशासन का यह तर्क रहा है कि अमेरिका लंबे समय से व्यापारिक असंतुलन झेलता आया है, और यह नीति 'फेयर ट्रेड' सुनिश्चित करेगी। परंतु इस नीति की आलोचना भी हुई – इसे संरक्षणवाद की ओर वापसी और वैश्विक आपूर्ति शृंखला के लिए खतरे के रूप में देखा गया।

90 दिनों की यह स्थगन अवधि, विशेष रूप से उस समय आई जब चीन के खिलाफ टैरिफ़ दर 125% कर दी गई, यह स्पष्ट करता है कि अमेरिका चीन के साथ व्यापार युद्ध को तेज करना चाहता है, जबकि अन्य सहयोगी देशों के लिए अपने रुख को कुछ समय के लिए लचीला बना रहा है।

बॉन्ड बाजार में आई अस्थिरता, डॉलर की बढ़ती मजबूती और घरेलू राजनीतिक दबाव इस फैसले के पीछे प्रमुख कारक रहे। आर्थिक विश्लेषकों का मानना है कि यदि अमेरिका अपनी टैरिफ नीति में लचीलापन नहीं लाता, तो इससे वैश्विक व्यापार मंदी, मुद्रास्फीति और निवेश प्रवाह में असंतुलन पैदा हो सकता है।

भारत के लिए यह अवसर और चेतावनी दोनों है। एक ओर, अमेरिका-चीन व्यापार तनाव के चलते भारत अपने निर्यात में वृद्धि कर सकता है, वहीं दूसरी ओर, अमेरिका द्वारा 'रेसिप्रोकल' शब्द का उपयोग भारत पर भी समान टैरिफ का दबाव बना सकता है।

निष्कर्षतः, यह टैरिफ विराम अमेरिका के लिए रणनीतिक संतुलन बनाने का प्रयास है, जो वैश्विक व्यापार में विश्वास बहाल करने का मौका देता है। लेकिन स्थायी समाधान के लिए बहुपक्षीय संवाद, WTO जैसी संस्थाओं की पुनर्बहाली और समावेशी आर्थिक दृष्टिकोण की आवश्यकता बनी रहेगी।

9 अप्रैल 2025 UPSC करंट अफेयर्स आधारित क्विज़ दिए गए हैं (Prelims स्तर के संभावित प्रश्न)। 
प्रत्येक टॉपिक से जुड़े 2 बहुविकल्पीय प्रश्न (MCQs) शामिल हैं।


1. नमामि गंगे परियोजना

Q1. ‘नमामि गंगे’ कार्यक्रम के संदर्भ में निम्नलिखित में से कौन-सा/से कथन सही है/हैं?

1. यह केवल उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश में लागू किया गया है।

2. इसका उद्देश्य गंगा नदी को अविरल, निर्मल और जैवविविधतायुक्त बनाना है।

3. इसमें गंगा डॉल्फिन संरक्षण को भी सम्मिलित किया गया है।

कूट:
A) केवल 2
B) केवल 2 और 3
C) केवल 1 और 2
D) 1, 2 और 3

उत्तर: B

Q2. निम्न में से कौन-सी एजेंसी नमामि गंगे परियोजना के क्रियान्वयन में शामिल नहीं है?
A) जल शक्ति मंत्रालय
B) पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय
C) ISRO
D) राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन

उत्तर: C

2. भारत-फ्रांस रक्षा डील

Q3. हाल ही में भारत द्वारा फ्रांस से खरीदे जा रहे राफेल मरीन विमानों को किस भारतीय युद्धपोत पर तैनात किया जाएगा?
A) INS विराट
B) INS विक्रांत
C) INS विक्रमादित्य
D) INS अरिहंत

उत्तर: B

Q4. भारत और फ्रांस के रक्षा सहयोग का क्या प्रमुख उद्देश्य है?
A) हिंद महासागर में चीन की गतिविधियों का संतुलन
B) एंटी-टेररिज्म ऑपरेशन
C) मछली पालन सहयोग
D) UN शांति मिशन

उत्तर: A

3. वन हेल्थ दृष्टिकोण

Q5. ‘वन हेल्थ’ दृष्टिकोण के संदर्भ में निम्नलिखित में से कौन-सा कथन असत्य है?
A) यह केवल मानव स्वास्थ्य पर केंद्रित रणनीति है।
B) यह मानव, पशु और पर्यावरण स्वास्थ्य के बीच संबंध को मान्यता देता है।
C) इसका उद्देश्य संक्रामक रोगों की रोकथाम हेतु समन्वित प्रयास करना है।
D) यह COVID-19 जैसी महामारियों के रोकथाम में सहायक है।

उत्तर: A

Q6. भारत में वन हेल्थ के क्रियान्वयन हेतु किस संगठन को शामिल नहीं किया गया है?
A) ICMR
B) ICAR
C) NASA
D) पर्यावरण मंत्रालय

उत्तर: C

4. ग्रामीण महिलाओं की श्रम भागीदारी

Q7. ग्रामीण महिलाओं की श्रम भागीदारी में हालिया वृद्धि के लिए कौन-सा/से कारण उत्तरदायी हैं?

