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Cracking UPSC Mains Through Current Affairs Analysis

करंट अफेयर्स में छिपे UPSC मेन्स के संभावित प्रश्न प्रस्तावना UPSC सिविल सेवा परीक्षा केवल तथ्यों का संग्रह नहीं है, बल्कि सोचने, समझने और विश्लेषण करने की क्षमता की परीक्षा है। प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) तथ्यों और अवधारणाओं पर केंद्रित होती है, लेकिन मुख्य परीक्षा (Mains) विश्लेषणात्मक क्षमता, उत्तर लेखन कौशल और समसामयिक घटनाओं की समझ को परखती है। यही कारण है कि  करंट अफेयर्स UPSC मेन्स की आत्मा माने जाते हैं। अक्सर देखा गया है कि UPSC सीधे समाचारों से प्रश्न नहीं पूछता, बल्कि घटनाओं के पीछे छिपे गहरे मुद्दों, नीतिगत पहलुओं और नैतिक दुविधाओं को प्रश्न में बदल देता है। उदाहरण के लिए, अगर अंतरराष्ट्रीय मंच पर जलवायु परिवर्तन की चर्चा हो रही है, तो UPSC प्रश्न पूछ सकता है —  “भारत की जलवायु नीति घरेलू प्राथमिकताओं और अंतरराष्ट्रीय दबावों के बीच किस प्रकार संतुलन स्थापित करती है?” यानी, हर करंट इवेंट UPSC मेन्स के लिए एक संभावित प्रश्न छुपाए बैठा है। इस लेख में हम देखेंगे कि हाल के करंट अफेयर्स किन-किन तरीकों से UPSC मेन्स के प्रश्न बन सकते हैं, और विद्यार्थी इन्हें कैसे अपनी तै...

China’s Rapid Nuclear Weapons Expansion and Modernization: Strategic Shift and Global Security Implications

चीन की परमाणु हथियारों की तीव्र वृद्धि और आधुनिकीकरण: बदलते वैश्विक सामरिक संतुलन का संकेत भूमिका 21वीं सदी के तीसरे दशक में वैश्विक सुरक्षा परिदृश्य एक बार फिर परमाणु हथियारों की छाया में प्रवेश करता दिखाई दे रहा है। शीत युद्ध की समाप्ति के बाद यह माना गया था कि परमाणु हथियारों की भूमिका क्रमशः सीमित होगी, किंतु हाल के वर्षों में यह धारणा तेजी से कमजोर हुई है। विशेष रूप से चीन की परमाणु क्षमता में हो रही तीव्र वृद्धि और आधुनिकीकरण ने अंतरराष्ट्रीय रणनीतिक विमर्श को नए सिरे से झकझोर दिया है। स्वतंत्र अनुसंधान संस्थानों और रक्षा विश्लेषकों के अनुसार, चीन आज वह परमाणु शक्ति बन चुका है, जिसकी हथियार वृद्धि की गति विश्व में सबसे तेज़ है। यह लेख चीन की परमाणु शक्ति के विस्तार, उसके पीछे के कारणों, आधिकारिक चीनी दृष्टिकोण तथा वैश्विक और क्षेत्रीय निहितार्थों का समग्र एवं विश्लेषणात्मक अध्ययन प्रस्तुत करता है। चीन की परमाणु क्षमता: वर्तमान परिदृश्य दिसंबर 2025 तक उपलब्ध आकलनों के अनुसार, चीन के पास लगभग 600 परमाणु वारहेड्स हैं। यह संख्या भले ही अमेरिका और रूस के विशाल भंडार से कम हो, किं...

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Aung San Suu Kyi’s Health in Detention: Myanmar Junta Claims vs Family Concerns Ahead of Controversial Elections

