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UPSC CSE 2024 Topper: शक्ति दुबे बनीं पहली रैंक होल्डर | जानिए उनकी सफलता की कहानी

संघर्ष से सेवा तक: UPSC 2025 टॉपर शक्ति दुबे की प्रेरणादायक कहानी प्रयागराज की साधारण सी गलियों से निकलकर देश की सबसे प्रतिष्ठित परीक्षा UPSC सिविल सेवा 2024 (परिणाम अप्रैल 2025) में ऑल इंडिया रैंक 1 हासिल करने वाली शक्ति दुबे की कहानी किसी प्रेरणादायक उपन्यास से कम नहीं है। बायोकैमिस्ट्री में स्नातक और परास्नातक, शक्ति ने सात साल के अथक परिश्रम, असफलताओं को गले लगाने और अडिग संकल्प के बल पर यह ऐतिहासिक मुकाम हासिल किया। उनकी कहानी न केवल UPSC अभ्यर्थियों के लिए, बल्कि हर उस व्यक्ति के लिए प्रेरणा है जो अपने सपनों को सच करने की राह पर चल रहा है। आइए, उनके जीवन, संघर्ष, रणनीति और सेवा की भावना को और करीब से जानें। पारिवारिक और शैक्षणिक पृष्ठभूमि: नींव की मजबूती शक्ति दुबे का जन्म प्रयागराज में एक ऐसे परिवार में हुआ, जहां शिक्षा, अनुशासन और देशसेवा को सर्वोपरि माना जाता था। उनके पिता एक पुलिस अधिकारी हैं, जिनके जीवन से शक्ति ने बचपन से ही कर्तव्यनिष्ठा और समाज के प्रति जवाबदेही का पाठ सीखा। माँ का स्नेह और परिवार का अटूट समर्थन उनकी ताकत का आधार बना। शक्ति स्वयं अपनी सफलता का श्रेय अपने ...

Adi Shankaracharya: The Eternal Light of Indian Intellectual Tradition

 आदि शंकराचार्य: भारतीय चेतना के चिरस्थायी प्रकाश भारत की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक धरती पर कुछ ही ऐसे महापुरुष हुए हैं, जिन्होंने समय की धारा को मोड़ा और युगों तक प्रेरणा दी। आदि शंकराचार्य उनमें से एक हैं – एक ऐसी ज्योति, जिसने 8वीं शताब्दी में भारतीय बौद्धिक और आध्यात्मिक जगत को नया जीवन दिया। केरल के छोटे से कालड़ी गाँव में जन्मे इस युवा सन्यासी ने न केवल वेदों के गूढ़ ज्ञान को सरल बनाया, बल्कि उसे घर-घर तक पहुँचाकर भारत को एक सूत्र में बाँध दिया। एक युग का संकट और शंकर का उदय उस समय भारत एक बौद्धिक और धार्मिक उथल-पुथल से गुजर रहा था। अंधविश्वास, पंथों की भीड़ और बौद्ध धर्म के प्रभुत्व ने वैदिक परंपराओं को धूमिल कर दिया था। लोग सत्य की खोज में भटक रहे थे। ऐसे में शंकराचार्य ने अद्वैत वेदांत का झंडा उठाया और कहा – "सत्य एक है, बाकी सब माया है।" उनका यह संदेश सिर्फ दर्शन नहीं, बल्कि जीवन जीने का एक नया तरीका था। "अहं ब्रह्मास्मि" – मैं ही ब्रह्म हूँ शंकराचार्य का अद्वैत वेदांत सरल लेकिन गहरा है। वे कहते थे कि आत्मा और ब्रह्म में कोई अंतर नहीं। हमारी आँखों के सामने ...

UPSC Current Affairs in Hindi : 14 April 2025

दैनिक समसामयिकी लेख संकलन: 14 अप्रैल 2025  1- भारत ने विकसित की अत्याधुनिक लेज़र-निर्देशित ऊर्जा हथियार प्रणाली: रक्षा क्षेत्र में ऐतिहासिक उपलब्धि परिचय: भारत ने रक्षा क्षेत्र में एक और मील का पत्थर पार करते हुए अत्याधुनिक लेज़र-निर्देशित ऊर्जा हथियार प्रणाली (Laser-Directed Energy Weapon System) Mk-II(A) का सफल परीक्षण किया है। यह उपलब्धि रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) द्वारा रविवार को घोषित की गई। यह प्रणाली मिसाइलों, ड्रोन और अन्य छोटे प्रक्षेप्य को निष्क्रिय करने की अत्याधुनिक तकनीक पर आधारित है। तकनीकी विशेषताएं: DRDO द्वारा विकसित Mk-II(A) प्रणाली उच्च शक्ति की लेज़र ऊर्जा का प्रयोग कर लक्ष्यों को भौतिक रूप से नष्ट नहीं करती, बल्कि उन्हें अकार्यक्षम बनाकर निष्क्रिय कर देती है। इस प्रणाली के माध्यम से कम दूरी पर अत्यंत सटीकता के साथ उड़ती हुई वस्तुओं को रोका जा सकता है। इसमें लेज़र बीम को लक्षित वस्तु पर केंद्रित कर उसकी कार्यप्रणाली को प्रभावित किया जाता है। रणनीतिक महत्त्व: इस सफलता ने भारत को उन गिने-चुने देशों की श्रेणी में शामिल कर दिया है, जिनके पास उच्च-शक्त...