1. MGNREGA

2. स्वयं सहायता समूह

3. डिजिटल साक्षरता

4. कृषि सब्सिडी

कूट:
A) केवल 1 और 2
B) केवल 3 और 4
C) 1, 2 और 3
D) सभी सही

उत्तर: C

Q8. ग्रामीण महिलाओं की श्रम भागीदारी बढ़ने से कौन-से प्रभाव देखे गए हैं?
A) परिवार की आय में वृद्धि
B) बालिकाओं की शिक्षा में गिरावट
C) पोषण स्तर में सुधार
D) A और C दोनों

उत्तर: D

5. रेसिप्रोकल टैरिफ

Q9. रेसिप्रोकल टैरिफ नीति का मुख्य उद्देश्य क्या है?
A) व्यापार घाटा बढ़ाना
B) संरक्षणवाद को बढ़ावा देना
C) वैश्विक व्यापार नियमों को सरल बनाना
D) निर्यात को हतोत्साहित करना

उत्तर: B

Q10. अमेरिका द्वारा 90 दिनों का रेसिप्रोकल टैरिफ विराम देने के क्या संभावित वैश्विक प्रभाव हो सकते हैं?
A) वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में स्थिरता
B) शेयर बाजार में अस्थिरता
C) WTO की भूमिका समाप्त
D) वैश्विक निवेश में गिरावट

उत्तर: A

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✍️ARVIND SINGH PK REWA

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IAS संतोष वर्मा का विवादित बयान – जब आरक्षण की आड़ में बेटियों को “दान” की वस्तु बना दिया गया नमस्कार साथियों, कभी-कभी एक वाक्य इतना शक्तिशाली होता है कि वह पूरे समाज की धड़कनें बदल देता है। आईएएस संतोष वर्मा का हालिया बयान बिल्कुल ऐसा ही था—चिंगारी की तरह फेंका गया और पलक झपकते ही आग बन गया। उन्होंने कहा— “जब तक ब्राह्मण अपनी बेटी मेरे बेटे को दान नहीं देगा, तब तक आरक्षण जारी रहना चाहिए।” इस एक वाक्य ने पूरे मध्यप्रदेश की राजनीति, समाज और प्रशासन को हिला दिया। सड़कें गरम, सोशल मीडिया उफान पर, और सरकार ने तत्काल कार्रवाई करते हुए उन्हें निलंबित कर दिया। लेकिन इस विवाद के शोर में एक बहुत महत्वपूर्ण सवाल दब गया— क्या अंतरजातीय विवाह वास्तव में सामाजिक बराबरी का सटीक पैमाना हैं? विवाद का संक्षिप्त लेकिन पूरा घटनाक्रम 23 नवंबर 2025 – भोपाल, अंबेडकर मैदान। अनुसूचित जाति-जनजाति अधिकारी-कर्मचारी संघ (AJAKS) की बैठक में नए अध्यक्ष संतोष वर्मा भाषण दे रहे थे। आरक्षण पर बहस के बीच उन्होंने “रोटी-बेटी संबंध” का जिक्र किया—जो कई नेता पहले भी करते रहे हैं। लेकिन आगे जो कहा, वही विस...

Fatima Bosch Fernández and Miss Universe Controversy: A New Global Debate on Gender Respect and Dignity

फ़ातिमा बोश फ़र्नांडीज़ और मिस यूनिवर्स विवाद: गरिमा, लैंगिक सम्मान और वैश्विक विमर्श का नया अध्याय भूमिका मिस यूनिवर्स जैसी प्रतियोगिताएँ अक्सर ग्लैमर और मनोरंजन की सुर्खियों तक सीमित मानी जाती हैं, लेकिन वर्ष 2025 की विजेता फ़ातिमा बोश फ़र्नांडीज़ के इर्द-गिर्द उभरा घटनाक्रम इससे कहीं अधिक व्यापक सामाजिक संदेश देता है। केवल कुछ दिन पहले एक प्रभावशाली अधिकारी द्वारा कैमरे के सामने “ dumb ” कहकर उनका अपमान किया गया। किंतु परिणाम घोषित होते ही वही महिला—दृढ़, शांत और आत्मविश्वासी—वैश्विक मंच पर सौंदर्य से अधिक सम्मान और सहनशक्ति का प्रतीक बनकर उभरी। यह विवाद केवल एक मॉडल की व्यक्तिगत यात्रा नहीं है; यह लैंगिक गरिमा , सार्वजनिक भाषा की मर्यादा , कार्यस्थल में शक्ति असमानता , और महिला-सम्मान से जुड़ी व्यापक समस्याओं को उजागर करता है। UPSC के दृष्टिकोण से यह घटना सामाजिक-नैतिक मूल्यों , महिला अधिकारों , और सार्वजनिक संस्थानों की जवाबदेही जैसे बड़े विमर्शों से जुड़ी है। घटना का सार 16 नवंबर 2025 को आयोजित मिस यूनिवर्स प्रतियोगिता के दौरान एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि फ़ातिमा “du...

