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Cracking UPSC Mains Through Current Affairs Analysis

करंट अफेयर्स में छिपे UPSC मेन्स के संभावित प्रश्न प्रस्तावना UPSC सिविल सेवा परीक्षा केवल तथ्यों का संग्रह नहीं है, बल्कि सोचने, समझने और विश्लेषण करने की क्षमता की परीक्षा है। प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) तथ्यों और अवधारणाओं पर केंद्रित होती है, लेकिन मुख्य परीक्षा (Mains) विश्लेषणात्मक क्षमता, उत्तर लेखन कौशल और समसामयिक घटनाओं की समझ को परखती है। यही कारण है कि  करंट अफेयर्स UPSC मेन्स की आत्मा माने जाते हैं। अक्सर देखा गया है कि UPSC सीधे समाचारों से प्रश्न नहीं पूछता, बल्कि घटनाओं के पीछे छिपे गहरे मुद्दों, नीतिगत पहलुओं और नैतिक दुविधाओं को प्रश्न में बदल देता है। उदाहरण के लिए, अगर अंतरराष्ट्रीय मंच पर जलवायु परिवर्तन की चर्चा हो रही है, तो UPSC प्रश्न पूछ सकता है —  “भारत की जलवायु नीति घरेलू प्राथमिकताओं और अंतरराष्ट्रीय दबावों के बीच किस प्रकार संतुलन स्थापित करती है?” यानी, हर करंट इवेंट UPSC मेन्स के लिए एक संभावित प्रश्न छुपाए बैठा है। इस लेख में हम देखेंगे कि हाल के करंट अफेयर्स किन-किन तरीकों से UPSC मेन्स के प्रश्न बन सकते हैं, और विद्यार्थी इन्हें कैसे अपनी तै...

Democracy in the Modi Era: Balancing Development and Dissent – An In-Depth Editorial Analysis

मोदी युग में लोकतंत्र: विकास,  विरोध और सवालों का संतुलन – एक संपादकीय विश्लेषण

प्रस्तावना: तीन दोस्तों की वर्तमान राजनीति पर चर्चा

प्रयागराज शहर के चंद्रशेखर आजाद पार्क में हरी-भरी घास पर बैठ कर तीन दोस्त वर्तमान राजनीति पर बहस कर रहे हैं। पहला दोस्त उत्साह से बोलता है – “मोदी जी के कार्यकाल में योजनाओं की बरसात हो गई है, देश बदल रहा है।” दूसरा धीरे-से जोड़ता है – “सही कहा, लेकिन विरोध और बहस भी बढ़ी है।” तीसरा दोस्त मुस्कुराते हुए कहता है – “लोकतंत्र में विकास और सवाल दोनों अनिवार्य हैं।”
यह संवाद महज़ बातचीत नहीं; यह 2014 से 2025 तक भारत की राजनीतिक कहानी का सार है। नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश ने तेज़ विकास की ओर कदम बढ़ाए हैं, पर आलोचना, विरोध और सवाल भी उसी गति से उभरे हैं। यह लेख इसी द्वंद्व – विकास बनाम सवाल – के संतुलन को समझने की कोशिश है।


मोदी सरकार की योजनाएँ: विकास के नए प्रतिमान

मोदी सरकार ने सत्ता में आते ही “सबका साथ, सबका विकास” का नारा दिया। यह सिर्फ़ चुनावी घोषणा नहीं, बल्कि अनेक नीतियों की आधारशिला बनी।

  • स्वच्छ भारत अभियान (2014): लाखों शौचालयों के निर्माण से ग्रामीण-शहरी जीवन की तस्वीर बदली। आलोचक इसे प्रचार-केंद्रित कहते रहे, लेकिन विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भारत के स्वच्छता प्रयासों की खुलकर सराहना की।
  • आयुष्मान भारत (2018): दुनिया की सबसे बड़ी स्वास्थ्य बीमा योजना। कोविड-19 के कठिन दौर में करोड़ों गरीब परिवारों को अस्पताल इलाज मिला।
  • पीएम-किसान सम्मान निधि (2019): सीधे किसानों के खातों में 6,000 रुपये सालाना, डिजिटल लेन-देन की पारदर्शिता के साथ।
  • डिजिटल इंडिया और मेक इन इंडिया: इंटरनेट कनेक्टिविटी से लेकर स्टार्टअप तक, भारत को वैश्विक मंच पर नई पहचान मिली। 2025 तक भारत यूनिकॉर्न कंपनियों की सूची में तीसरे नंबर पर है।
  • उज्ज्वला योजना और जन धन योजना: एलपीजी सिलेंडर और बैंक खातों ने सामाजिक-आर्थिक बदलाव की नींव डाली।

इन योजनाओं ने करोड़ों लोगों की ज़िंदगी में ठोस बदलाव किए। बुलेट ट्रेन, हाईवे, इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग, और अंतरिक्ष मिशन (चंद्रयान-3, गगनयान) जैसी परियोजनाओं ने भारत की वैश्विक छवि को भी मज़बूत किया।


विरोध और बहस: लोकतंत्र की सांस

विकास जितना तेज़ हुआ, बहस भी उतनी ही मुखर रही। यही लोकतंत्र की जीवन-रेखा है।

  • किसान आंदोलन (2020-21): तीन कृषि कानूनों पर देशव्यापी धरना, सरकार को कानून वापस लेना पड़ा। यह लोकतंत्र की कार्यशीलता का उदाहरण है।
  • सीएए और एनआरसी: शाहीन बाग से लेकर विश्वविद्यालयों तक देशव्यापी विरोध। सरकार को बार-बार स्पष्टीकरण देना पड़ा।
  • नोटबंदी और जीएसटी: दोनों ने आर्थिक ढांचे में बड़े बदलाव किए, पर विपक्ष और विशेषज्ञों ने कठोर सवाल उठाए।
  • महिला अधिकार और सामाजिक सुधार: ट्रिपल तलाक कानून ने मुस्लिम महिलाओं को राहत दी, लेकिन धार्मिक दखल के आरोप भी लगे।

