करंट अफेयर्स में छिपे UPSC मेन्स के संभावित प्रश्न प्रस्तावना UPSC सिविल सेवा परीक्षा केवल तथ्यों का संग्रह नहीं है, बल्कि सोचने, समझने और विश्लेषण करने की क्षमता की परीक्षा है। प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) तथ्यों और अवधारणाओं पर केंद्रित होती है, लेकिन मुख्य परीक्षा (Mains) विश्लेषणात्मक क्षमता, उत्तर लेखन कौशल और समसामयिक घटनाओं की समझ को परखती है। यही कारण है कि करंट अफेयर्स UPSC मेन्स की आत्मा माने जाते हैं। अक्सर देखा गया है कि UPSC सीधे समाचारों से प्रश्न नहीं पूछता, बल्कि घटनाओं के पीछे छिपे गहरे मुद्दों, नीतिगत पहलुओं और नैतिक दुविधाओं को प्रश्न में बदल देता है। उदाहरण के लिए, अगर अंतरराष्ट्रीय मंच पर जलवायु परिवर्तन की चर्चा हो रही है, तो UPSC प्रश्न पूछ सकता है — “भारत की जलवायु नीति घरेलू प्राथमिकताओं और अंतरराष्ट्रीय दबावों के बीच किस प्रकार संतुलन स्थापित करती है?” यानी, हर करंट इवेंट UPSC मेन्स के लिए एक संभावित प्रश्न छुपाए बैठा है। इस लेख में हम देखेंगे कि हाल के करंट अफेयर्स किन-किन तरीकों से UPSC मेन्स के प्रश्न बन सकते हैं, और विद्यार्थी इन्हें कैसे अपनी तै...
“राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के 100 वर्ष: इतिहास, विचारधारा और भारतीय समाज पर प्रभाव” राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) का 100वां वर्ष 2025 में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है, जो इसके ऐतिहासिक विकास, वैचारिक यात्रा और भारतीय समाज पर गहरे प्रभाव को दर्शाता है। 1926 में नागपुर में डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार द्वारा स्थापित RSS ने एक सदी में खुद को भारत के सबसे बड़े और सबसे प्रभावशाली स्वयंसेवी संगठनों में से एक के रूप में स्थापित किया है। इसकी यात्रा को समझने के लिए इसके ऐतिहासिक विकास, नेतृत्व के योगदान, वैचारिक आधार, और सामाजिक-राजनीतिक प्रभाव को विस्तार से देखना आवश्यक है। स्थापना और प्रारंभिक वर्ष RSS की स्थापना 1926 में विजयादशमी के दिन नागपुर में हुई थी, जब डॉ. हेडगेवार ने 15-20 युवाओं के साथ पहली शाखा शुरू की। इसका प्राथमिक उद्देश्य हिंदू समाज को संगठित करना और राष्ट्रीय चेतना को जागृत करना था। उस समय भारत ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन के अधीन था, और सामाजिक-राजनीतिक उथल-पुथल का दौर था। हेडगेवार का मानना था कि हिंदू समाज की आंतरिक कमजोरियां—जैसे जातिगत विभाजन और संगठन का अभाव—राष्ट्रीय ...