करंट अफेयर्स में छिपे UPSC मेन्स के संभावित प्रश्न प्रस्तावना UPSC सिविल सेवा परीक्षा केवल तथ्यों का संग्रह नहीं है, बल्कि सोचने, समझने और विश्लेषण करने की क्षमता की परीक्षा है। प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) तथ्यों और अवधारणाओं पर केंद्रित होती है, लेकिन मुख्य परीक्षा (Mains) विश्लेषणात्मक क्षमता, उत्तर लेखन कौशल और समसामयिक घटनाओं की समझ को परखती है। यही कारण है कि करंट अफेयर्स UPSC मेन्स की आत्मा माने जाते हैं। अक्सर देखा गया है कि UPSC सीधे समाचारों से प्रश्न नहीं पूछता, बल्कि घटनाओं के पीछे छिपे गहरे मुद्दों, नीतिगत पहलुओं और नैतिक दुविधाओं को प्रश्न में बदल देता है। उदाहरण के लिए, अगर अंतरराष्ट्रीय मंच पर जलवायु परिवर्तन की चर्चा हो रही है, तो UPSC प्रश्न पूछ सकता है — “भारत की जलवायु नीति घरेलू प्राथमिकताओं और अंतरराष्ट्रीय दबावों के बीच किस प्रकार संतुलन स्थापित करती है?” यानी, हर करंट इवेंट UPSC मेन्स के लिए एक संभावित प्रश्न छुपाए बैठा है। इस लेख में हम देखेंगे कि हाल के करंट अफेयर्स किन-किन तरीकों से UPSC मेन्स के प्रश्न बन सकते हैं, और विद्यार्थी इन्हें कैसे अपनी तै...
ट्रंप का नोबेल शांति पुरस्कार का जुनून: दावे बनाम हकीकत डोनाल्ड ट्रंप का नोबेल शांति पुरस्कार का सपना 2018 से 2025 तक चर्चा में रहा है। 2018 में उन्होंने अब्राहम समझौतों को ऐतिहासिक बताकर खुद को नोबेल का हकदार ठहराया। 2025 में उनके दावे और बड़े हो गए—उन्होंने कहा कि उन्होंने सात युद्ध खत्म किए और गाजा में शांति की योजना बनाई। लेकिन क्या उनके दावे सचमुच इतने बड़े हैं, या यह सिर्फ प्रचार है? 10 अक्टूबर 2025 को नोबेल समिति की घोषणा से पहले, गाजा और यूक्रेन के संकटों के बीच यह सवाल और गहरा गया है। आलोचक इसे "प्रभुत्व, न कि संवाद" कहते हैं। आइए, सरल भाषा में उनके दावों और हकीकत की पड़ताल करें। 2018: अब्राहम समझौते और नोबेल का दावा 2018 में ट्रंप ने अब्राहम समझौतों को अपनी सबसे बड़ी उपलब्धि बताया। इन समझौतों के तहत इजरायल ने संयुक्त अरब अमीरात, बहरीन, मोरक्को और सूडान जैसे अरब देशों के साथ राजनयिक संबंध बनाए। ट्रंप ने इसे मध्य पूर्व में शांति की नींव कहा और नोबेल की मांग की। इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने भी उनका समर्थन किया। लेकिन आलोचकों का कहना है कि ये समझौते अ...