संघर्ष से सेवा तक: UPSC 2025 टॉपर शक्ति दुबे की प्रेरणादायक कहानी प्रयागराज की साधारण सी गलियों से निकलकर देश की सबसे प्रतिष्ठित परीक्षा UPSC सिविल सेवा 2024 (परिणाम अप्रैल 2025) में ऑल इंडिया रैंक 1 हासिल करने वाली शक्ति दुबे की कहानी किसी प्रेरणादायक उपन्यास से कम नहीं है। बायोकैमिस्ट्री में स्नातक और परास्नातक, शक्ति ने सात साल के अथक परिश्रम, असफलताओं को गले लगाने और अडिग संकल्प के बल पर यह ऐतिहासिक मुकाम हासिल किया। उनकी कहानी न केवल UPSC अभ्यर्थियों के लिए, बल्कि हर उस व्यक्ति के लिए प्रेरणा है जो अपने सपनों को सच करने की राह पर चल रहा है। आइए, उनके जीवन, संघर्ष, रणनीति और सेवा की भावना को और करीब से जानें। पारिवारिक और शैक्षणिक पृष्ठभूमि: नींव की मजबूती शक्ति दुबे का जन्म प्रयागराज में एक ऐसे परिवार में हुआ, जहां शिक्षा, अनुशासन और देशसेवा को सर्वोपरि माना जाता था। उनके पिता एक पुलिस अधिकारी हैं, जिनके जीवन से शक्ति ने बचपन से ही कर्तव्यनिष्ठा और समाज के प्रति जवाबदेही का पाठ सीखा। माँ का स्नेह और परिवार का अटूट समर्थन उनकी ताकत का आधार बना। शक्ति स्वयं अपनी सफलता का श्रेय अपने ...
नक्सलवाद: जंगलों से शहरी क्षेत्रों तक बढ़ता खतरा भूमिका प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में एक बयान में कहा कि नक्सलवाद जंगलों से लगभग समाप्त हो रहा है, लेकिन शहरी क्षेत्रों में इसकी जड़ें तेज़ी से फैल रही हैं। उन्होंने यह भी चिंता जताई कि कुछ राजनीतिक दल नक्सली विचारधारा का समर्थन कर रहे हैं, जिससे देश की सुरक्षा को गंभीर खतरा हो सकता है। यह बयान न केवल भारत में नक्सलवाद के बदलते स्वरूप को दर्शाता है, बल्कि यह भी स्पष्ट करता है कि नक्सलवाद अब केवल एक सैन्य या सुरक्षा समस्या नहीं, बल्कि एक वैचारिक और सामाजिक चुनौती भी बन चुका है। नक्सलवाद की समस्या भारत में दशकों से बनी हुई है। यह एक उग्रवादी आंदोलन है, जो मुख्य रूप से वामपंथी विचारधारा से प्रेरित है और माओवाद के सिद्धांतों पर आधारित है। पहले यह समस्या जंगलों और दूर-दराज़ के इलाकों तक सीमित थी, लेकिन अब यह शहरी क्षेत्रों में भी अपनी पैठ बना रही है, जिसे अक्सर "अर्बन नक्सलवाद" कहा जाता है। यह नया स्वरूप भारत की आंतरिक सुरक्षा के लिए एक नई चुनौती पेश कर रहा है। नक्सलवाद का ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य नक्सलवाद की शुरुआत 1967 में ...