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Cracking UPSC Mains Through Current Affairs Analysis

करंट अफेयर्स में छिपे UPSC मेन्स के संभावित प्रश्न प्रस्तावना UPSC सिविल सेवा परीक्षा केवल तथ्यों का संग्रह नहीं है, बल्कि सोचने, समझने और विश्लेषण करने की क्षमता की परीक्षा है। प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) तथ्यों और अवधारणाओं पर केंद्रित होती है, लेकिन मुख्य परीक्षा (Mains) विश्लेषणात्मक क्षमता, उत्तर लेखन कौशल और समसामयिक घटनाओं की समझ को परखती है। यही कारण है कि  करंट अफेयर्स UPSC मेन्स की आत्मा माने जाते हैं। अक्सर देखा गया है कि UPSC सीधे समाचारों से प्रश्न नहीं पूछता, बल्कि घटनाओं के पीछे छिपे गहरे मुद्दों, नीतिगत पहलुओं और नैतिक दुविधाओं को प्रश्न में बदल देता है। उदाहरण के लिए, अगर अंतरराष्ट्रीय मंच पर जलवायु परिवर्तन की चर्चा हो रही है, तो UPSC प्रश्न पूछ सकता है —  “भारत की जलवायु नीति घरेलू प्राथमिकताओं और अंतरराष्ट्रीय दबावों के बीच किस प्रकार संतुलन स्थापित करती है?” यानी, हर करंट इवेंट UPSC मेन्स के लिए एक संभावित प्रश्न छुपाए बैठा है। इस लेख में हम देखेंगे कि हाल के करंट अफेयर्स किन-किन तरीकों से UPSC मेन्स के प्रश्न बन सकते हैं, और विद्यार्थी इन्हें कैसे अपनी तै...
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South Korea’s Nuclear-Powered Submarine Ambition: A New Underwater Arms Race in the Indo-Pacific

दक्षिण कोरिया की परमाणु-संचालित पनडुब्बी महत्वाकांक्षा: एशिया में बदलता सामरिक समीकरण और एक उभरती जलमग्न हथियार दौड़ प्रस्तावना इंडो-पैसिफ़िक क्षेत्र आज वैश्विक सामरिक प्रतिस्पर्धा का प्रमुख केंद्र बन चुका है। दक्षिण चीन सागर से लेकर जापान के समुद्री सीमांत तक शक्ति-संतुलन लगातार बदल रहा है। इसी पृष्ठभूमि में दक्षिण कोरिया का परमाणु-संचालित पनडुब्बियों (SSN) के अधिग्रहण की दिशा में निर्णायक कदम उठाना एशिया की सुरक्षा संरचना में एक गहरा मोड़ दर्शाता है। दिसंबर 2025 में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा दी गई स्पष्ट सहमति केवल तकनीकी सहयोग की अनुमति नहीं है—यह एक भू-राजनीतिक संदेश है कि अमेरिका अब अपने सहयोगियों को अधिक आक्रामक और स्वतंत्र रक्षा क्षमता विकसित करने देना चाहता है। यह निर्णय उन सभी नीतिगत बाधाओं को समाप्त करता है जो 1970 के दशक से वाशिंगटन की “नॉन-प्रोलिफ़रेशन फर्स्ट” नीति के कारण सियोल को रोकती आई थीं। ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य: अधूरी महत्वाकांक्षाओं से पुनर्जीवित आकांक्षाओं तक दक्षिण कोरिया की परमाणु-संचालित पनडुब्बी की आकांक्षा नई नहीं है। 1974 में तत्कालीन राष्...

RBI’s New Monetary Shift: Repo Rate Cut to 5.25% Signals a Changing Growth Rhythm

भारतीय रिज़र्व बैंक का नया मौद्रिक मोड़: रेपो दर 5.25% — विकास की बदलती लय का संकेत — एक अवधारणात्मक व UPSC उन्मुख विश्लेषण प्रस्तावना: जब अर्थव्यवस्था संतुलन की दुर्लभ अवस्था में हो भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने दिसंबर 2025 की मौद्रिक नीति बैठक में रेपो दर को 25 आधार अंकों की कटौती कर 5.25% पर ला दिया। पहली नज़र में यह केवल एक तकनीकी परिवर्तन लगता है, पर वास्तव में यह भारत की आर्थिक दिशा में एक गहरे बदलाव का संकेत है। मुद्रास्फीति दो दशक के निम्न स्तरों के करीब है, आर्थिक विकास 7% से ऊपर टिके रहने के संकेत दे रहा है, और वैश्विक अनिश्चितताओं के बावजूद घरेलू मांग मजबूत बनी हुई है। RBI गवर्नर संजय मालवीय ने इसे भारत का “गोल्डीलॉक्स क्षण” कहा—एक ऐसा समय जहाँ अर्थव्यवस्था तेज़ चल रही है, और तापमान यानी महँगाई नियंत्रित है। UPSC के नज़रिए से यह वह क्षण है जब मौद्रिक नीति केवल प्रतिक्रियात्मक न रहकर रणनीतिक हो जाती है। 1. निर्णय की पृष्ठभूमि: संख्याएँ जो कहानी कहती हैं मुद्रास्फीति का 0.25% तक गिर जाना केवल एक आँकड़ा नहीं, बल्कि यह बताता है कि खाद्य आपूर्ति बेहतर रही, वैश्विक तेल की...