आंग सान सू की की स्वास्थ्य स्थिति: सत्ता, चुप्पी और मानवीय चिंता के बीच म्यांमार म्यांमार की राजनीति में आंग सान सू की केवल एक व्यक्ति नहीं, बल्कि लोकतांत्रिक संघर्ष का प्रतीक रही हैं। नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित, दशकों तक सैन्य शासन का शांतिपूर्ण प्रतिरोध करने वाली यह नेता आज स्वयं सैन्य जुंटा की हिरासत में हैं—और उनकी स्वास्थ्य स्थिति को लेकर फैली अनिश्चितता म्यांमार की सत्ता-प्रणाली की संवेदनहीनता और अपारदर्शिता को उजागर करती है। हिरासत में एक प्रतीक का मौन फरवरी 2021 के सैन्य तख्तापलट के बाद से आंग सान सू की सार्वजनिक जीवन से पूर्णतः अदृश्य हैं। 80 वर्ष की आयु में, विभिन्न मामलों में सुनाई गई कुल 27 वर्षों की सजा ने उन्हें न केवल राजनीतिक रूप से अलग-थलग कर दिया है, बल्कि मानवीय दृष्टि से भी अत्यंत असुरक्षित स्थिति में डाल दिया है। वर्षों से न तो उनका कोई सार्वजनिक संदेश सामने आया है और न ही किसी स्वतंत्र स्रोत ने उनकी वास्तविक स्थिति की पुष्टि की है। यही मौन अब चिंता का विषय बन गया है—विशेषकर तब, जब उम्र और पूर्व स्वास्थ्य समस्याएं (हृदय संबंधी दिक्कतें, निम्न रक्तचाप आदि)...

One China Policy & Strategic Ambiguity: The Taiwan Strait Crisis Explained

One China Policy, Strategic Ambiguity और ताइवान स्ट्रेट में उभरता संकट (अमेरिका–चीन–ताइवान संबंधों का एक एकीकृत भू-राजनीतिक विश्लेषण) भूमिका: एक द्वीप, अनेक वैश्विक तनाव अंतरराष्ट्रीय राजनीति में कुछ भू-क्षेत्र ऐसे होते हैं जो अपने भौगोलिक आकार से कहीं अधिक रणनीतिक भार वहन करते हैं। ताइवान ऐसा ही एक द्वीप है—जिसकी भौगोलिक स्थिति सीमित, किंतु राजनीतिक, आर्थिक और वैचारिक प्रासंगिकता वैश्विक है। 21वीं सदी में जब विश्व व्यवस्था बहुध्रुवीयता की ओर बढ़ रही है और अमेरिका–चीन प्रतिद्वंद्विता वैश्विक राजनीति की केंद्रीय धुरी बन चुकी है, तब ताइवान केवल एक क्षेत्रीय विवाद नहीं रह जाता, बल्कि वैश्विक शक्ति-संतुलन, तकनीकी प्रभुत्व और वैचारिक संघर्ष का प्रतीक बन जाता है। इस त्रिकोणीय संबंध को समझने के लिए दो अवधारणाएँ निर्णायक हैं— One China Policy और Strategic Ambiguity । दशकों तक इन दोनों ने युद्ध को टालने और Status Quo बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। किंतु हालिया घटनाएँ, विशेषकर 18 दिसंबर 2025 को अमेरिका द्वारा ताइवान को 11.1 अरब डॉलर की हथियार बिक्री , यह संकेत देती हैं कि यह संतुलन...

DynamicGK.in: Rural and Hindi Background Candidates UPSC and Competitive Exam Preparation

डायनामिक जीके: ग्रामीण और हिंदी पृष्ठभूमि के अभ्यर्थियों के सपनों को साकार करने का सहायक लेखक: RITU SINGH भारत जैसे विविधतापूर्ण देश में प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी एक चुनौतीपूर्ण यात्रा है, खासकर उन अभ्यर्थियों के लिए जो ग्रामीण इलाकों से आते हैं या हिंदी माध्यम से शिक्षा प्राप्त कर चुके हैं। अंग्रेजी-प्रधान संसाधनों की भरमार में हिंदी भाषी छात्रों को अक्सर कठिनाई होती है। ऐसे में dynamicgk.in जैसी वेबसाइट एक वरदान साबित हो रही है। यह न केवल सामान्य ज्ञान (जीके) और समसामयिक घटनाओं पर केंद्रित है, बल्कि ग्रामीण और हिंदी पृष्ठभूमि के युवाओं के सपनों को साकार करने में विशेष रूप से सहायक भूमिका निभा रही है। इस लेख में हम समझेंगे कि यह प्लेटफॉर्म कैसे इन अभ्यर्थियों की मदद करता है। हिंदी माध्यम की पहुंच: भाषा की बाधा को दूर करना ग्रामीण भारत में अधिकांश छात्र हिंदी माध्यम से पढ़ते हैं, लेकिन अधिकांश प्रतियोगी परीक्षा संसाधन अंग्रेजी में उपलब्ध होते हैं। dynamicgk.in इस कमी को पूरा करता है। वेबसाइट का अधिकांश कंटेंट हिंदी में उपलब्ध है, जो हिंदी भाषी अभ्यर्थियों को सहज रूप से समझने में मद...