इन घटनाओं ने यह स्पष्ट कर दिया कि भारत में बहस का स्पेस अब भी जीवित है। विरोध ने योजनाओं को चुनौती दी, सरकार को जवाबदेह बनाया और नीतियों को अधिक समावेशी करने पर मजबूर किया।


डिजिटल युग का लोकतंत्र

सोशल मीडिया ने बहस को नए स्तर पर पहुँचा दिया। #ModiHaiToMumkinHai और #GoBackModi जैसे ट्रेंड दिखाते हैं कि डिजिटल लोकतंत्र में एक क्लिक से राय बन और बदल सकती है। लेकिन फेक न्यूज और ट्रोलिंग ने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नए प्रश्न खड़े किए। सरकार ने आईटी नियम बनाए, पर आलोचक इसे सेंसरशिप मानते हैं। यह द्वंद्व बताता है कि लोकतंत्र अब वर्चुअल स्पेस में भी लड़ा जा रहा है।


विकास बनाम सवाल: असली संतुलन

भारत जैसा विशाल और विविधतापूर्ण लोकतंत्र तब ही मजबूत होगा जब दोनों धुरी – विकास और सवाल – साथ चलें।

  • विकास, देश को मज़बूती देता है।
  • सवाल, उसे पारदर्शिता और जवाबदेही देते हैं।

मोदी युग में यह संतुलन स्पष्ट दिखाई देता है। तेज़ विकास के साथ तेज़ विरोध भी है। किसान आंदोलन की वापसी, सीएए पर अदालत में बहस, जीएसटी में सुधार – सब दिखाते हैं कि नीति-निर्माण अब एकतरफ़ा नहीं रहा।


मीडिया और नागरिकों की भूमिका

स्वतंत्र प्रेस और जागरूक नागरिक लोकतंत्र के दो मज़बूत स्तंभ हैं। मीडिया का काम सिर्फ़ खबर देना नहीं, बल्कि सवाल पूछना भी है। मगर आज मीडिया ध्रुवीकरण का शिकार है। नागरिकों के लिए भी चुनौती है – जानकारी के स्रोत चुनते समय विवेक और तथ्यपरकता बनाए रखना।


विदेश नीति और राष्ट्रीय सुरक्षा

मोदी सरकार ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी भारत की छवि बदली। क्वाड, जी-20 की अध्यक्षता, और ‘विकासशील देशों की आवाज़’ बनने के प्रयास इसकी मिसाल हैं। लेकिन चीन सीमा विवाद और पड़ोसी देशों से रिश्तों पर सवाल भी उठे। यह दर्शाता है कि राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दों पर भी बहस उतनी ही जरूरी है।


निष्कर्ष: लोकतंत्र का असली पाठ

मोदी युग को केवल विकास की कहानी कह देना अधूरा होगा और केवल आलोचना की कहानी कहना भी। यह दरअसल एक ऐसे दौर का वर्णन है जिसमें योजनाएँ भी हैं, उपलब्धियाँ भी, असहमति भी और आत्मसमीक्षा भी।
तीन दोस्तों की चाय पर बातचीत की तरह ही, भारत को भी यह स्वीकार करना होगा कि “लोकतंत्र में विकास और सवाल दोनों साथ-साथ चलते हैं।”
विकास प्रगति लाता है, सवाल जवाबदेही। यही संतुलन 21वीं सदी के भारत को मजबूत, आत्मनिर्भर और लोकतांत्रिक बनाता है।


संभावित UPSC Mains प्रश्न

GS Paper 2 – Governance, Polity, Social Justice

  1. मोदी युग (2014–2025) में भारत में लोकतंत्र के विकास और सवालों के संतुलन का विश्लेषण कीजिए। (15–20 अंक)
  2. “विकास और विरोध लोकतंत्र के दो स्तंभ हैं।” इस कथन को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यकाल के उदाहरणों के साथ समझाइए।
  3. किसान आंदोलन, सीएए विरोध और ट्रिपल तलाक कानून जैसी घटनाओं ने भारत के लोकतंत्र को कैसे प्रभावित किया? विस्तृत उत्तर दीजिए।
  4. डिजिटल इंडिया और सोशल मीडिया ने लोकतांत्रिक बहसों और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर क्या प्रभाव डाला है?
  5. स्वतंत्र प्रेस और नागरिक सहभागिता के महत्व को मोदी युग के संदर्भ में चर्चा कीजिए।

GS Paper 3 – Economic Development, Technology, Security

  1. आयुष्मान भारत, पीएम-किसान सम्मान निधि, मेक इन इंडिया और स्टार्टअप इंडिया जैसी योजनाओं ने भारत के आर्थिक और सामाजिक विकास में क्या योगदान दिया है?
  2. नोटबंदी और जीएसटी जैसे आर्थिक सुधारों पर बहस ने नीति-निर्माण और जवाबदेही को कैसे प्रभावित किया?
  3. मोदी सरकार की अंतरराष्ट्रीय नीतियों (जैसे क्वाड, जी-20) और चीन सीमा विवाद पर बहस ने राष्ट्रीय सुरक्षा और विदेश नीति पर क्या असर डाला?
  4. कोविड-19 महामारी के दौरान मोदी सरकार की योजनाओं और उनके विरोध का विश्लेषण कीजिए।
  5. “लोकतंत्र में विकास और सवाल दोनों आवश्यक हैं।” – इस कथन को आर्थिक और सामाजिक उदाहरणों के साथ समझाइए।



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