Right to Live-In Relationships for Young Adults: A Critical Analysis of the Rajasthan High Court Verdict

विवाह योग्य आयु से कम दो वयस्कों के लाइव-इन संबंध का अधिकार: राजस्थान हाईकोर्ट के ऐतिहासिक निर्णय का आलोचनात्मक विश्लेषण सार राजस्थान हाईकोर्ट ने 5 दिसंबर 2025 को एक महत्वपूर्ण निर्णय देते हुए स्पष्ट किया कि दो सहमति देने वाले वयस्क , भले ही वे विवाह योग्य आयु (पुरुष—21 वर्ष, महिला—18 वर्ष) तक न पहुँचे हों, फिर भी लाइव-इन संबंध में रहने का पूर्ण संवैधानिक अधिकार रखते हैं। न्यायमूर्ति अनूप धंड ने इसे व्यक्तिगत स्वतंत्रता, गरिमा और निजता —जो अनुच्छेद 19(1)(a), 21 और 21-A में निहित हैं—का अभिन्न हिस्सा बताया। कोटा के 18 वर्षीय युवती और 19 वर्षीय युवक द्वारा सुरक्षा माँगते हुए दायर याचिका पर दिया गया यह निर्णय न केवल व्यक्तिगत स्वतंत्रता को सुदृढ़ करता है बल्कि भारत के सामाजिक-कानूनी ढाँचे में गैर-पारंपरिक संबंधों की मान्यता को भी एक नया आयाम देता है। भूमिका भारत का वैवाहिक कानून लंबे समय तक विवाह संस्था को ही व्यक्तिगत संबंधों की वैधता का आधार मानता आया है। ऐसे माहौल में लाइव-इन संबंध , विशेषकर युवाओं के बीच, अभी भी परिवार और समाज की कठोर निगाहों से घिरे रहते हैं। सामाजिक प्रतिरोध, ...

India–Russia Strategic Relations 2025: Hyderabad House Talks and the Seven Key Agreements Explained

भारत–रूस द्विपक्षीय संबंधों का नया अध्याय: हैदराबाद हाउस वार्ता और सात समझौतों का बहुआयामी विश्लेषण परिचय अंतरराष्ट्रीय राजनीति में कुछ साझेदारियाँ समय की कसौटी पर खरी उतरती हैं—भारत और रूस का संबंध उन्हीं में से एक है। शीत युद्ध के तनावपूर्ण दौर से लेकर वैश्विक शक्ति-संतुलन के वर्तमान परिवर्तनों तक, दोनों देशों ने एक-दूसरे का साथ निभाया है। 5 दिसंबर 2025 को नई दिल्ली के हैदराबाद हाउस में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच हुई वार्ता उन समानताओं और रणनीतिक विश्वास की पुनर्पुष्टि है, जिन पर यह संबंध खड़ा है। सात नए समझौतों पर हस्ताक्षर कर भारत और रूस ने न केवल अपने पारंपरिक सहयोग को आधुनिक आवश्यकताओं के अनुरूप ढाला, बल्कि वैश्विक मल्टी-पोलैरिटी के दौर में मजबूत साझेदारी का संकेत भी दिया। यह लेख इन समझौतों के प्रासंगिक आयामों, भू-राजनीतिक निहितार्थों, आर्थिक परिणामों और भारत–रूस संबंधों के भविष्य का व्यापक विश्लेषण प्रस्तुत करता है। ऐतिहासिक पृष्ठभूमि: सात दशक की रणनीतिक संगति भारत–रूस संबंधों की मजबूत नींव ऐतिहासिक घटनाओं में निहित है। 1971 का भ...

Putin’s India Interview: A New Signal in Shifting Global Power Politics

पुतिन का भारत इंटरव्यू: विश्व राजनीति के बदलते समीकरणों में एक नया संकेत रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन इन दिनों भारत दौरे पर हैं। दिल्ली पहुंचते ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रोटोकॉल तोड़कर एयरपोर्ट पर उनका स्वागत किया। दोनों नेताओं के बीच यह मुलाक़ात सिर्फ़ औपचारिकता नहीं, बल्कि दो पुराने साझेदारों के बीच बढ़ते विश्वास और नई वैश्विक राजनीति की पृष्ठभूमि में उभरते साझेदारी मॉडल का प्रतीक है। भारत पहुंचने से पहले पुतिन ने एक विस्तृत बातचीत में भारत–रूस संबंधों, वैश्विक परिस्थिति, ऊर्जा नीति, रक्षा सहयोग, अमेरिका और यूक्रेन संघर्ष जैसे बड़े विषयों पर खुलकर अपने विचार रखे। उनकी बातचीत आज की बदलती विश्व-व्यवस्था पर एक अवधारणात्मक दृष्टि प्रस्तुत करती है। भारत–रूस संबंध: इतिहास से आधुनिक रणनीति तक पुतिन के अनुसार भारत और रूस के रिश्ते केवल रणनीतिक नहीं, बल्कि समय की कसौटी पर खरे उतरने वाले ऐतिहासिक संबंध हैं। भारत की आज़ादी से लेकर आज 77 वर्षों में हुए परिवर्तन का वे विशेष उल्लेख करते हैं। वे कहते हैं: भारत ने कम समय में असाधारण प्रगति की है। औसत जीवन-आयु दोगुनी से अधिक हो चुकी ह...

