संघर्ष से सेवा तक: UPSC 2025 टॉपर शक्ति दुबे की प्रेरणादायक कहानी प्रयागराज की साधारण सी गलियों से निकलकर देश की सबसे प्रतिष्ठित परीक्षा UPSC सिविल सेवा 2024 (परिणाम अप्रैल 2025) में ऑल इंडिया रैंक 1 हासिल करने वाली शक्ति दुबे की कहानी किसी प्रेरणादायक उपन्यास से कम नहीं है। बायोकैमिस्ट्री में स्नातक और परास्नातक, शक्ति ने सात साल के अथक परिश्रम, असफलताओं को गले लगाने और अडिग संकल्प के बल पर यह ऐतिहासिक मुकाम हासिल किया। उनकी कहानी न केवल UPSC अभ्यर्थियों के लिए, बल्कि हर उस व्यक्ति के लिए प्रेरणा है जो अपने सपनों को सच करने की राह पर चल रहा है। आइए, उनके जीवन, संघर्ष, रणनीति और सेवा की भावना को और करीब से जानें। पारिवारिक और शैक्षणिक पृष्ठभूमि: नींव की मजबूती शक्ति दुबे का जन्म प्रयागराज में एक ऐसे परिवार में हुआ, जहां शिक्षा, अनुशासन और देशसेवा को सर्वोपरि माना जाता था। उनके पिता एक पुलिस अधिकारी हैं, जिनके जीवन से शक्ति ने बचपन से ही कर्तव्यनिष्ठा और समाज के प्रति जवाबदेही का पाठ सीखा। माँ का स्नेह और परिवार का अटूट समर्थन उनकी ताकत का आधार बना। शक्ति स्वयं अपनी सफलता का श्रेय अपने ...
रवींद्रनाथ टैगोर: मानवता, सौहार्द और सभ्यता के शाश्वत संदेशवाहक प्रस्तावना: एक युगदृष्टा की प्रासंगिकता आज की दुनिया, जहां सामाजिक ध्रुवीकरण, पर्यावरणीय संकट और संकीर्ण राष्ट्रवाद तेजी से बढ़ रहे हैं, हमें ऐसे विचारकों की आवश्यकता है जो मानवता को एकजुट करने वाले मूल्यों की बात करें। रवींद्रनाथ टैगोर (1861–1941)—कवि, दार्शनिक, शिक्षाविद्, और साहित्य में पहले गैर-यूरोपीय नोबेल पुरस्कार विजेता—ऐसे ही युगदृष्टा थे। उनकी रचनाएँ, जैसे गीतांजलि, राष्ट्रवाद, और घरे बाइरे, केवल साहित्यिक कृतियाँ नहीं, बल्कि मानवता, नैतिकता और सांस्कृतिक एकता के लिए एक जीवंत घोषणापत्र हैं। टैगोर का दर्शन आज भी भारत और विश्व के सामने खड़ी चुनौतियों—जैसे सामाजिक असमानता, पर्यावरणीय विनाश, और वैश्विक तनाव—के लिए समाधान सुझाता है। यह लेख टैगोर के विचारों को समकालीन संदर्भों में विश्लेषित करता है, जो UPSC जैसे मंचों पर गहन चिंतन की माँग करता है। राष्ट्रवाद पर टैगोर की दूरदृष्टि: सीमाओं से परे एक दृष्टिकोण टैगोर का राष्ट्रवाद पर विचार आज भी उतना ही क्रांतिकारी है, जितना 20वीं सदी की शुरुआत में था। जब भारत औपनिवेशिक शा...