करंट अफेयर्स में छिपे UPSC मेन्स के संभावित प्रश्न प्रस्तावना UPSC सिविल सेवा परीक्षा केवल तथ्यों का संग्रह नहीं है, बल्कि सोचने, समझने और विश्लेषण करने की क्षमता की परीक्षा है। प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) तथ्यों और अवधारणाओं पर केंद्रित होती है, लेकिन मुख्य परीक्षा (Mains) विश्लेषणात्मक क्षमता, उत्तर लेखन कौशल और समसामयिक घटनाओं की समझ को परखती है। यही कारण है कि करंट अफेयर्स UPSC मेन्स की आत्मा माने जाते हैं। अक्सर देखा गया है कि UPSC सीधे समाचारों से प्रश्न नहीं पूछता, बल्कि घटनाओं के पीछे छिपे गहरे मुद्दों, नीतिगत पहलुओं और नैतिक दुविधाओं को प्रश्न में बदल देता है। उदाहरण के लिए, अगर अंतरराष्ट्रीय मंच पर जलवायु परिवर्तन की चर्चा हो रही है, तो UPSC प्रश्न पूछ सकता है — “भारत की जलवायु नीति घरेलू प्राथमिकताओं और अंतरराष्ट्रीय दबावों के बीच किस प्रकार संतुलन स्थापित करती है?” यानी, हर करंट इवेंट UPSC मेन्स के लिए एक संभावित प्रश्न छुपाए बैठा है। इस लेख में हम देखेंगे कि हाल के करंट अफेयर्स किन-किन तरीकों से UPSC मेन्स के प्रश्न बन सकते हैं, और विद्यार्थी इन्हें कैसे अपनी तै...
विकसित भारत शिक्षा अधिक्षण विधेयक: सुधार की मंशा, क्रियान्वयन की परीक्षा भारत की उच्च शिक्षा प्रणाली लंबे समय से एक अंतर्विरोध से जूझती रही है—एक ओर विश्व-स्तरीय संस्थानों की आकांक्षा और दूसरी ओर खंडित, जटिल तथा बहु-नियामक व्यवस्था का बोझ। इसी पृष्ठभूमि में हाल ही में केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा स्वीकृत विकसित भारत शिक्षा अधिक्षण विधेयक एक निर्णायक संस्थागत सुधार के रूप में उभरता है। यह विधेयक राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 की उस मूल भावना को वैधानिक रूप देता है, जिसमें उच्च शिक्षा के लिए एकल, समग्र और सुसंगत नियामक की आवश्यकता को स्पष्ट रूप से रेखांकित किया गया था। यह विधेयक न केवल विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC), अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (AICTE) और राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (NCTE) जैसी संस्थाओं को समाहित करने का प्रस्ताव करता है, बल्कि भारतीय उच्च शिक्षा के प्रशासनिक दर्शन में भी एक मौलिक बदलाव का संकेत देता है। बहु-नियामक व्यवस्था से एकल नियमन की ओर स्वतंत्रता के बाद विकसित भारतीय उच्च शिक्षा प्रणाली विभिन्न नियामक संस्थाओं के माध्यम से संचालित होती रही है। समय क...