China’s 2025 Mega Naval Deployment: Expanding Maritime Power in East Asian Waters

China's Maritime Power Projection in East Asian Waters: An Analysis of the 2025 Deployment Abstract दिसंबर 2025 में चीन ने पूर्वी एशियाई समुद्री क्षेत्रों में अपने अब तक के सबसे व्यापक नौसैनिक अभियान को अंजाम दिया, जिसमें 100 से अधिक नौसेना और कोस्ट गार्ड पोत शामिल थे। यह घटना, जिसे पहले रॉयटर्स ने रिपोर्ट किया, क्षेत्र में शक्ति-संतुलन के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ का संकेत देती है। यह शोध-पत्र इस तैनाती के पैमाने, उद्देश्यों और संभावित सुरक्षा प्रभावों का विश्लेषण करता है। अध्ययन यह तर्क प्रस्तुत करता है कि यद्यपि इसे “नियमित प्रशिक्षण” के रूप में प्रस्तुत किया गया, लेकिन यह तैनाती चीन की ग्रे-ज़ोन रणनीति का हिस्सा है, जिसमें पारंपरिक सैन्य प्रदर्शन को कूटनीतिक दबाव के साथ मिश्रित कर बिना प्रत्यक्ष युद्ध में प्रवेश किए प्रभुत्व स्थापित करने का प्रयास किया जाता है। Introduction इंडो-पैसिफिक क्षेत्र 21वीं सदी में सामरिक प्रतिस्पर्धा का केंद्र बन चुका है। समुद्री क्षेत्रों पर नियंत्रण न केवल व्यापार और ऊर्जा सुरक्षा से जुड़ा है, बल्कि यह महाशक्तियों के भू-राजनीतिक प्रभाव का भी मापक...

Putin’s 2025 India Visit: Strategic Continuity or a New Phase in India–Russia Relations?

पुतिन की भारत यात्रा: क्या इससे भारत-रूस संबंधों को नया आकार मिलेगा?  भू -राजनीतिक विश्लेषण भूमिका: बहुध्रुवीय विश्व में एक निर्णायक कूटनीतिक क्षण भारत और रूस के बीच दशकों पुराने रणनीतिक संबंध 4–5 दिसंबर 2025 को नई दिल्ली में आयोजित 23वें भारत–रूस वार्षिक शिखर सम्मेलन के साथ एक महत्वपूर्ण मोड़ पर पहुँच गए। यह राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की 2022 के यूक्रेन युद्ध के बाद भारत की पहली राजकीय यात्रा है —एक ऐसी यात्रा जिसने न केवल वैश्विक आलोचना के वातावरण में रूस की एशिया-उन्मुख कूटनीति को प्रदर्शित किया, बल्कि भारत की रणनीतिक स्वायत्तता को भी प्रमुखता से सामने रखा। ऐसे समय में जब अमेरिका रूस पर कड़े प्रतिबंध लागू कर रहा है और भारत पर मॉस्को से दूरी बनाने का अप्रत्यक्ष दबाव बढ़ा रहा है, पुतिन की यह यात्रा बहुध्रुवीय भू-राजनीति में उभरते संतुलन का संकेत देती है। यह यात्रा केवल परंपरागत संबंधों के उत्सव तक सीमित नहीं है, बल्कि इस प्रश्न को जन्म देती है— क्या यह यात्रा भारत–रूस संबंधों को नए सिरे से परिभाषित करेगी, या यह केवल मौजूदा दिशा को और मजबूत करेगी? इस लेख का मत स्पष्ट है: यह...

