सत्यकथा: सरहद की एक माँ भारत-पाक सीमा पर माँ-बेटे की जुदाई: एक मर्मस्पर्शी मानवीय संकट अटारी बॉर्डर पर ठंडी हवाएँ चल रही थीं, पर फ़रहीन की आँखों से गर्म आँसुओं की धार थमने का नाम नहीं ले रही थी। उसके कांपते हाथों में 18 महीने का मासूम बेटा सिकुड़ा हुआ था, जैसे उसे भी पता हो कि कुछ अनहोनी होने वाली है। सिर पर दुपट्टा था, पर चेहरे पर मातृत्व की वेदना ने जैसे सारी दुनिया की नज़रों को थाम रखा था। "उतर जा बेटा... उतर जा," — सास सादिया की आवाज़ रिक्शे के भीतर से आई, लेकिन वह आवाज़ न तो कठोर थी, न ही साधारण। वह टूटे हुए रिश्तों की वह कराह थी जिसे सिर्फ़ एक माँ ही समझ सकती है। रिक्शा भारत की ओर था, पर फ़रहीन को पाकिस्तान जाना था—अपनी जन्मभूमि, पर अब बेगानी सी लगने लगी थी। फ़रहीन, प्रयागराज के इमरान से दो साल पहले ब्याही गई थी। प्यार हुआ, निकाह हुआ और फिर इस प्यार की निशानी—एक नन्हा बेटा हुआ। बेटे का नाम उन्होंने आरिफ़ रखा था, जिसका मतलब होता है—“जानने वाला, पहचानने वाला।” लेकिन आज वो नन्हा आरिफ़ समझ नहीं पा रहा था कि उसकी माँ उसे क्यों छोड़ रही है। "मैं माँ हूँ... कोई अपराधी नही...
जर्मनी के नए चांसलर: फ्रेडरिक मर्ज की जीत और बदलता राजनीतिक परिदृश्य फ्रेडरिक मर्ज जर्मनी के नए चांसलर बने हैं, जिससे देश की राजनीति में बड़ा बदलाव आने की संभावना है। यह लेख उनकी जीत, ओलाफ स्कोल्ज़ की हार के कारणों, और जर्मनी की भविष्य की नीतियों पर प्रभाव की गहन समीक्षा करता है। जानिए कैसे यह परिवर्तन यूरोपीय संघ, आप्रवासन नीति और वैश्विक राजनीति को प्रभावित कर सकता है। जर्मनी ने अपने नए चांसलर के रूप में फ्रेडरिक मर्ज (Friedrich Merz) को चुना है। वे ओलाफ स्कोल्ज़ की जगह लेंगे, जिनकी सरकार आंतरिक कलह और नीतिगत असहमति के कारण अस्थिर हो गई थी। यह चुनाव तय समय से सात महीने पहले हुआ, क्योंकि स्कोल्ज़ की गठबंधन सरकार नवंबर 2024 में गिर गई थी। चुनाव परिणाम और राजनीतिक प्रभाव फ्रेडरिक मर्ज की पार्टी को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला है, लेकिन वे बहुमत के करीब हैं, जिससे उनके लिए सत्ता में आना संभव हो गया। उनकी जीत को जर्मनी में दक्षिणपंथी राजनीति के पुनरुत्थान के रूप में देखा जा रहा है। यह पहली बार है जब द्वितीय विश्व युद्ध के बाद जर्मनी में कोई दक्षिणपंथी पार्टी सत्ता में आई है। उनकी जीत पर अम...