सत्यकथा: सरहद की एक माँ भारत-पाक सीमा पर माँ-बेटे की जुदाई: एक मर्मस्पर्शी मानवीय संकट अटारी बॉर्डर पर ठंडी हवाएँ चल रही थीं, पर फ़रहीन की आँखों से गर्म आँसुओं की धार थमने का नाम नहीं ले रही थी। उसके कांपते हाथों में 18 महीने का मासूम बेटा सिकुड़ा हुआ था, जैसे उसे भी पता हो कि कुछ अनहोनी होने वाली है। सिर पर दुपट्टा था, पर चेहरे पर मातृत्व की वेदना ने जैसे सारी दुनिया की नज़रों को थाम रखा था। "उतर जा बेटा... उतर जा," — सास सादिया की आवाज़ रिक्शे के भीतर से आई, लेकिन वह आवाज़ न तो कठोर थी, न ही साधारण। वह टूटे हुए रिश्तों की वह कराह थी जिसे सिर्फ़ एक माँ ही समझ सकती है। रिक्शा भारत की ओर था, पर फ़रहीन को पाकिस्तान जाना था—अपनी जन्मभूमि, पर अब बेगानी सी लगने लगी थी। फ़रहीन, प्रयागराज के इमरान से दो साल पहले ब्याही गई थी। प्यार हुआ, निकाह हुआ और फिर इस प्यार की निशानी—एक नन्हा बेटा हुआ। बेटे का नाम उन्होंने आरिफ़ रखा था, जिसका मतलब होता है—“जानने वाला, पहचानने वाला।” लेकिन आज वो नन्हा आरिफ़ समझ नहीं पा रहा था कि उसकी माँ उसे क्यों छोड़ रही है। "मैं माँ हूँ... कोई अपराधी नही...
भारत में नया डिजिटल डेटा संरक्षण कानून: एक विस्तृत निबंध ✍️ भूमिका 21वीं सदी में डिजिटल क्रांति ने दुनिया को एक नई दिशा दी है। इंटरनेट और तकनीक के बढ़ते उपयोग ने डेटा को सबसे मूल्यवान संसाधन बना दिया है। इसी के साथ व्यक्तिगत डेटा की सुरक्षा भी एक बड़ी चुनौती बन गई है। भारत सरकार ने इस चुनौती से निपटने के लिए डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन अधिनियम (DPDP Act), 2023 को पारित किया। यह कानून नागरिकों की गोपनीयता की रक्षा करने और डेटा के दुरुपयोग को रोकने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। मार्च 2025 में सरकार ने इस कानून में संशोधन बिल पेश किया, जिसका उद्देश्य इसे अधिक प्रभावी और व्यावहारिक बनाना है। यह लेख भारत में नए डिजिटल कानून की प्रमुख विशेषताओं, चुनौतियों, प्रभाव और वैश्विक परिप्रेक्ष्य का विस्तार से विश्लेषण करेगा। ✅ डिजिटल कानून की पृष्ठभूमि और आवश्यकता भारत में डेटा सुरक्षा को लेकर मजबूत कानून की मांग लंबे समय से हो रही थी। 2017 का जस्टिस पुट्टस्वामी फैसला (अनुच्छेद 21 के तहत गोपनीयता को मौलिक अधिकार घोषित किया गया) डेटा सुरक्षा कानून की नींव बना। 2018: जस्टिस बी.एन. श...