India–Russia Defence Cooperation Strengthens: RELOS Agreement Approval and Strategic Partnership Deepens

भारत–रूस रक्षा सहयोग: RELOS समझौते की मंजूरी और द्विपक्षीय रणनीतिक साझेदारी की मजबूती परिचय भारत और रूस के बीच रक्षा संबंध दशकों से वैश्विक राजनीति की बदलती परिस्थितियों में भी स्थिर और भरोसेमंद रहे हैं। शीत युद्ध के दौर में शुरू हुई यह साझेदारी आज “विशेष और विशेषाधिकार प्राप्त रणनीतिक साझेदारी” का रूप ले चुकी है। इसी क्रम में रूस की संसद के निचले सदन—स्टेट डूमा—द्वारा रिक्रॉप्रोकल एक्सचेंज ऑफ लॉजिस्टिक सपोर्ट (RELOS) समझौते को दी गई मंजूरी अत्यंत महत्वपूर्ण है। फरवरी 2025 में हस्ताक्षरित यह समझौता राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की भारत यात्रा (4–5 दिसंबर 2025) से ठीक पहले स्वीकृत किया गया, जिससे इसका सामरिक महत्व और बढ़ जाता है। डूमा के स्पीकर ने इसे भारत–रूस संबंधों को “रणनीतिक और व्यापक” बनाने वाला कदम कहा। वास्तव में, यह निर्णय ऐसे समय आया है जब वैश्विक भू–राजनीति तेजी से ध्रुवीकृत हो रही है और भारत अपनी “रणनीतिक स्वायत्तता” को और मजबूत कर रहा है। RELOS समझौता: स्वरूप, उद्देश्य और संदर्भ RELOS एक ऐसा सैन्य लॉजिस्टिक सहयोग समझौता है, जो दोनों देशों की सेनाओं को एक-दूसरे की सैन्य ...

Sanchar Saathi App Controversy: Security Shield or Privacy Threat?

संचार साधी ऐप: सुरक्षा कवच या गोपनीयता पर चोट? विवाद की गहराई से पड़ताल परिचय डिजिटल तकनीक के इस दौर में स्मार्टफोन केवल एक गैजेट नहीं, बल्कि हमारी व्यक्तिगत दुनिया का विस्तार बन चुके हैं—चाहे वह संचार हो, बैंकिंग, पहचान या रोज़मर्रा के कामकाज। इसी वास्तविकता को ध्यान में रखते हुए भारत सरकार ने नागरिक सुरक्षा बढ़ाने के उद्देश्य से ‘संचार साधी’ ऐप प्रस्तुत किया था। यह ऐप मोबाइल-संबंधित धोखाधड़ी, अवैध मोबाइल कनेक्शनों और चोरी हुए फोनों की पहचान जैसी समस्याओं से निपटने के लिए विकसित किया गया था। हालांकि, नवंबर 2025 में स्थिति बदल गई, जब दूरसंचार विभाग (DoT) ने सभी मोबाइल निर्माताओं को निर्देश दिया कि वे अपने नए फोनों में इस ऐप को प्री-इंस्टॉल करें। इसके बाद से विवादों की झड़ी लग गई—राजनीतिक दल, साइबर सुरक्षा विशेषज्ञ और गोपनीयता अधिकार कार्यकर्ता इसे नागरिक स्वतंत्रता पर संभावित हमला मान रहे हैं। वहीं सरकार इसे राष्ट्रीय सुरक्षा और साइबर सुरक्षा के लिए अत्यावश्यक कदम बता रही है। यह लेख इसी बहस का संतुलित और व्यापक विश्लेषण प्रस्तुत करता है। संचार साधी ऐप: उद्देश्य और कामकाज संचार...

Temple–Mosque Dispute: Path to Resolution or Escalation of Tensions?

मंदिर–मस्जिद विवाद: समाधान का मार्ग या तनाव का विस्तार? एक समग्र विश्लेषण परिचय भारतीय समाज में धार्मिक स्थलों को लेकर उत्पन्न होने वाले विवाद कोई नई बात नहीं हैं। इतिहास, आस्था और राजनीति—इन तीनों के संगम पर खड़े ऐसे मुद्दे अक्सर समाज को विचार-विमर्श और टकराव, दोनों की ओर ले जाते हैं। हाल ही में पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (एएसआई) के पूर्व क्षेत्रीय निदेशक के.के. मुहम्मद ने एक इंटरव्यू में सुझाव दिया है कि धार्मिक विवादों को अयोध्या, मथुरा और ज्ञानवापी जैसे तीन स्थलों तक सीमित रखा जाए। उन्होंने ताजमहल के “हिंदू मूल” के दावों को पूरी तरह खारिज करते हुए चेताया कि नए और आधारहीन दावे सामाजिक तनाव को और बढ़ाएँगे। उनका यह बयान ऐसे समय में आया है जब देश के कई हिस्सों में धार्मिक स्थलों को लेकर अदालती कार्यवाहियाँ जारी हैं और जनमत निरंतर विभाजित हो रहा है। यह लेख इसी पृष्ठभूमि में यह समझने का प्रयास करता है कि क्या और अधिक विवाद उठाना न्याय की ओर बढ़ना होगा या केवल तनाव को ही बढ़ाएगा। ऐतिहासिक संदर्भ भारत का इतिहास धार्मिक संरचनाओं के निर्माण–विध्वंस और पुनर्निर्माण की घटनाओं से भरा पड़ा...