From MGNREGA to VB-G RAM G: India’s Shift from Rights-Based Rural Employment to a Development Mission

मनरेगा से ‘विकसित भारत–जी राम जी’ तक: ग्रामीण रोजगार नीति में अधिकार से मिशन की ओर बदलाव भूमिका ग्रामीण भारत में रोजगार की गारंटी केवल आजीविका का प्रश्न नहीं रही है, बल्कि यह सामाजिक न्याय, गरिमा और राज्य की कल्याणकारी भूमिका का प्रतीक भी रही है। वर्ष 2005 में लागू महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) ने पहली बार ग्रामीण नागरिकों को काम का कानूनी अधिकार प्रदान किया। अब, दो दशकों के बाद, केंद्र सरकार विकसित भारत गारंटी फॉर रोजगार एंड अजीविका मिशन (ग्रामीण) विधेयक, 2025 के माध्यम से इस व्यवस्था को समाप्त कर एक नई योजना लागू करने की तैयारी में है। यह बदलाव केवल प्रशासनिक नहीं, बल्कि वैचारिक और राजनीतिक स्तर पर भी गहरे प्रभाव डालने वाला है। सरकार की सोच: कल्याण से विकास की ओर सरकार का दावा है कि मनरेगा ने गरीबी उन्मूलन में योगदान दिया, लेकिन समय के साथ यह योजना कई संरचनात्मक समस्याओं से घिर गई। खोदो-भरो जैसे अस्थायी कार्य, परिसंपत्तियों की कमजोर गुणवत्ता, भुगतान में देरी और भ्रष्टाचार—इन सबने योजना की प्रभावशीलता को सीमित किया। इसी पृष्ठभूमि में वीबी-जी र...

Ram V. Sutar: The End of an Era in Indian Sculpture and Cultural Heritage

राम वी. सुतार: शिल्प में राष्ट्र को गढ़ने वाले एक युग का अंत भारतीय कला और सांस्कृतिक चेतना के इतिहास में कुछ नाम ऐसे होते हैं, जिनका जाना केवल एक व्यक्ति का अवसान नहीं होता, बल्कि एक पूरे युग का पटाक्षेप होता है। 17 दिसंबर 2025 की मध्यरात्रि ऐसा ही एक क्षण लेकर आई, जब विश्वविख्यात मूर्तिकार पद्म भूषण राम वनजी सुतार ने नोएडा स्थित अपने निवास पर अंतिम सांस ली। सौ वर्षों से अधिक की जीवन यात्रा में उन्होंने न केवल मूर्तियों का निर्माण किया, बल्कि पत्थर, कांस्य और धातु के माध्यम से भारत की आत्मा को आकार दिया। राम वी. सुतार का जीवन इस बात का उदाहरण है कि साधारण परिस्थितियों से निकलकर असाधारण ऊँचाइयों को कैसे छुआ जा सकता है। महाराष्ट्र के धुले जिले के तत्कालीन गोंदूर गाँव में जन्मे सुतार का प्रारंभिक जीवन अभावों में बीता, किंतु कला के प्रति उनकी साधना ने उन्हें मुंबई के प्रतिष्ठित सर जे.जे. स्कूल ऑफ आर्ट तक पहुँचाया, जहाँ उन्होंने स्वर्ण पदक प्राप्त कर अपनी प्रतिभा की अमिट छाप छोड़ी। यही वह क्षण था, जब एक ग्रामीण बालक भारत का भविष्य का महान शिल्पी बनने की ओर अग्रसर हुआ। 1950 के दशक में...