10 April 2025 Current Affairs in Hindi

UPSC CURRENT Affairs : 10 April 2025  1-ओलंपिक 2028 में क्रिकेट की वापसी: स्वर्ण पदक के लिए भिड़ेंगी 6 देशों की टीमें ओलंपिक खेलों में एक ऐतिहासिक क्षण लौटने जा रहा है, जब 2028 में लॉस एंजिलिस में होने वाले ओलंपिक गेम्स में क्रिकेट को एक बार फिर शामिल किया जाएगा। अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति ने इसकी पुष्टि कर दी है कि क्रिकेट को टी20 फॉर्मेट में खेला जाएगा, जिसमें 6 पुरुष और 6 महिला टीमों के बीच मुकाबले होंगे। यह पहली बार नहीं है जब क्रिकेट ओलंपिक में खेला जाएगा, लेकिन लंबे समय बाद इसे दोबारा जगह मिलना इस खेल के बढ़ते वैश्विक प्रभाव को दर्शाता है। खास बात यह है कि ओलंपिक 2028 में क्रिकेट में स्वर्ण पदक के लिए दुनिया की 6 प्रमुख टीमें आमने-सामने होंगी। सूत्रों के अनुसार, इन मुकाबलों को टी20 प्रारूप में आयोजित किया जाएगा, जो तेज़, रोमांचक और दर्शकों में लोकप्रिय है। क्रिकेट को ओलंपिक में शामिल करने का उद्देश्य इस खेल को और अधिक वैश्विक बनाना है, जिससे अमेरिका सहित अन्य गैर-पारंपरिक क्रिकेट खेलने वाले देशों में इसकी लोकप्रियता बढ़ाई जा सके। खास तौर पर महिला क्रिकेट को ओलंपिक में शामिल क...

Manoj Kumar: The Face of Patriotism in Indian Cinema

मनोज कुमार : सिनेमा के परदे पर राष्ट्रभक्ति की संजीवनी भारतीय सिनेमा ने न केवल मनोरंजन का माध्यम बनकर जनमानस को आकर्षित किया है, बल्कि सामाजिक चेतना, सांस्कृतिक मूल्यों और राष्ट्रभक्ति की भावना को भी मजबूती प्रदान की है। इस दिशा में मनोज कुमार एक ऐसे अभिनेता, निर्देशक और निर्माता के रूप में उभरे, जिन्होंने फिल्मों के ज़रिए भारत की आत्मा को सजीव किया। देशभक्ति की भावना से ओतप्रोत उनकी फिल्मों ने उन्हें "भारत कुमार" की उपाधि दिलाई। 1965 में आई फिल्म ‘शहीद’ में भगत सिंह की भूमिका निभाकर मनोज कुमार ने जिस जीवंतता से क्रांतिकारी चेतना को परदे पर उतारा, वह आज भी दर्शकों के मन में ताजा है। इसके बाद ‘उपकार’ (1967) में उन्होंने ‘जय जवान, जय किसान’ के संदेश को सिनेमाई भाषा में ढालकर राष्ट्रीय नेतृत्व के नारे को जन-जन तक पहुँचाया। उनके निर्देशन में बनी ‘पूरब और पश्चिम’, ‘रोटी कपड़ा और मकान’ और ‘क्रांति’ जैसी फिल्में महज फिल्म नहीं थीं, बल्कि वे एक विचार थीं—भारत के सांस्कृतिक आत्मबोध की। मनोज कुमार का सिनेमा केवल भावनात्मक उभार तक सीमित नहीं था, बल्कि उन्होंने सामाजिक यथार्थ को भ...

जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र की नई रिपोर्ट: एक गंभीर चेतावनी

जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र की नई रिपोर्ट: एक गंभीर चेतावनी हाल ही में संयुक्त राष्ट्र द्वारा जारी की गई जलवायु परिवर्तन पर रिपोर्ट ने वैश्विक समुदाय को एक बार फिर इस मुद्दे की गंभीरता से अवगत कराया है। यह रिपोर्ट बताती है कि वैश्विक तापमान में वृद्धि अब 1.5 डिग्री सेल्सियस की सीमा के बेहद करीब पहुंच चुकी है, जो एक खतरनाक संकेत है। अगर समय रहते प्रभावी कदम नहीं उठाए गए, तो इसके परिणाम विनाशकारी हो सकते हैं, और मानवता को इसके लिए तैयार नहीं पाया जाएगा। वैश्विक स्तर पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव 1. प्राकृतिक आपदाओं में वृद्धि ग्लोबल वार्मिंग के कारण बाढ़, सूखा, चक्रवात, और हीटवेव जैसी प्राकृतिक आपदाओं की संख्या और तीव्रता में तेजी से इजाफा हो रहा है। यह आपदाएं न केवल जान-माल की हानि करती हैं, बल्कि सामाजिक और आर्थिक व्यवस्था को भी गहरा आघात पहुंचाती हैं। रिपोर्ट में स्पष्ट किया गया है कि यदि तापमान इसी तरह बढ़ता रहा, तो ऐसी घटनाएं सामान्य होती जाएंगी। 2. जैव विविधता का नुकसान जलवायु परिवर्तन का एक और गंभीर प्रभाव जैव विविधता पर पड़ रहा है। तापमान में वृद्धि और पर्यावरणीय असंतुलन के...

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