Pope Leo XIV’s Lebanon Visit: A New Era of Peace, Interfaith Dialogue, and Middle East Religious Diplomacy

पोप लियो XIV का लेबनान दौरा: मध्य पूर्व में धार्मिक कूटनीति का पुनरुत्थान सारांश यह लेख 30 नवंबर से 2 दिसंबर 2025 के बीच संपन्न पोप लियो XIV के लेबनान दौरे का विश्लेषण प्रस्तुत करता है, जो आधुनिक धार्मिक कूटनीति के परिप्रेक्ष्य में एक महत्वपूर्ण अध्याय माना जा रहा है। मध्य पूर्व के राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक संकटों के बीच, पोप की यह यात्रा न केवल लेबनान के लिए एक नैतिक समर्थन थी, बल्कि वैश्विक शांति, धार्मिक संवाद और मानवीय मूल्यों के संरक्षण की दिशा में एक व्यापक संदेश भी थी। लेख में इस यात्रा का ऐतिहासिक संदर्भ, राजनीतिक-धार्मिक आयाम, सांकेतिक यात्रा-स्थल, तथा इसके परिणामों का विश्लेषण किया गया है। 1. प्रस्तावना धार्मिक नेतृत्व इतिहास में अनेक बार वैश्विक संघर्षों के मध्य शांति के स्वर के रूप में उभरा है। 2025 में कैथोलिक चर्च के सर्वोच्च पद पर निर्वाचित पहले अमेरिकी मूल के पोप, लियो XIV, इसी परंपरा के वाहक प्रतीत होते हैं। अपनी पोंटिफिकेट की प्रारंभिक अवस्था में ही तुर्की और लेबनान जैसे संवेदनशील देशों का चयन करना इस बात का संकेत था कि उनका नेतृत्व केवल धार्मिक सीमाओं तक सीमित...

Declining Quality of India’s Legislative Process: Impact of Passing 70% Bills Without Committee Review in 2025

“भारत की घटती विधायी गुणवत्ता: 2025 में 70% विधेयक बिना समिति परीक्षण के पारित होने के प्रभाव” प्रस्तावना भारत की संसदीय प्रणाली विश्व की सबसे विशाल और बहुस्तरीय लोकतांत्रिक संरचनाओं में से एक है। तथापि, पिछले एक दशक में संसद की विधायी प्रक्रिया में एक चिंताजनक प्रवृत्ति उभरी है—विधेयकों को बिना विभागीय स्थायी समितियों (Departmentally Related Standing Committees – DRSCs) के परीक्षण के सीधे पारित करना। PRS Legislative Research के आंकड़े बताते हैं कि 16वीं लोकसभा (2014–2019) में जहाँ केवल 25% विधेयक बिना समिति परीक्षण के पारित हुए थे, वहीं 17वीं लोकसभा (2019–2024) में यह संख्या बढ़कर 60% हो गई। 18वीं लोकसभा के प्रारंभिक तीन सत्रों (जून 2024–अगस्त 2025) के दौरान यह आँकड़ा और बढ़कर 70% तक पहुँच गया। वर्ष 2025 के तीनों सत्रों (बजट, मानसून और शीतकालीन) के दौरान कुल 47 विधेयकों में से केवल 14 ही समिति को भेजे गए। यह प्रवृत्ति न केवल संख्यात्मक रूप से चिंताजनक है, बल्कि यह भारत के लोकतांत्रिक विधिनिर्माण की गुणवत्ता, पारदर्शिता और जवाबदेही की मूलभूत संरचनाओं पर गंभीर प्रभाव छोड़ती है। स्थ...

Manipur GST Second Amendment Bill 2025: Impact on India’s Federal Fiscal Coordination

मणिपुर जीएसटी द्वितीय संशोधन विधेयक 2025: भारत के संघीय राजकोषीय समन्वय पर प्रभाव सार भारत में वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) व्यवस्था, 2017 में लागू होने के बाद से, एक विभाजित अप्रत्यक्ष कर प्रणाली से एकीकृत, पारदर्शी और सहकारी संघवाद की दिशा में महत्वपूर्ण कदम रही है। हाल में 1 दिसंबर 2025 को लोकसभा द्वारा पारित मणिपुर वस्तु एवं सेवा कर (द्वितीय संशोधन) विधेयक, 2025 यह दर्शाता है कि राज्य-स्तरीय कानूनों को केंद्र के साथ कितनी निरंतरता से समन्वित रखना आवश्यक है। यह विधेयक 7 अक्टूबर 2025 को लागू अध्यादेश का स्थान लेता है, जो 56वीं जीएसटी परिषद द्वारा तय दर-तर्कसंगतिकरण (rate rationalization) को लागू करने हेतु जारी किया गया था। मणिपुर में राष्ट्रपति शासन, शीतकालीन सत्र की जटिल संसदीय पृष्ठभूमि और परोक्ष कर सुधारों के व्यापक संदर्भ—सभी मिलकर इस विधायी कार्रवाई को संघवाद, कार्यपालिका-विधायिका संतुलन तथा राजकोषीय संघवाद की दृष्टि से विश्लेषण योग्य बनाते हैं। यह लेख विधेयक की प्रमुख विशेषताओं, इसके विधायी मार्ग, तथा भारत के कर-परिदृश्य पर इसके प्रभावों का अध्ययन करता है। 1. प्रस्तावना भार...

