करंट अफेयर्स में छिपे UPSC मेन्स के संभावित प्रश्न प्रस्तावना UPSC सिविल सेवा परीक्षा केवल तथ्यों का संग्रह नहीं है, बल्कि सोचने, समझने और विश्लेषण करने की क्षमता की परीक्षा है। प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) तथ्यों और अवधारणाओं पर केंद्रित होती है, लेकिन मुख्य परीक्षा (Mains) विश्लेषणात्मक क्षमता, उत्तर लेखन कौशल और समसामयिक घटनाओं की समझ को परखती है। यही कारण है कि करंट अफेयर्स UPSC मेन्स की आत्मा माने जाते हैं। अक्सर देखा गया है कि UPSC सीधे समाचारों से प्रश्न नहीं पूछता, बल्कि घटनाओं के पीछे छिपे गहरे मुद्दों, नीतिगत पहलुओं और नैतिक दुविधाओं को प्रश्न में बदल देता है। उदाहरण के लिए, अगर अंतरराष्ट्रीय मंच पर जलवायु परिवर्तन की चर्चा हो रही है, तो UPSC प्रश्न पूछ सकता है — “भारत की जलवायु नीति घरेलू प्राथमिकताओं और अंतरराष्ट्रीय दबावों के बीच किस प्रकार संतुलन स्थापित करती है?” यानी, हर करंट इवेंट UPSC मेन्स के लिए एक संभावित प्रश्न छुपाए बैठा है। इस लेख में हम देखेंगे कि हाल के करंट अफेयर्स किन-किन तरीकों से UPSC मेन्स के प्रश्न बन सकते हैं, और विद्यार्थी इन्हें कैसे अपनी तै...
Deepak Prakash Sworn in as Bihar Minister in Jeans Without Fighting Election – Dynastic Politics or Fresh Blood?
बिहार में दीपक प्रकाश की नियुक्ति : वंशवादी राजनीति, संवैधानिक उपबंध और लोकतांत्रिक आदर्शों का अंतर्विरोध भूमिका 21 नवंबर 2025 को बिहार में उपेंद्र कुशवाहा के पुत्र दीपक प्रकाश को बिना किसी निर्वाचित पद पर रहते हुए मंत्री नियुक्त किया गया। शपथ ग्रहण के दौरान उनकी अनौपचारिक वेशभूषा चर्चा का विषय बनी, परंतु यह घटना महज़ व्यक्तिगत शैली का मामला नहीं है। यह भारतीय लोकतंत्र में वंशवादी राजनीति, संवैधानिक प्रावधानों के लचीले उपयोग और जन-प्रतिनिधित्व के अवमूल्यन के गहरे संकट को उजागर करती है। 1. संवैधानिक व्यवस्था : उद्देश्य और विचलन भारतीय संविधान का अनुच्छेद 164(4) यह अनुमति देता है कि कोई गैर-विधायक व्यक्ति छह माह तक मंत्री रह सकता है, बशर्ते वह इस अवधि के भीतर विधानमंडल का सदस्य बन जाए। मूल उद्देश्य —विशेषज्ञता एवं प्रशासनिक दक्षता वाले तकनीकी विशेषज्ञों को सरकार में शामिल करना—स्पष्टतः लोकतांत्रिक शासन की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए था। परंतु व्यवहार में यह प्रावधान धीरे-धीरे राजनीतिक परिवारों के उत्तराधिकार को वैधानिक स्वरूप प्रदान करने का साधन बन गया। पिछले कई दशकों में कई उदाहरण—संज...