करंट अफेयर्स में छिपे UPSC मेन्स के संभावित प्रश्न प्रस्तावना UPSC सिविल सेवा परीक्षा केवल तथ्यों का संग्रह नहीं है, बल्कि सोचने, समझने और विश्लेषण करने की क्षमता की परीक्षा है। प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) तथ्यों और अवधारणाओं पर केंद्रित होती है, लेकिन मुख्य परीक्षा (Mains) विश्लेषणात्मक क्षमता, उत्तर लेखन कौशल और समसामयिक घटनाओं की समझ को परखती है। यही कारण है कि करंट अफेयर्स UPSC मेन्स की आत्मा माने जाते हैं। अक्सर देखा गया है कि UPSC सीधे समाचारों से प्रश्न नहीं पूछता, बल्कि घटनाओं के पीछे छिपे गहरे मुद्दों, नीतिगत पहलुओं और नैतिक दुविधाओं को प्रश्न में बदल देता है। उदाहरण के लिए, अगर अंतरराष्ट्रीय मंच पर जलवायु परिवर्तन की चर्चा हो रही है, तो UPSC प्रश्न पूछ सकता है — “भारत की जलवायु नीति घरेलू प्राथमिकताओं और अंतरराष्ट्रीय दबावों के बीच किस प्रकार संतुलन स्थापित करती है?” यानी, हर करंट इवेंट UPSC मेन्स के लिए एक संभावित प्रश्न छुपाए बैठा है। इस लेख में हम देखेंगे कि हाल के करंट अफेयर्स किन-किन तरीकों से UPSC मेन्स के प्रश्न बन सकते हैं, और विद्यार्थी इन्हें कैसे अपनी तै...
ईरान का जल-संकट: आत्मनिर्भरता की कीमत और भविष्य की दिशा मध्य पूर्व की भू-राजनीति में ईरान हमेशा ऊर्जा, तेल और क्षेत्रीय प्रभाव के कारण सुर्खियों में रहा है। लेकिन आज देश एक ऐसे संकट से जूझ रहा है जो न तो जटिल कूटनीति से हल हो सकता है, न ही कठोर प्रतिबंधों से—यह है पानी की तेज़ी से घटती उपलब्धता। नवंबर 2025 तक स्थिति इतनी दयनीय हो चुकी है कि देश के कई बड़े बाँध लगभग सूख चुके हैं और 15 मिलियन आबादी वाला तेहरान अभूतपूर्व पेयजल संकट के द्वार पर खड़ा है। राष्ट्रपति द्वारा राजधानी को आंशिक रूप से खाली करने की संभावना तक पर विचार किया जाना इस त्रासदी की भयावहता को उजागर करता है। कहाँ चूका ईरान? ईरान का यह संकट अचानक नहीं आया; यह दशकों से तैयार हो रही वह आपदा है जो जलवायु परिवर्तन और नीतिगत भूलों के संगम से विस्फोटित हुई है। 1. सूखा—लेकिन केवल मौसम की गलती नहीं पिछले पाँच वर्षों में औसत वर्षा सदी के न्यूनतम स्तर पर पहुँच गई। कुछ क्षेत्रों में बारिश सामान्य से आधी रह गई। लेकिन यदि ईरान का जल-तंत्र पहले से सुदृढ़ होता तो यह कमी इस कदर विनाशकारी साबित न होती। असली समस्या संरचनात्मक है—जिसे अ...