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Justice Suryakant Becomes the 53rd Chief Justice of India: A New Direction for the Judiciary and Key Constitutional Challenges

भारत के 53वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में न्यायमूर्ति सूर्य कांत : न्यायपालिका की नई दिशा का उद्घोष 24 नवंबर 2025 भारतीय न्यायपालिका के इतिहास में एक नए अध्याय का आरंभ होगा, जब न्यायमूर्ति सूर्य कांत भारत के 53वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ ग्रहण करेंगे। वे न्यायमूर्ति भूषण रामकृष्ण गवई के उत्तराधिकारी बनेंगे, जिनका कार्यकाल 23 नवंबर 2025 को समाप्त हुआ। न्यायमूर्ति गवई की विदाई न केवल एक संवैधानिक पदावनति का क्षण थी, बल्कि सामाजिक न्याय की यात्रा में एक महत्त्वपूर्ण पड़ाव भी—क्योंकि वे स्वतंत्र भारत के प्रथम बौद्ध और दूसरे दलित मुख्य न्यायाधीश रहे। न्यायमूर्ति बी.आर. गवई : संवैधानिक साहस और सामाजिक न्याय की विरासत न्यायमूर्ति गवई का कार्यकाल कई दृष्टियों से ऐतिहासिक रहा। उन्होंने उन पीठों का नेतृत्व या सदस्यता निभाई, जिनके निर्णयों ने भारतीय संघवाद, लोकतांत्रिक जवाबदेही और व्यक्तिगत अधिकारों के विमर्श को गहराई से प्रभावित किया। अनुच्छेद 370 निर्णय संविधान पीठ के सदस्य के रूप में उन्होंने जम्मू-कश्मीर की विशेष स्थिति समाप्त करने के केंद्र सरकार के निर्णय को संवैधानिक ठहराने ...

IAS Santosh Verma Controversy: How a Reservation Remark Turned Daughters into “Objects of Donation”

IAS संतोष वर्मा का विवादित बयान – जब आरक्षण की आड़ में बेटियों को “दान” की वस्तु बना दिया गया नमस्कार साथियों, कभी-कभी एक वाक्य इतना शक्तिशाली होता है कि वह पूरे समाज की धड़कनें बदल देता है। आईएएस संतोष वर्मा का हालिया बयान बिल्कुल ऐसा ही था—चिंगारी की तरह फेंका गया और पलक झपकते ही आग बन गया। उन्होंने कहा— “जब तक ब्राह्मण अपनी बेटी मेरे बेटे को दान नहीं देगा, तब तक आरक्षण जारी रहना चाहिए।” इस एक वाक्य ने पूरे मध्यप्रदेश की राजनीति, समाज और प्रशासन को हिला दिया। सड़कें गरम, सोशल मीडिया उफान पर, और सरकार ने तत्काल कार्रवाई करते हुए उन्हें निलंबित कर दिया। लेकिन इस विवाद के शोर में एक बहुत महत्वपूर्ण सवाल दब गया— क्या अंतरजातीय विवाह वास्तव में सामाजिक बराबरी का सटीक पैमाना हैं? विवाद का संक्षिप्त लेकिन पूरा घटनाक्रम 23 नवंबर 2025 – भोपाल, अंबेडकर मैदान। अनुसूचित जाति-जनजाति अधिकारी-कर्मचारी संघ (AJAKS) की बैठक में नए अध्यक्ष संतोष वर्मा भाषण दे रहे थे। आरक्षण पर बहस के बीच उन्होंने “रोटी-बेटी संबंध” का जिक्र किया—जो कई नेता पहले भी करते रहे हैं। लेकिन आगे जो कहा, वही विस...

Fatima Bosch Fernández and Miss Universe Controversy: A New Global Debate on Gender Respect and Dignity

