सत्यकथा: सरहद की एक माँ भारत-पाक सीमा पर माँ-बेटे की जुदाई: एक मर्मस्पर्शी मानवीय संकट अटारी बॉर्डर पर ठंडी हवाएँ चल रही थीं, पर फ़रहीन की आँखों से गर्म आँसुओं की धार थमने का नाम नहीं ले रही थी। उसके कांपते हाथों में 18 महीने का मासूम बेटा सिकुड़ा हुआ था, जैसे उसे भी पता हो कि कुछ अनहोनी होने वाली है। सिर पर दुपट्टा था, पर चेहरे पर मातृत्व की वेदना ने जैसे सारी दुनिया की नज़रों को थाम रखा था। "उतर जा बेटा... उतर जा," — सास सादिया की आवाज़ रिक्शे के भीतर से आई, लेकिन वह आवाज़ न तो कठोर थी, न ही साधारण। वह टूटे हुए रिश्तों की वह कराह थी जिसे सिर्फ़ एक माँ ही समझ सकती है। रिक्शा भारत की ओर था, पर फ़रहीन को पाकिस्तान जाना था—अपनी जन्मभूमि, पर अब बेगानी सी लगने लगी थी। फ़रहीन, प्रयागराज के इमरान से दो साल पहले ब्याही गई थी। प्यार हुआ, निकाह हुआ और फिर इस प्यार की निशानी—एक नन्हा बेटा हुआ। बेटे का नाम उन्होंने आरिफ़ रखा था, जिसका मतलब होता है—“जानने वाला, पहचानने वाला।” लेकिन आज वो नन्हा आरिफ़ समझ नहीं पा रहा था कि उसकी माँ उसे क्यों छोड़ रही है। "मैं माँ हूँ... कोई अपराधी नही...
मोटापे के खिलाफ जंग: प्रधानमंत्री मोदी की पहल और हमारी जिम्मेदारी भूमिका मोटापा (Obesity) आज वैश्विक स्वास्थ्य संकट का रूप ले चुका है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, हर आठ में से एक व्यक्ति मोटापे से ग्रस्त है, और भारत में भी यह समस्या तेजी से बढ़ रही है। हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने लोकप्रिय रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ में इस मुद्दे पर चर्चा की और इसे रोकने के लिए जनभागीदारी की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने मोटापे के खिलाफ एक राष्ट्रीय अभियान की घोषणा की और समाज की प्रतिष्ठित हस्तियों को इस मुहिम से जोड़ने का आह्वान किया। प्रधानमंत्री मोदी की इस पहल का उद्देश्य केवल एक स्वास्थ्य अभियान तक सीमित नहीं है, बल्कि यह भारत को एक स्वस्थ और आत्मनिर्भर राष्ट्र बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है। यह लेख मोटापे के बढ़ते खतरे, इसके दुष्प्रभावों और मोदी सरकार द्वारा इस दिशा में उठाए गए कदमों पर प्रकाश डालेगा। मोटापा: एक गंभीर समस्या मोटापा केवल एक व्यक्तिगत स्वास्थ्य समस्या नहीं है, बल्कि यह एक सामाजिक और आर्थिक चुनौती भी बन चुका है। खराब खान-पान, शारीरिक गतिविधियों की कमी ...