Temple–Mosque Dispute: Path to Resolution or Escalation of Tensions?

मंदिर–मस्जिद विवाद: समाधान का मार्ग या तनाव का विस्तार? एक समग्र विश्लेषण परिचय भारतीय समाज में धार्मिक स्थलों को लेकर उत्पन्न होने वाले विवाद कोई नई बात नहीं हैं। इतिहास, आस्था और राजनीति—इन तीनों के संगम पर खड़े ऐसे मुद्दे अक्सर समाज को विचार-विमर्श और टकराव, दोनों की ओर ले जाते हैं। हाल ही में पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (एएसआई) के पूर्व क्षेत्रीय निदेशक के.के. मुहम्मद ने एक इंटरव्यू में सुझाव दिया है कि धार्मिक विवादों को अयोध्या, मथुरा और ज्ञानवापी जैसे तीन स्थलों तक सीमित रखा जाए। उन्होंने ताजमहल के “हिंदू मूल” के दावों को पूरी तरह खारिज करते हुए चेताया कि नए और आधारहीन दावे सामाजिक तनाव को और बढ़ाएँगे। उनका यह बयान ऐसे समय में आया है जब देश के कई हिस्सों में धार्मिक स्थलों को लेकर अदालती कार्यवाहियाँ जारी हैं और जनमत निरंतर विभाजित हो रहा है। यह लेख इसी पृष्ठभूमि में यह समझने का प्रयास करता है कि क्या और अधिक विवाद उठाना न्याय की ओर बढ़ना होगा या केवल तनाव को ही बढ़ाएगा। ऐतिहासिक संदर्भ भारत का इतिहास धार्मिक संरचनाओं के निर्माण–विध्वंस और पुनर्निर्माण की घटनाओं से भरा पड़ा...

DynamicGK.in: Rural and Hindi Background Candidates UPSC and Competitive Exam Preparation

डायनामिक जीके: ग्रामीण और हिंदी पृष्ठभूमि के अभ्यर्थियों के सपनों को साकार करने का सहायक लेखक: RITU SINGH भारत जैसे विविधतापूर्ण देश में प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी एक चुनौतीपूर्ण यात्रा है, खासकर उन अभ्यर्थियों के लिए जो ग्रामीण इलाकों से आते हैं या हिंदी माध्यम से शिक्षा प्राप्त कर चुके हैं। अंग्रेजी-प्रधान संसाधनों की भरमार में हिंदी भाषी छात्रों को अक्सर कठिनाई होती है। ऐसे में dynamicgk.in जैसी वेबसाइट एक वरदान साबित हो रही है। यह न केवल सामान्य ज्ञान (जीके) और समसामयिक घटनाओं पर केंद्रित है, बल्कि ग्रामीण और हिंदी पृष्ठभूमि के युवाओं के सपनों को साकार करने में विशेष रूप से सहायक भूमिका निभा रही है। इस लेख में हम समझेंगे कि यह प्लेटफॉर्म कैसे इन अभ्यर्थियों की मदद करता है। हिंदी माध्यम की पहुंच: भाषा की बाधा को दूर करना ग्रामीण भारत में अधिकांश छात्र हिंदी माध्यम से पढ़ते हैं, लेकिन अधिकांश प्रतियोगी परीक्षा संसाधन अंग्रेजी में उपलब्ध होते हैं। dynamicgk.in इस कमी को पूरा करता है। वेबसाइट का अधिकांश कंटेंट हिंदी में उपलब्ध है, जो हिंदी भाषी अभ्यर्थियों को सहज रूप से समझने में मद...