फ़ातिमा बोश फ़र्नांडीज़ और मिस यूनिवर्स विवाद: गरिमा, लैंगिक सम्मान और वैश्विक विमर्श का नया अध्याय भूमिका मिस यूनिवर्स जैसी प्रतियोगिताएँ अक्सर ग्लैमर और मनोरंजन की सुर्खियों तक सीमित मानी जाती हैं, लेकिन वर्ष 2025 की विजेता फ़ातिमा बोश फ़र्नांडीज़ के इर्द-गिर्द उभरा घटनाक्रम इससे कहीं अधिक व्यापक सामाजिक संदेश देता है। केवल कुछ दिन पहले एक प्रभावशाली अधिकारी द्वारा कैमरे के सामने “ dumb ” कहकर उनका अपमान किया गया। किंतु परिणाम घोषित होते ही वही महिला—दृढ़, शांत और आत्मविश्वासी—वैश्विक मंच पर सौंदर्य से अधिक सम्मान और सहनशक्ति का प्रतीक बनकर उभरी। यह विवाद केवल एक मॉडल की व्यक्तिगत यात्रा नहीं है; यह लैंगिक गरिमा , सार्वजनिक भाषा की मर्यादा , कार्यस्थल में शक्ति असमानता , और महिला-सम्मान से जुड़ी व्यापक समस्याओं को उजागर करता है। UPSC के दृष्टिकोण से यह घटना सामाजिक-नैतिक मूल्यों , महिला अधिकारों , और सार्वजनिक संस्थानों की जवाबदेही जैसे बड़े विमर्शों से जुड़ी है। घटना का सार 16 नवंबर 2025 को आयोजित मिस यूनिवर्स प्रतियोगिता के दौरान एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि फ़ातिमा “du...

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मंदिर–मस्जिद विवाद: समाधान का मार्ग या तनाव का विस्तार? एक समग्र विश्लेषण परिचय भारतीय समाज में धार्मिक स्थलों को लेकर उत्पन्न होने वाले विवाद कोई नई बात नहीं हैं। इतिहास, आस्था और राजनीति—इन तीनों के संगम पर खड़े ऐसे मुद्दे अक्सर समाज को विचार-विमर्श और टकराव, दोनों की ओर ले जाते हैं। हाल ही में पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (एएसआई) के पूर्व क्षेत्रीय निदेशक के.के. मुहम्मद ने एक इंटरव्यू में सुझाव दिया है कि धार्मिक विवादों को अयोध्या, मथुरा और ज्ञानवापी जैसे तीन स्थलों तक सीमित रखा जाए। उन्होंने ताजमहल के “हिंदू मूल” के दावों को पूरी तरह खारिज करते हुए चेताया कि नए और आधारहीन दावे सामाजिक तनाव को और बढ़ाएँगे। उनका यह बयान ऐसे समय में आया है जब देश के कई हिस्सों में धार्मिक स्थलों को लेकर अदालती कार्यवाहियाँ जारी हैं और जनमत निरंतर विभाजित हो रहा है। यह लेख इसी पृष्ठभूमि में यह समझने का प्रयास करता है कि क्या और अधिक विवाद उठाना न्याय की ओर बढ़ना होगा या केवल तनाव को ही बढ़ाएगा। ऐतिहासिक संदर्भ भारत का इतिहास धार्मिक संरचनाओं के निर्माण–विध्वंस और पुनर्निर्माण की घटनाओं से भरा पड़ा...

DynamicGK.in: Rural and Hindi Background Candidates UPSC and Competitive Exam Preparation

डायनामिक जीके: ग्रामीण और हिंदी पृष्ठभूमि के अभ्यर्थियों के सपनों को साकार करने का सहायक लेखक: RITU SINGH भारत जैसे विविधतापूर्ण देश में प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी एक चुनौतीपूर्ण यात्रा है, खासकर उन अभ्यर्थियों के लिए जो ग्रामीण इलाकों से आते हैं या हिंदी माध्यम से शिक्षा प्राप्त कर चुके हैं। अंग्रेजी-प्रधान संसाधनों की भरमार में हिंदी भाषी छात्रों को अक्सर कठिनाई होती है। ऐसे में dynamicgk.in जैसी वेबसाइट एक वरदान साबित हो रही है। यह न केवल सामान्य ज्ञान (जीके) और समसामयिक घटनाओं पर केंद्रित है, बल्कि ग्रामीण और हिंदी पृष्ठभूमि के युवाओं के सपनों को साकार करने में विशेष रूप से सहायक भूमिका निभा रही है। इस लेख में हम समझेंगे कि यह प्लेटफॉर्म कैसे इन अभ्यर्थियों की मदद करता है। हिंदी माध्यम की पहुंच: भाषा की बाधा को दूर करना ग्रामीण भारत में अधिकांश छात्र हिंदी माध्यम से पढ़ते हैं, लेकिन अधिकांश प्रतियोगी परीक्षा संसाधन अंग्रेजी में उपलब्ध होते हैं। dynamicgk.in इस कमी को पूरा करता है। वेबसाइट का अधिकांश कंटेंट हिंदी में उपलब्ध है, जो हिंदी भाषी अभ्यर्थियों को सहज रूप से समझने में मद...