Rohingya Crisis Explained: From Historical Roots in Myanmar to the Genocide Case at the International Court of Justice

रोहिंग्या संकट: इतिहास की परछाइयों से अंतरराष्ट्रीय न्याय के कटघरे तक इतिहास कभी अचानक घटित नहीं होता। वह धीरे-धीरे बनता है—सदियों की स्मृतियों, भूलों, भय और सत्ता के निर्णयों से। म्यांमार में रोहिंग्या मुसलमानों के साथ जो घटित हुआ, वह भी किसी एक वर्ष, एक सैन्य अभियान या एक राजनीतिक सरकार का परिणाम नहीं है। यह एक लंबी ऐतिहासिक प्रक्रिया का निष्कर्ष है, जिसकी जड़ें औपनिवेशिक काल में हैं और जिसकी परिणति आज अंतरराष्ट्रीय न्यायालय (ICJ) के कठघरे में खड़े म्यांमार राज्य के रूप में दिखाई देती है। इतिहास की शुरुआत: सहअस्तित्व से संदेह तक म्यांमार का पश्चिमी तटीय क्षेत्र—अराकान या आज का राखाइन राज्य—कभी व्यापार, संस्कृति और धर्मों के मेल का क्षेत्र था। अरब, फारसी और बंगाली व्यापारियों के साथ इस्लाम यहाँ पहुँचा और समय के साथ एक मुस्लिम समुदाय विकसित हुआ, जिसे आज रोहिंग्या कहा जाता है। मध्यकालीन अराकान में बौद्ध और मुस्लिम समुदायों का सहअस्तित्व असामान्य नहीं था। परंतु आधुनिक राष्ट्र-राज्य की अवधारणा ने इस सहअस्तित्व को संदेह में बदल दिया। जैसे-जैसे पहचान “स्थानीय” और “बाहरी” के खाँचों में...

UPSC 2024 Topper Shakti Dubey’s Strategy: 4-Point Study Plan That Led to Success in 5th Attempt

UPSC 2024 टॉपर शक्ति दुबे की रणनीति: सफलता की चार सूत्रीय योजना से सीखें स्मार्ट तैयारी का मंत्र लेखक: Arvind Singh PK Rewa | Gynamic GK परिचय: हर साल UPSC सिविल सेवा परीक्षा लाखों युवाओं के लिए एक सपना और संघर्ष बनकर सामने आती है। लेकिन कुछ ही अभ्यर्थी इस कठिन परीक्षा को पार कर पाते हैं। 2024 की टॉपर शक्ति दुबे ने न सिर्फ परीक्षा पास की, बल्कि एक बेहद व्यावहारिक और अनुशासित दृष्टिकोण के साथ सफलता की नई मिसाल कायम की। उनका फोकस केवल घंटों की पढ़ाई पर नहीं, बल्कि रणनीतिक अध्ययन पर था। कौन हैं शक्ति दुबे? शक्ति दुबे UPSC सिविल सेवा परीक्षा 2024 की टॉपर हैं। यह उनका पांचवां  प्रयास था, लेकिन इस बार उन्होंने एक स्पष्ट, सीमित और परिणामोन्मुख रणनीति अपनाई। न उन्होंने कोचिंग की दौड़ लगाई, न ही घंटों की संख्या के पीछे भागीं। बल्कि उन्होंने “टॉपर्स के इंटरव्यू” और परीक्षा पैटर्न का विश्लेषण कर अपनी तैयारी को एक फोकस्ड दिशा दी। शक्ति दुबे की UPSC तैयारी की चार मजबूत आधारशिलाएँ 1. सुबह की शुरुआत करेंट अफेयर्स से उन्होंने बताया कि सुबह उठते ही उनका पहला काम होता था – करेंट अफेयर्...

National Interest Over Permanent Friends or Foes: India’s Shifting Strategic Compass

राष्ट्रीय हित ही सर्वोपरि: भारत की बदलती कूटनीतिक दिशा प्रस्तावना : : न मित्र स्थायी, न शत्रु अंतरराष्ट्रीय राजनीति का यथार्थवादी दृष्टिकोण बार-बार यह स्पष्ट करता है कि विश्व राजनीति में न कोई स्थायी मित्र होता है और न ही कोई स्थायी शत्रु। यदि कुछ स्थायी है, तो वह है प्रत्येक राष्ट्र का राष्ट्रीय हित (National Interest) । बदलती वैश्विक परिस्थितियों में यही राष्ट्रीय हित कूटनीतिक रुख, विदेश नीति के निर्णय और अंतरराष्ट्रीय समीकरणों को निर्धारित करता है। वर्तमान समय में भारत की विदेश नीति इसी सिद्धांत का मूर्त रूप प्रतीत हो रही है। जहाँ एक ओर भारत और अमेरिका के बीच कुछ असहजता और मतभेद देखने को मिल रहे हैं, वहीं दूसरी ओर भारत और चीन, सीमा विवाद और गहरी अविश्वास की खाई के बावजूद संवाद और संबंध सुधारने की दिशा में आगे बढ़ते नज़र आ रहे हैं। यह परिदृश्य एक बार फिर यह रेखांकित करता है कि भावनात्मक स्तर पर मित्रता या शत्रुता से परे जाकर, अंतरराष्ट्रीय राजनीति का आधार केवल और केवल हित-आधारित यथार्थवाद है। ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य भारत के विदेश नीति इतिहास में यह कथन अनेक बार सत्य सिद्ध हुआ ...

