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Cracking UPSC Mains Through Current Affairs Analysis

करंट अफेयर्स में छिपे UPSC मेन्स के संभावित प्रश्न प्रस्तावना UPSC सिविल सेवा परीक्षा केवल तथ्यों का संग्रह नहीं है, बल्कि सोचने, समझने और विश्लेषण करने की क्षमता की परीक्षा है। प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) तथ्यों और अवधारणाओं पर केंद्रित होती है, लेकिन मुख्य परीक्षा (Mains) विश्लेषणात्मक क्षमता, उत्तर लेखन कौशल और समसामयिक घटनाओं की समझ को परखती है। यही कारण है कि  करंट अफेयर्स UPSC मेन्स की आत्मा माने जाते हैं। अक्सर देखा गया है कि UPSC सीधे समाचारों से प्रश्न नहीं पूछता, बल्कि घटनाओं के पीछे छिपे गहरे मुद्दों, नीतिगत पहलुओं और नैतिक दुविधाओं को प्रश्न में बदल देता है। उदाहरण के लिए, अगर अंतरराष्ट्रीय मंच पर जलवायु परिवर्तन की चर्चा हो रही है, तो UPSC प्रश्न पूछ सकता है —  “भारत की जलवायु नीति घरेलू प्राथमिकताओं और अंतरराष्ट्रीय दबावों के बीच किस प्रकार संतुलन स्थापित करती है?” यानी, हर करंट इवेंट UPSC मेन्स के लिए एक संभावित प्रश्न छुपाए बैठा है। इस लेख में हम देखेंगे कि हाल के करंट अफेयर्स किन-किन तरीकों से UPSC मेन्स के प्रश्न बन सकते हैं, और विद्यार्थी इन्हें कैसे अपनी तै...

Mahatma Gandhi in UPSC Syllabus: Importance in Prelims, Mains, Ethics and Essay

UPSC पाठ्यक्रम में महात्मा गांधी: एक महत्वपूर्ण अध्ययन क्षेत्र UPSC (Union Public Service Commission) सिविल सेवा परीक्षा भारतीय समाज, राजनीति, इतिहास और नैतिकता का गहन अध्ययन मांगती है। इस परिप्रेक्ष्य में महात्मा गांधी का स्थान केंद्रीय है। वे केवल स्वतंत्रता संग्राम के नेता ही नहीं, बल्कि ऐसे चिंतक और दार्शनिक थे जिनके विचार आज भी शासन, नीति-निर्माण और समाज में जीवंत हैं। उनके सिद्धांत—सत्य, अहिंसा, स्वदेशी, सर्वोदय और ग्राम स्वराज—UPSC के विभिन्न पेपरों में बार-बार सामने आते हैं। 2 अक्टूबर 2025 को उनकी 156वीं जयंती पर यह समझना प्रासंगिक है कि गांधी UPSC अभ्यर्थियों के लिए क्यों इतने महत्वपूर्ण हैं। 1. प्रीलिम्स (Prelims) में गांधी जी का स्थान UPSC प्रीलिम्स के GS पेपर-1 में "आधुनिक भारतीय इतिहास और राष्ट्रीय आंदोलन" के अंतर्गत गांधी युग (1915-1947) विशेष महत्व रखता है। गांधी जी के भारत लौटने के बाद से लेकर स्वतंत्रता तक की घटनाएं इस परीक्षा का मूल भाग हैं। प्रारंभिक सत्याग्रह : चंपारण (1917) – नील किसानों का संघर्ष। खेड़ा (1918) – किसानों की कर-राहत की मांग। अह...

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