India’s Strong Economic Momentum: A Comprehensive Analysis of Q2 FY26 GDP Growth Amid Global Challenges

भारत की सुदृढ़ आर्थिक प्रगति: वैश्विक चुनौतियों के बीच Q2 FY26 की GDP वृद्धि का विश्लेषण भारत की अर्थव्यवस्था ने एक बार फिर अपनी अंतर्निहित मजबूती का परिचय दिया है। वित्त वर्ष 2025-26 (FY26) की दूसरी तिमाही के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) के आंकड़े इस तथ्य को मजबूती से रेखांकित करते हैं कि वैश्विक अनिश्चितताओं—विशेषकर अमेरिकी व्यापार शुल्कों—के बावजूद भारत की विकास गति प्रभावशाली बनी हुई है। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) द्वारा जारी प्रारंभिक अनुमानों के अनुसार, वास्तविक GDP वृद्धि 8.2% तक पहुँच गई, जो पिछले वर्ष की समान तिमाही के 5.6% और चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही के 7.8% से स्पष्ट रूप से अधिक है। यह छह तिमाहियों में सर्वाधिक वृद्धि है, जो भारत की आर्थिक संरचना की सहनशीलता और नीति-निर्माण की तत्परता को दर्शाती है। क्षेत्रीय प्रदर्शन: विकास का आधारभूत ढाँचा Q2 FY26 की वृद्धि का स्रोत व्यापक और बहुआयामी रहा। विनिर्माण, निर्माण और सेवाओं—इन तीनों क्षेत्रों ने मिलकर विकास को न केवल मजबूत आधार दिया, बल्कि संतुलन भी सुनिश्चित किया। 1. विनिर्माण—स्वदेशी उत्पादन का उभार विनिर्माण क्षे...

Parasocial Relationships in the AI Era: Why Cambridge’s 2025 Word of the Year Signals a New Social Reality

पैरासोशल संबंधों का उदय—डिजिटल युग का नया सामाजिक संकट कैम्ब्रिज डिक्शनरी द्वारा वर्ष 2025 के लिए “parasocial” शब्द को वर्ड ऑफ द ईयर घोषित किया जाना मात्र भाषाई घटना नहीं, बल्कि हमारे समय के सामाजिक परिवर्तन का दस्तावेज़ है। यह उस युग की स्वीकृति है जहाँ मनुष्य का गहनतम संबंध किसी जीवित व्यक्ति से नहीं, बल्कि एक एल्गोरिदम या स्क्रीन पर दिखने वाली हस्ती से बन रहा है। एकतरफा घनिष्ठता की जड़ें 1956 में हॉर्टन और वोल ने पैरासोशलिटी को उस भ्रमपूर्ण संबंध के रूप में परिभाषित किया जहाँ दर्शक किसी मीडिया हस्ती के प्रति घनिष्ठता महसूस करता है, जबकि वह हस्ती उससे पूर्णतः अनजान रहती है। तब यह अनुभव रेडियो और टीवी तक सीमित था—एकतरफा, पर नियंत्रित। परन्तु आज यह अवधारणा नियंत्रण से बाहर जा चुकी है। AI ने पैरासोशल संबंधों को नया रुप दिया कैम्ब्रिज डिक्शनरी ने इस वर्ष एक साहसिक कदम उठाते हुए पैरासोशल की परिभाषा में AI और बड़े भाषा मॉडल्स के साथ बनने वाले भावनात्मक लगाव को भी शामिल कर लिया है। यह निर्णय बताता है कि तकनीक अब केवल उपकरण नहीं, बल्कि रिश्तों का विकल्प बन चुकी है। Replika, Charact...

UPSC 2024 Topper Shakti Dubey’s Strategy: 4-Point Study Plan That Led to Success in 5th Attempt

UPSC 2024 टॉपर शक्ति दुबे की रणनीति: सफलता की चार सूत्रीय योजना से सीखें स्मार्ट तैयारी का मंत्र लेखक: Arvind Singh PK Rewa | Gynamic GK परिचय: हर साल UPSC सिविल सेवा परीक्षा लाखों युवाओं के लिए एक सपना और संघर्ष बनकर सामने आती है। लेकिन कुछ ही अभ्यर्थी इस कठिन परीक्षा को पार कर पाते हैं। 2024 की टॉपर शक्ति दुबे ने न सिर्फ परीक्षा पास की, बल्कि एक बेहद व्यावहारिक और अनुशासित दृष्टिकोण के साथ सफलता की नई मिसाल कायम की। उनका फोकस केवल घंटों की पढ़ाई पर नहीं, बल्कि रणनीतिक अध्ययन पर था। कौन हैं शक्ति दुबे? शक्ति दुबे UPSC सिविल सेवा परीक्षा 2024 की टॉपर हैं। यह उनका पांचवां  प्रयास था, लेकिन इस बार उन्होंने एक स्पष्ट, सीमित और परिणामोन्मुख रणनीति अपनाई। न उन्होंने कोचिंग की दौड़ लगाई, न ही घंटों की संख्या के पीछे भागीं। बल्कि उन्होंने “टॉपर्स के इंटरव्यू” और परीक्षा पैटर्न का विश्लेषण कर अपनी तैयारी को एक फोकस्ड दिशा दी। शक्ति दुबे की UPSC तैयारी की चार मजबूत आधारशिलाएँ 1. सुबह की शुरुआत करेंट अफेयर्स से उन्होंने बताया कि सुबह उठते ही उनका पहला काम होता था – करेंट अफेयर्...