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Cracking UPSC Mains Through Current Affairs Analysis

करंट अफेयर्स में छिपे UPSC मेन्स के संभावित प्रश्न प्रस्तावना UPSC सिविल सेवा परीक्षा केवल तथ्यों का संग्रह नहीं है, बल्कि सोचने, समझने और विश्लेषण करने की क्षमता की परीक्षा है। प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) तथ्यों और अवधारणाओं पर केंद्रित होती है, लेकिन मुख्य परीक्षा (Mains) विश्लेषणात्मक क्षमता, उत्तर लेखन कौशल और समसामयिक घटनाओं की समझ को परखती है। यही कारण है कि  करंट अफेयर्स UPSC मेन्स की आत्मा माने जाते हैं। अक्सर देखा गया है कि UPSC सीधे समाचारों से प्रश्न नहीं पूछता, बल्कि घटनाओं के पीछे छिपे गहरे मुद्दों, नीतिगत पहलुओं और नैतिक दुविधाओं को प्रश्न में बदल देता है। उदाहरण के लिए, अगर अंतरराष्ट्रीय मंच पर जलवायु परिवर्तन की चर्चा हो रही है, तो UPSC प्रश्न पूछ सकता है —  “भारत की जलवायु नीति घरेलू प्राथमिकताओं और अंतरराष्ट्रीय दबावों के बीच किस प्रकार संतुलन स्थापित करती है?” यानी, हर करंट इवेंट UPSC मेन्स के लिए एक संभावित प्रश्न छुपाए बैठा है। इस लेख में हम देखेंगे कि हाल के करंट अफेयर्स किन-किन तरीकों से UPSC मेन्स के प्रश्न बन सकते हैं, और विद्यार्थी इन्हें कैसे अपनी तै...

Saudi-Pakistan Defence Pact: Will Gulf Nations Join the Nuclear Umbrella?

पाकिस्तान और सऊदी अरब के बीच रणनीतिक पारस्परिक रक्षा समझौता: एक निबंधात्मक विश्लेषण परिचय 17 सितंबर 2025 को रियाद में पाकिस्तान और सऊदी अरब के बीच हस्ताक्षरित रणनीतिक पारस्परिक रक्षा समझौता (SMDA) मध्य पूर्व और दक्षिण एशिया की भू-राजनीति में एक निर्णायक मोड़ साबित हुआ। समझौते के तहत किसी एक देश पर हमला होने पर इसे दोनों पर हमला माना जाएगा, जो पारंपरिक सैन्य गठबंधनों की तुलना में मुस्लिम दुनिया में नई सामूहिक सुरक्षा की दिशा में पहला कदम है। इस समझौते की समयबद्धता महत्वपूर्ण है क्योंकि यह कतर पर इजरायल के हालिया मिसाइल हमले के ठीक बाद आया, जिससे क्षेत्रीय अस्थिरता और सुरक्षा चिंताओं का वास्तविक परिदृश्य सामने आया। ऐतिहासिक पृष्ठभूमि पाकिस्तान और सऊदी अरब के संबंध 1947 में पाकिस्तान की स्थापना के साथ ही शुरू हुए। सऊदी अरब ने पाकिस्तान को मान्यता देने वाले पहले देशों में से एक के रूप में इसे सम्मानित किया। दोनों देशों के बीच रिश्तों की नींव इस्लामिक एकता, सांस्कृतिक समानता और रणनीतिक हितों पर आधारित रही। 1960 के दशक में पाकिस्तान ने सऊदी सीमाओं की सुरक्षा में योगदान दिया। 1979 के मक...

Saudi Arabia–Pakistan Defence Pact: Implications and Opportunities for India

सऊदी–पाकिस्तान रक्षा समझौता: भारत के लिए अवसर और चुनौती प्रस्तावना सऊदी अरब और पाकिस्तान के बीच हाल ही में हुआ रक्षा समझौता केवल दो देशों की सुरक्षा जरूरतों का परिणाम नहीं है; यह मध्य-पूर्व और दक्षिण एशिया की बदलती भू-राजनीति का संकेतक है। यह कदम ऐसे समय में आया है जब इजरायल–हमास संघर्ष और अमेरिका की घटती क्षेत्रीय प्रतिबद्धताएँ नए शक्ति समीकरण गढ़ रही हैं। भारत के लिए यह विकास ऊर्जा सुरक्षा, सामरिक संतुलन और कूटनीतिक विकल्पों की दृष्टि से महत्वपूर्ण है। समझौते की प्रकृति और संदर्भ रक्षा समझौते में “एक पर हमला, सब पर हमला” जैसी धारणा दोनों देशों के बीच सामूहिक सुरक्षा दायित्व को रेखांकित करती है। पाकिस्तान की परमाणु क्षमता और सऊदी का वित्तीय व सामरिक प्रभाव इस गठजोड़ को विशेष महत्व देते हैं। अमेरिका की सुरक्षा गारंटी में आई दरार और ईरान की बढ़ती क्षेत्रीय सक्रियता ने सऊदी को इस प्रकार के विकल्प खोजने के लिए प्रेरित किया है। वैश्विक शक्ति-संतुलन पर असर यह समझौता खाड़ी क्षेत्र में अमेरिकी प्रभाव को और कम कर सकता है, जबकि चीन और रूस जैसी शक्तियों को नई भूमिका निभाने का अवसर दे सकत...

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