Skip to main content

Posts

Showing posts with the label Economy

MENU👈

Show more

Cracking UPSC Mains Through Current Affairs Analysis

करंट अफेयर्स में छिपे UPSC मेन्स के संभावित प्रश्न प्रस्तावना UPSC सिविल सेवा परीक्षा केवल तथ्यों का संग्रह नहीं है, बल्कि सोचने, समझने और विश्लेषण करने की क्षमता की परीक्षा है। प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) तथ्यों और अवधारणाओं पर केंद्रित होती है, लेकिन मुख्य परीक्षा (Mains) विश्लेषणात्मक क्षमता, उत्तर लेखन कौशल और समसामयिक घटनाओं की समझ को परखती है। यही कारण है कि  करंट अफेयर्स UPSC मेन्स की आत्मा माने जाते हैं। अक्सर देखा गया है कि UPSC सीधे समाचारों से प्रश्न नहीं पूछता, बल्कि घटनाओं के पीछे छिपे गहरे मुद्दों, नीतिगत पहलुओं और नैतिक दुविधाओं को प्रश्न में बदल देता है। उदाहरण के लिए, अगर अंतरराष्ट्रीय मंच पर जलवायु परिवर्तन की चर्चा हो रही है, तो UPSC प्रश्न पूछ सकता है —  “भारत की जलवायु नीति घरेलू प्राथमिकताओं और अंतरराष्ट्रीय दबावों के बीच किस प्रकार संतुलन स्थापित करती है?” यानी, हर करंट इवेंट UPSC मेन्स के लिए एक संभावित प्रश्न छुपाए बैठा है। इस लेख में हम देखेंगे कि हाल के करंट अफेयर्स किन-किन तरीकों से UPSC मेन्स के प्रश्न बन सकते हैं, और विद्यार्थी इन्हें कैसे अपनी तै...

India–Japan Partnership: A Strategic and Economic Milestone

भारत–जापान साझेदारी: रणनीतिक और आर्थिक पड़ाव हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके जापानी समकक्ष की मुलाक़ात ने भारत–जापान संबंधों को एक नई ऊँचाई पर पहुँचा दिया है। अगले दशक में जापान द्वारा भारत में लगभग 5,997 अरब रुपये का निवेश केवल आर्थिक सहयोग का प्रतीक नहीं है, बल्कि यह एक व्यापक दृष्टि को दर्शाता है—साझी समृद्धि, रणनीतिक एकजुटता और हिंद–प्रशांत क्षेत्र में दीर्घकालिक स्थिरता। आर्थिक आयाम: निवेश से परे जापानी निवेश महज़ पूँजी प्रवाह नहीं है; यह भारत की विकास यात्रा को संरचनात्मक रूप से बदलने वाला कदम है। शहरी परिवर्तन: स्मार्ट सिटी और हाई-स्पीड रेल परियोजनाएँ उत्पादकता और संपर्कता को बढ़ाएँगी। हरित ऊर्जा सहयोग: भारत के जलवायु लक्ष्यों (पेरिस समझौता व COP प्रतिबद्धताओं) को पूरा करने में मदद मिलेगी। तकनीकी हस्तांतरण: विनिर्माण, लॉजिस्टिक्स और डिजिटल बुनियादी ढांचे को मज़बूती मिलेगी। हालाँकि, इस निवेश का प्रभाव तभी होगा जब भारत नौकरशाही बाधाओं, नीति अस्थिरता और अवसंरचना की देरी जैसी चुनौतियों को पार कर सके। हिंद–प्रशांत में रणनीतिक महत्व यह साझेदारी केवल आर्...

Trump's 50% Tariff on India: Economic Impacts and Strategic Responses

ट्रम्प की टैरिफ नीति: भारत के लिए नया आर्थिक संकट या केवल परीक्षा की घड़ी अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की 'अमेरिका फर्स्ट' नीति ने वैश्विक व्यापार को नया मोड़ दे दिया है। भारत, जो अमेरिका का एक प्रमुख रणनीतिक साझेदार माना जाता रहा है, अब 50 प्रतिशत टैरिफ की चपेट में फंस गया है। यह कदम न केवल द्विपक्षीय व्यापार को प्रभावित करेगा, बल्कि वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला और दोनों देशों की अर्थव्यवस्था पर गहरा असर डालेगा। ट्रम्प प्रशासन का तर्क है कि भारत का रूस से सस्ता तेल खरीदना यूक्रेन युद्ध को 'ईंधन' दे रहा है, लेकिन यह दावा कई सवाल खड़े करता है—क्यों केवल भारत को निशाना बनाया जा रहा है, जबकि चीन जैसे अन्य बड़े आयातक बच गए हैं? यह टैरिफ युद्ध भारत की आर्थिक महत्वाकांक्षाओं के लिए एक कठिन परीक्षा है, जहां एक ओर निर्यात पर संकट मंडरा रहा है, वहीं दूसरी ओर आत्मनिर्भरता की राहें खुल रही हैं। ट्रम्प का यह फैसला अप्रत्याशित नहीं है। अप्रैल 2025 में उन्होंने 'मुक्ति दिवस' घोषित कर वैश्विक आयात पर 10 प्रतिशत बेसलाइन टैरिफ लगाया था, जिसे बाद में देश-विशेष दरों में बदल दिया ग...

India: The World's 4th Most Equal Country – Or a Misleading Statistic?

  संपादकीय लेख शीर्षक: ‘बराबरी’ का भ्रम: भारत की असमानता पर एक कठोर दृष्टि प्रस्तावना हाल ही में सरकार द्वारा जारी एक दावा कि "भारत अब दुनिया का चौथा सबसे समान देश है" – वैश्विक असमानता के संदर्भ में एक उत्साहवर्धक समाचार प्रतीत होता है। यह दावा 25.5 के निम्न गिनी इंडेक्स स्कोर पर आधारित है, जो 'समानता' को दर्शाता है। परंतु गहराई से देखने पर यह दावा एक भ्रम उत्पन्न करता है। कारण यह है कि यह आंकड़ा खपत (consumption) पर आधारित है, आय (income) पर नहीं – और यहीं से असल सच्चाई छुपाई जाती है। खपत और आय: एक भ्रामक तुलना भारत में आर्थिक सर्वेक्षण मुख्यतः उपभोग (spending) के आधार पर होते हैं। लेकिन आय और उपभोग में स्पष्ट असमानता होती है, खासकर समाज के उच्चतम तबके में। एक निर्धन परिवार अपनी सीमित आय का अधिकांश हिस्सा खर्च करता है, जबकि धनी वर्ग अपनी आय का एक अंश ही खर्च करता है और बाकी निवेश, बचत या विलासिता पर लगाता है – जो सर्वेक्षणों से बाहर रह जाता है। परिणामस्वरूप, गिनी इंडेक्स पर आधारित खपत आंकड़े, आय की असमानता को कृत्रिम रूप से कम करके दर्शाते हैं । वास्तविक...

Advertisement

POPULAR POSTS