करंट अफेयर्स में छिपे UPSC मेन्स के संभावित प्रश्न प्रस्तावना UPSC सिविल सेवा परीक्षा केवल तथ्यों का संग्रह नहीं है, बल्कि सोचने, समझने और विश्लेषण करने की क्षमता की परीक्षा है। प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) तथ्यों और अवधारणाओं पर केंद्रित होती है, लेकिन मुख्य परीक्षा (Mains) विश्लेषणात्मक क्षमता, उत्तर लेखन कौशल और समसामयिक घटनाओं की समझ को परखती है। यही कारण है कि करंट अफेयर्स UPSC मेन्स की आत्मा माने जाते हैं। अक्सर देखा गया है कि UPSC सीधे समाचारों से प्रश्न नहीं पूछता, बल्कि घटनाओं के पीछे छिपे गहरे मुद्दों, नीतिगत पहलुओं और नैतिक दुविधाओं को प्रश्न में बदल देता है। उदाहरण के लिए, अगर अंतरराष्ट्रीय मंच पर जलवायु परिवर्तन की चर्चा हो रही है, तो UPSC प्रश्न पूछ सकता है — “भारत की जलवायु नीति घरेलू प्राथमिकताओं और अंतरराष्ट्रीय दबावों के बीच किस प्रकार संतुलन स्थापित करती है?” यानी, हर करंट इवेंट UPSC मेन्स के लिए एक संभावित प्रश्न छुपाए बैठा है। इस लेख में हम देखेंगे कि हाल के करंट अफेयर्स किन-किन तरीकों से UPSC मेन्स के प्रश्न बन सकते हैं, और विद्यार्थी इन्हें कैसे अपनी तै...
रवांडा–कांगो संकट: औपनिवेशिक जातीय राजनीति से आधुनिक त्रिकोणीय संघर्ष तक पूर्वी अफ्रीका का रवांडा–कांगो क्षेत्र आज विश्व के सबसे जटिल और लंबे संघर्षों में से एक का केंद्र है। इसकी जड़ें सीधे बेल्जियम औपनिवेशिक शासन में बोए गए जातीय विष से शुरू होकर 1959 की हुतु क्रांति , 1994 के नरसंहार , तुत्सी-सत्ता की पुनर्स्थापना, लाखों हुतुओं के कांगो पलायन , और आज के M23–FDLR–FARDC त्रिकोणीय युद्ध तक फैली हैं। वर्तमान में यह संकट इतना गंभीर हो चुका है कि अमेरिका को भी बीच-बचाव के लिए हस्तक्षेप करना पड़ रहा है। नीचे पूरे घटनाक्रम को क्रमवार समझा गया है। 1. बेल्जियम शासन काल में जातीय जहर बोना (1890–1959) रवांडा में तुत्सी और हुतु ऐतिहासिक रूप से एक ही भाषा, संस्कृति और धर्म साझा करते थे। इनके बीच कोई कठोर नस्लीय अंतर नहीं था; सामाजिक भेद मुख्यतः आर्थिक था। लेकिन बेल्जियम शासन ने स्थिति बदल दी— तुत्सियों को "नस्लीय रूप से श्रेष्ठ" कहा हुतुओं को "निम्न श्रेणी" घोषित कर दिया पहचान-पत्रों में ‘Hutu–Tutsi–Twa’ स्थायी रूप से लिख दिया प्रशासन, शिक्षा, चर्च—हर जगह तुत्सियो...