करंट अफेयर्स में छिपे UPSC मेन्स के संभावित प्रश्न प्रस्तावना UPSC सिविल सेवा परीक्षा केवल तथ्यों का संग्रह नहीं है, बल्कि सोचने, समझने और विश्लेषण करने की क्षमता की परीक्षा है। प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) तथ्यों और अवधारणाओं पर केंद्रित होती है, लेकिन मुख्य परीक्षा (Mains) विश्लेषणात्मक क्षमता, उत्तर लेखन कौशल और समसामयिक घटनाओं की समझ को परखती है। यही कारण है कि करंट अफेयर्स UPSC मेन्स की आत्मा माने जाते हैं। अक्सर देखा गया है कि UPSC सीधे समाचारों से प्रश्न नहीं पूछता, बल्कि घटनाओं के पीछे छिपे गहरे मुद्दों, नीतिगत पहलुओं और नैतिक दुविधाओं को प्रश्न में बदल देता है। उदाहरण के लिए, अगर अंतरराष्ट्रीय मंच पर जलवायु परिवर्तन की चर्चा हो रही है, तो UPSC प्रश्न पूछ सकता है — “भारत की जलवायु नीति घरेलू प्राथमिकताओं और अंतरराष्ट्रीय दबावों के बीच किस प्रकार संतुलन स्थापित करती है?” यानी, हर करंट इवेंट UPSC मेन्स के लिए एक संभावित प्रश्न छुपाए बैठा है। इस लेख में हम देखेंगे कि हाल के करंट अफेयर्स किन-किन तरीकों से UPSC मेन्स के प्रश्न बन सकते हैं, और विद्यार्थी इन्हें कैसे अपनी तै...
Vande Mataram 1937 Controversy: Nehru’s Secular Vision and the Politics of National Symbols in India
वन्दे मातरम् का 1937 में संक्षिप्तीकरण: राष्ट्रवाद, समावेशिता और राजनीतिक स्मृति का ऐतिहासिक विश्लेषण परिचय भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन की आत्मा को अगर किसी एक गीत ने सबसे गहराई से व्यक्त किया, तो वह था वन्दे मातरम् । 1876 में बंकिमचन्द्र चट्टोपाध्याय द्वारा रचित यह गीत केवल एक साहित्यिक सृजन नहीं था—यह भारत के उभरते राष्ट्रवाद का घोष बन गया। आनन्दमठ उपन्यास में शामिल यह रचना मातृभूमि को देवी स्वरूप में प्रस्तुत करती है, जो अपनी संतान के उद्धार के लिए जागृत होती है। इस गीत ने स्वतंत्रता संग्राम के दौरान क्रांतिकारियों, कवियों और नेताओं को प्रेरणा दी। रवीन्द्रनाथ टैगोर से लेकर महात्मा गांधी तक, सबने इसे जन-जागरण का प्रतीक माना। लेकिन जैसे-जैसे भारत की स्वतंत्रता की लड़ाई आगे बढ़ी, यह गीत धार्मिक प्रतीकों और राजनीतिक वास्तविकताओं के बीच विवाद का विषय बनने लगा। 1937 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने इसके कुछ अंशों को हटाने का ऐतिहासिक निर्णय लिया—एक ऐसा फैसला जिसने राष्ट्रवाद, धर्मनिरपेक्षता और समावेशिता के बीच संतुलन के प्रश्न को जन्म दिया। 7 नवम्बर 2025 को जब बंकिमचन्द्र की 150वीं जयंत...