India’s Strong Economic Momentum: A Comprehensive Analysis of Q2 FY26 GDP Growth Amid Global Challenges

भारत की सुदृढ़ आर्थिक प्रगति: वैश्विक चुनौतियों के बीच Q2 FY26 की GDP वृद्धि का विश्लेषण भारत की अर्थव्यवस्था ने एक बार फिर अपनी अंतर्निहित मजबूती का परिचय दिया है। वित्त वर्ष 2025-26 (FY26) की दूसरी तिमाही के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) के आंकड़े इस तथ्य को मजबूती से रेखांकित करते हैं कि वैश्विक अनिश्चितताओं—विशेषकर अमेरिकी व्यापार शुल्कों—के बावजूद भारत की विकास गति प्रभावशाली बनी हुई है। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) द्वारा जारी प्रारंभिक अनुमानों के अनुसार, वास्तविक GDP वृद्धि 8.2% तक पहुँच गई, जो पिछले वर्ष की समान तिमाही के 5.6% और चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही के 7.8% से स्पष्ट रूप से अधिक है। यह छह तिमाहियों में सर्वाधिक वृद्धि है, जो भारत की आर्थिक संरचना की सहनशीलता और नीति-निर्माण की तत्परता को दर्शाती है। क्षेत्रीय प्रदर्शन: विकास का आधारभूत ढाँचा Q2 FY26 की वृद्धि का स्रोत व्यापक और बहुआयामी रहा। विनिर्माण, निर्माण और सेवाओं—इन तीनों क्षेत्रों ने मिलकर विकास को न केवल मजबूत आधार दिया, बल्कि संतुलन भी सुनिश्चित किया। 1. विनिर्माण—स्वदेशी उत्पादन का उभार विनिर्माण क्षे...

Parasocial Relationships in the AI Era: Why Cambridge’s 2025 Word of the Year Signals a New Social Reality

पैरासोशल संबंधों का उदय—डिजिटल युग का नया सामाजिक संकट कैम्ब्रिज डिक्शनरी द्वारा वर्ष 2025 के लिए “parasocial” शब्द को वर्ड ऑफ द ईयर घोषित किया जाना मात्र भाषाई घटना नहीं, बल्कि हमारे समय के सामाजिक परिवर्तन का दस्तावेज़ है। यह उस युग की स्वीकृति है जहाँ मनुष्य का गहनतम संबंध किसी जीवित व्यक्ति से नहीं, बल्कि एक एल्गोरिदम या स्क्रीन पर दिखने वाली हस्ती से बन रहा है। एकतरफा घनिष्ठता की जड़ें 1956 में हॉर्टन और वोल ने पैरासोशलिटी को उस भ्रमपूर्ण संबंध के रूप में परिभाषित किया जहाँ दर्शक किसी मीडिया हस्ती के प्रति घनिष्ठता महसूस करता है, जबकि वह हस्ती उससे पूर्णतः अनजान रहती है। तब यह अनुभव रेडियो और टीवी तक सीमित था—एकतरफा, पर नियंत्रित। परन्तु आज यह अवधारणा नियंत्रण से बाहर जा चुकी है। AI ने पैरासोशल संबंधों को नया रुप दिया कैम्ब्रिज डिक्शनरी ने इस वर्ष एक साहसिक कदम उठाते हुए पैरासोशल की परिभाषा में AI और बड़े भाषा मॉडल्स के साथ बनने वाले भावनात्मक लगाव को भी शामिल कर लिया है। यह निर्णय बताता है कि तकनीक अब केवल उपकरण नहीं, बल्कि रिश्तों का विकल्प बन चुकी है। Replika, Charact...

UPSC 2024 Topper Shakti Dubey’s Strategy: 4-Point Study Plan That Led to Success in 5th Attempt

UPSC 2024 टॉपर शक्ति दुबे की रणनीति: सफलता की चार सूत्रीय योजना से सीखें स्मार्ट तैयारी का मंत्र लेखक: Arvind Singh PK Rewa | Gynamic GK परिचय: हर साल UPSC सिविल सेवा परीक्षा लाखों युवाओं के लिए एक सपना और संघर्ष बनकर सामने आती है। लेकिन कुछ ही अभ्यर्थी इस कठिन परीक्षा को पार कर पाते हैं। 2024 की टॉपर शक्ति दुबे ने न सिर्फ परीक्षा पास की, बल्कि एक बेहद व्यावहारिक और अनुशासित दृष्टिकोण के साथ सफलता की नई मिसाल कायम की। उनका फोकस केवल घंटों की पढ़ाई पर नहीं, बल्कि रणनीतिक अध्ययन पर था। कौन हैं शक्ति दुबे? शक्ति दुबे UPSC सिविल सेवा परीक्षा 2024 की टॉपर हैं। यह उनका पांचवां  प्रयास था, लेकिन इस बार उन्होंने एक स्पष्ट, सीमित और परिणामोन्मुख रणनीति अपनाई। न उन्होंने कोचिंग की दौड़ लगाई, न ही घंटों की संख्या के पीछे भागीं। बल्कि उन्होंने “टॉपर्स के इंटरव्यू” और परीक्षा पैटर्न का विश्लेषण कर अपनी तैयारी को एक फोकस्ड दिशा दी। शक्ति दुबे की UPSC तैयारी की चार मजबूत आधारशिलाएँ 1. सुबह की शुरुआत करेंट अफेयर्स से उन्होंने बताया कि सुबह उठते ही उनका पहला काम होता था – करेंट अफेयर्...