सत्यकथा: सरहद की एक माँ भारत-पाक सीमा पर माँ-बेटे की जुदाई: एक मर्मस्पर्शी मानवीय संकट अटारी बॉर्डर पर ठंडी हवाएँ चल रही थीं, पर फ़रहीन की आँखों से गर्म आँसुओं की धार थमने का नाम नहीं ले रही थी। उसके कांपते हाथों में 18 महीने का मासूम बेटा सिकुड़ा हुआ था, जैसे उसे भी पता हो कि कुछ अनहोनी होने वाली है। सिर पर दुपट्टा था, पर चेहरे पर मातृत्व की वेदना ने जैसे सारी दुनिया की नज़रों को थाम रखा था। "उतर जा बेटा... उतर जा," — सास सादिया की आवाज़ रिक्शे के भीतर से आई, लेकिन वह आवाज़ न तो कठोर थी, न ही साधारण। वह टूटे हुए रिश्तों की वह कराह थी जिसे सिर्फ़ एक माँ ही समझ सकती है। रिक्शा भारत की ओर था, पर फ़रहीन को पाकिस्तान जाना था—अपनी जन्मभूमि, पर अब बेगानी सी लगने लगी थी। फ़रहीन, प्रयागराज के इमरान से दो साल पहले ब्याही गई थी। प्यार हुआ, निकाह हुआ और फिर इस प्यार की निशानी—एक नन्हा बेटा हुआ। बेटे का नाम उन्होंने आरिफ़ रखा था, जिसका मतलब होता है—“जानने वाला, पहचानने वाला।” लेकिन आज वो नन्हा आरिफ़ समझ नहीं पा रहा था कि उसकी माँ उसे क्यों छोड़ रही है। "मैं माँ हूँ... कोई अपराधी नही...
एक नाजुक संतुलन: तनाव को भड़काने से बचना होगा पाकिस्तान के रक्षा मंत्री द्वारा दिया गया यह बयान कि भारत की सैन्य घुसपैठ "आसन्न" है और परमाणु हथियारों का प्रयोग "केवल अंतिम उपाय" के रूप में किया जाएगा, दक्षिण एशिया में एक बार फिर संवेदनशीलता की लकीर को तेज कर गया है। इस प्रकार की सार्वजनिक बयानबाजी न केवल क्षेत्रीय स्थिरता के लिए खतरनाक है, बल्कि वैश्विक शांति प्रयासों के लिए भी एक चुनौती उत्पन्न करती है। भारत और पाकिस्तान के बीच का संबंध एक लंबे समय से अविश्वास और संघर्ष की विरासत से बोझिल है। इसके बावजूद, दोनों देशों ने कई बार कठिन परिस्थितियों में संयम का परिचय दिया है। ऐसे में पाकिस्तान द्वारा सैन्य टकराव की आशंका व्यक्त करना और परमाणु विकल्प का संकेत देना, एक अनावश्यक भय का वातावरण तैयार करने का प्रयास प्रतीत होता है, जो कूटनीतिक संतुलन के लिए घातक सिद्ध हो सकता है। पाकिस्तान की आंतरिक परिस्थितियाँ — गहराता आर्थिक संकट, राजनीतिक अस्थिरता और बढ़ती आतंकी घटनाएँ — इस बयान की पृष्ठभूमि को स्पष्ट करती हैं। सत्ता प्रतिष्ठान द्वारा बाहरी खतरे के विमर्श का निर्माण कर...