करंट अफेयर्स में छिपे UPSC मेन्स के संभावित प्रश्न प्रस्तावना UPSC सिविल सेवा परीक्षा केवल तथ्यों का संग्रह नहीं है, बल्कि सोचने, समझने और विश्लेषण करने की क्षमता की परीक्षा है। प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) तथ्यों और अवधारणाओं पर केंद्रित होती है, लेकिन मुख्य परीक्षा (Mains) विश्लेषणात्मक क्षमता, उत्तर लेखन कौशल और समसामयिक घटनाओं की समझ को परखती है। यही कारण है कि करंट अफेयर्स UPSC मेन्स की आत्मा माने जाते हैं। अक्सर देखा गया है कि UPSC सीधे समाचारों से प्रश्न नहीं पूछता, बल्कि घटनाओं के पीछे छिपे गहरे मुद्दों, नीतिगत पहलुओं और नैतिक दुविधाओं को प्रश्न में बदल देता है। उदाहरण के लिए, अगर अंतरराष्ट्रीय मंच पर जलवायु परिवर्तन की चर्चा हो रही है, तो UPSC प्रश्न पूछ सकता है — “भारत की जलवायु नीति घरेलू प्राथमिकताओं और अंतरराष्ट्रीय दबावों के बीच किस प्रकार संतुलन स्थापित करती है?” यानी, हर करंट इवेंट UPSC मेन्स के लिए एक संभावित प्रश्न छुपाए बैठा है। इस लेख में हम देखेंगे कि हाल के करंट अफेयर्स किन-किन तरीकों से UPSC मेन्स के प्रश्न बन सकते हैं, और विद्यार्थी इन्हें कैसे अपनी तै...
ट्यूनीशिया में पर्यावरणीय संकट और जन आंदोलन: गबेस के फॉस्फेट संयंत्रों का प्रभाव भूमिका उत्तरी अफ्रीका का छोटा किन्तु ऐतिहासिक रूप से समृद्ध देश ट्यूनीशिया आज एक गहरे पर्यावरणीय संकट से जूझ रहा है। अपनी भूमध्यसागरीय तटीय सुंदरता, जैव विविधता और कृषि परंपराओं के लिए प्रसिद्ध यह देश अब औद्योगिक प्रदूषण की चपेट में है। विशेषकर गबेस (Gabès) क्षेत्र में फॉस्फेट उद्योग के प्रसार ने न केवल स्थानीय पर्यावरण को दूषित किया है, बल्कि सामाजिक असंतोष और जन आंदोलन की चिंगारी भी भड़का दी है। यह संकट केवल पर्यावरणीय असंतुलन का मामला नहीं है, बल्कि यह आर्थिक नीति, सामाजिक न्याय और पर्यावरणीय जिम्मेदारी के बीच के संघर्ष का प्रतीक बन गया है। गबेस: औद्योगिक विकास बनाम पर्यावरणीय विनाश गबेस ट्यूनीशिया का एक तटीय क्षेत्र है, जिसे कभी “हरी नखलिस्तान” कहा जाता था। यहां के तटीय लैगून, खजूर के बागान और समुद्री जैव विविधता देश की पर्यावरणीय धरोहर थे। परंतु 1970 के दशक में जब सरकार ने राज्य रासायनिक समूह (Groupe Chimique Tunisien) के माध्यम से फॉस्फेट प्रसंस्करण संयंत्रों की स्थापना की, तब से यह क्षेत्र ...