करंट अफेयर्स में छिपे UPSC मेन्स के संभावित प्रश्न प्रस्तावना UPSC सिविल सेवा परीक्षा केवल तथ्यों का संग्रह नहीं है, बल्कि सोचने, समझने और विश्लेषण करने की क्षमता की परीक्षा है। प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) तथ्यों और अवधारणाओं पर केंद्रित होती है, लेकिन मुख्य परीक्षा (Mains) विश्लेषणात्मक क्षमता, उत्तर लेखन कौशल और समसामयिक घटनाओं की समझ को परखती है। यही कारण है कि करंट अफेयर्स UPSC मेन्स की आत्मा माने जाते हैं। अक्सर देखा गया है कि UPSC सीधे समाचारों से प्रश्न नहीं पूछता, बल्कि घटनाओं के पीछे छिपे गहरे मुद्दों, नीतिगत पहलुओं और नैतिक दुविधाओं को प्रश्न में बदल देता है। उदाहरण के लिए, अगर अंतरराष्ट्रीय मंच पर जलवायु परिवर्तन की चर्चा हो रही है, तो UPSC प्रश्न पूछ सकता है — “भारत की जलवायु नीति घरेलू प्राथमिकताओं और अंतरराष्ट्रीय दबावों के बीच किस प्रकार संतुलन स्थापित करती है?” यानी, हर करंट इवेंट UPSC मेन्स के लिए एक संभावित प्रश्न छुपाए बैठा है। इस लेख में हम देखेंगे कि हाल के करंट अफेयर्स किन-किन तरीकों से UPSC मेन्स के प्रश्न बन सकते हैं, और विद्यार्थी इन्हें कैसे अपनी तै...
Germany’s Economic Slowdown vs India’s Rise: How Structural Shifts Are Redrawing Global Power Dynamics
जर्मनी की आर्थिक मंदी और भारत का उदय: संरचनात्मक परिवर्तनों का वैश्विक प्रभाव दुनिया की अर्थव्यवस्थाएँ आज जिस संक्रमणकाल से गुजर रही हैं, उसमें पारंपरिक औद्योगिक शक्तियाँ धीमी होती दिख रही हैं जबकि उभरती अर्थव्यवस्थाएँ अभूतपूर्व तेजी दर्ज कर रही हैं। यह परिदृश्य वैश्विक शक्ति-संतुलन को पुनर्परिभाषित कर रहा है। इसी व्यापक संदर्भ में जर्मनी की आर्थिक मंदी और भारत की उभरती आर्थिक शक्ति विशेष महत्व रखती है। जर्मनी, जो लगभग 5 ट्रिलियन डॉलर की नाममात्र GDP के साथ विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में स्थापित है, लगातार दो वर्षों की सुस्ती के बाद 2025 में महज़ 0.2% वृद्धि दर्ज करने की ओर बढ़ रहा है। यह स्थिति केवल एक अस्थायी गिरावट नहीं, बल्कि गहरे संरचनात्मक तनावों का संकेत है। वहीं, भारत लगभग 4 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था के साथ 7–7.5% की तेज वृद्धि दर बनाए हुए है और अगले पाँच वर्षों में विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की दहलीज पर पहुँच चुका है। जर्मनी की सुस्त अर्थव्यवस्था: गिरावट के पीछे गहरे कारण जर्मनी के आर्थिक संकट को समझने के लिए केवल वर्तमान आंकड़ों...