सत्यकथा: सरहद की एक माँ भारत-पाक सीमा पर माँ-बेटे की जुदाई: एक मर्मस्पर्शी मानवीय संकट अटारी बॉर्डर पर ठंडी हवाएँ चल रही थीं, पर फ़रहीन की आँखों से गर्म आँसुओं की धार थमने का नाम नहीं ले रही थी। उसके कांपते हाथों में 18 महीने का मासूम बेटा सिकुड़ा हुआ था, जैसे उसे भी पता हो कि कुछ अनहोनी होने वाली है। सिर पर दुपट्टा था, पर चेहरे पर मातृत्व की वेदना ने जैसे सारी दुनिया की नज़रों को थाम रखा था। "उतर जा बेटा... उतर जा," — सास सादिया की आवाज़ रिक्शे के भीतर से आई, लेकिन वह आवाज़ न तो कठोर थी, न ही साधारण। वह टूटे हुए रिश्तों की वह कराह थी जिसे सिर्फ़ एक माँ ही समझ सकती है। रिक्शा भारत की ओर था, पर फ़रहीन को पाकिस्तान जाना था—अपनी जन्मभूमि, पर अब बेगानी सी लगने लगी थी। फ़रहीन, प्रयागराज के इमरान से दो साल पहले ब्याही गई थी। प्यार हुआ, निकाह हुआ और फिर इस प्यार की निशानी—एक नन्हा बेटा हुआ। बेटे का नाम उन्होंने आरिफ़ रखा था, जिसका मतलब होता है—“जानने वाला, पहचानने वाला।” लेकिन आज वो नन्हा आरिफ़ समझ नहीं पा रहा था कि उसकी माँ उसे क्यों छोड़ रही है। "मैं माँ हूँ... कोई अपराधी नही...
ट्रंप की 'गोल्ड कार्ड' योजना: अमेरिकी नागरिकता का बाज़ारीकरण या आर्थिक रणनीति? डोनाल्ड ट्रंप की कथित ‘गोल्ड कार्ड’ योजना, जिसमें $5 मिलियन (लगभग ₹45 करोड़) की कीमत पर ग्रीन कार्ड और अमेरिकी नागरिकता का विशेषाधिकार दिया जाएगा, ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बहस को जन्म दिया है। यह योजना कई दृष्टिकोणों से विवादास्पद है—क्या यह अमेरिका की अप्रवासन नीति में सुधार का प्रयास है, या नागरिकता को एक व्यापारिक वस्तु बना देने की प्रक्रिया? क्या यह योजना अमेरिका की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए बनाई गई है, या यह केवल अमीरों को प्राथमिकता देने का एक नया तरीका है? इस लेख में हम ट्रंप की इस योजना की गहन समीक्षा करेंगे और इसके विभिन्न सामाजिक, आर्थिक, नैतिक और राजनीतिक प्रभावों का विश्लेषण करेंगे। 1. अमेरिकी अप्रवासन नीति का ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य अमेरिका का अप्रवासन इतिहास अवसर और समावेशिता पर आधारित रहा है। यह देश अपनी स्थापना से ही प्रवासियों का स्वागत करता रहा है, और इसके विकास में अप्रवासियों की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। 19वीं और 20वीं शताब्दी में अप्रवासन: अमेरिका में औद्योगिक क्रांति के द...