करंट अफेयर्स में छिपे UPSC मेन्स के संभावित प्रश्न प्रस्तावना UPSC सिविल सेवा परीक्षा केवल तथ्यों का संग्रह नहीं है, बल्कि सोचने, समझने और विश्लेषण करने की क्षमता की परीक्षा है। प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) तथ्यों और अवधारणाओं पर केंद्रित होती है, लेकिन मुख्य परीक्षा (Mains) विश्लेषणात्मक क्षमता, उत्तर लेखन कौशल और समसामयिक घटनाओं की समझ को परखती है। यही कारण है कि करंट अफेयर्स UPSC मेन्स की आत्मा माने जाते हैं। अक्सर देखा गया है कि UPSC सीधे समाचारों से प्रश्न नहीं पूछता, बल्कि घटनाओं के पीछे छिपे गहरे मुद्दों, नीतिगत पहलुओं और नैतिक दुविधाओं को प्रश्न में बदल देता है। उदाहरण के लिए, अगर अंतरराष्ट्रीय मंच पर जलवायु परिवर्तन की चर्चा हो रही है, तो UPSC प्रश्न पूछ सकता है — “भारत की जलवायु नीति घरेलू प्राथमिकताओं और अंतरराष्ट्रीय दबावों के बीच किस प्रकार संतुलन स्थापित करती है?” यानी, हर करंट इवेंट UPSC मेन्स के लिए एक संभावित प्रश्न छुपाए बैठा है। इस लेख में हम देखेंगे कि हाल के करंट अफेयर्स किन-किन तरीकों से UPSC मेन्स के प्रश्न बन सकते हैं, और विद्यार्थी इन्हें कैसे अपनी तै...
नक्सलवाद: जंगलों से शहरी क्षेत्रों तक बढ़ता खतरा भूमिका प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में एक बयान में कहा कि नक्सलवाद जंगलों से लगभग समाप्त हो रहा है, लेकिन शहरी क्षेत्रों में इसकी जड़ें तेज़ी से फैल रही हैं। उन्होंने यह भी चिंता जताई कि कुछ राजनीतिक दल नक्सली विचारधारा का समर्थन कर रहे हैं, जिससे देश की सुरक्षा को गंभीर खतरा हो सकता है। यह बयान न केवल भारत में नक्सलवाद के बदलते स्वरूप को दर्शाता है, बल्कि यह भी स्पष्ट करता है कि नक्सलवाद अब केवल एक सैन्य या सुरक्षा समस्या नहीं, बल्कि एक वैचारिक और सामाजिक चुनौती भी बन चुका है। नक्सलवाद की समस्या भारत में दशकों से बनी हुई है। यह एक उग्रवादी आंदोलन है, जो मुख्य रूप से वामपंथी विचारधारा से प्रेरित है और माओवाद के सिद्धांतों पर आधारित है। पहले यह समस्या जंगलों और दूर-दराज़ के इलाकों तक सीमित थी, लेकिन अब यह शहरी क्षेत्रों में भी अपनी पैठ बना रही है, जिसे अक्सर "अर्बन नक्सलवाद" कहा जाता है। यह नया स्वरूप भारत की आंतरिक सुरक्षा के लिए एक नई चुनौती पेश कर रहा है। नक्सलवाद का ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य नक्सलवाद की शुरुआत 1967 में ...