China’s Rapid Nuclear Weapons Expansion and Modernization: Strategic Shift and Global Security Implications

चीन की परमाणु हथियारों की तीव्र वृद्धि और आधुनिकीकरण: बदलते वैश्विक सामरिक संतुलन का संकेत भूमिका 21वीं सदी के तीसरे दशक में वैश्विक सुरक्षा परिदृश्य एक बार फिर परमाणु हथियारों की छाया में प्रवेश करता दिखाई दे रहा है। शीत युद्ध की समाप्ति के बाद यह माना गया था कि परमाणु हथियारों की भूमिका क्रमशः सीमित होगी, किंतु हाल के वर्षों में यह धारणा तेजी से कमजोर हुई है। विशेष रूप से चीन की परमाणु क्षमता में हो रही तीव्र वृद्धि और आधुनिकीकरण ने अंतरराष्ट्रीय रणनीतिक विमर्श को नए सिरे से झकझोर दिया है। स्वतंत्र अनुसंधान संस्थानों और रक्षा विश्लेषकों के अनुसार, चीन आज वह परमाणु शक्ति बन चुका है, जिसकी हथियार वृद्धि की गति विश्व में सबसे तेज़ है। यह लेख चीन की परमाणु शक्ति के विस्तार, उसके पीछे के कारणों, आधिकारिक चीनी दृष्टिकोण तथा वैश्विक और क्षेत्रीय निहितार्थों का समग्र एवं विश्लेषणात्मक अध्ययन प्रस्तुत करता है। चीन की परमाणु क्षमता: वर्तमान परिदृश्य दिसंबर 2025 तक उपलब्ध आकलनों के अनुसार, चीन के पास लगभग 600 परमाणु वारहेड्स हैं। यह संख्या भले ही अमेरिका और रूस के विशाल भंडार से कम हो, किं...

A.R. Rahman Honoured with Lakshminarayana International Award: Celebrating India’s Global Musical Legacy

ए. आर. रहमान को लक्ष्मीनारायण अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार: जब संगीत वैश्विक संस्कृति की साझा भाषा बनता है भारतीय संगीत के इतिहास में कुछ क्षण ऐसे होते हैं, जब किसी कलाकार का सम्मान केवल व्यक्तिगत उपलब्धि नहीं रह जाता, बल्कि वह पूरे देश की सांस्कृतिक चेतना का उत्सव बन जाता है। 15 दिसंबर 2025 को ए. आर. रहमान को मिलने वाला लक्ष्मीनारायण अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार ऐसा ही एक क्षण है। यह सम्मान न सिर्फ एक महान संगीतकार को समर्पित है, बल्कि उस विचार को भी मान्यता देता है, जिसमें संगीत सीमाओं, भाषाओं और परंपराओं से ऊपर उठकर मानवता को जोड़ता है। चेन्नई की ऐतिहासिक रसिका रंजनी सभा में आयोजित होने वाला यह समारोह लक्ष्मीनारायण ग्लोबल म्यूजिक फेस्टिवल (LGMF) 2025 के 35वें संस्करण का कर्टेन-रेज़र होगा। प्रतीकात्मक रूप से यह वही शहर है, जहाँ से रहमान की संगीत यात्रा ने आधुनिक भारतीय ध्वनि को एक नई दिशा दी और जहाँ कर्नाटक संगीत की गहरी जड़ें आज भी जीवित हैं। लक्ष्मीनारायण ग्लोबल म्यूजिक फेस्टिवल: परंपरा और प्रयोग का संगम 1992 में प्रख्यात वायलिन वादक डॉ. एल. सुब्रमण्यम द्वारा स्थापित यह फेस्टिवल उनके...