संघर्ष से सेवा तक: UPSC 2025 टॉपर शक्ति दुबे की प्रेरणादायक कहानी प्रयागराज की साधारण सी गलियों से निकलकर देश की सबसे प्रतिष्ठित परीक्षा UPSC सिविल सेवा 2024 (परिणाम अप्रैल 2025) में ऑल इंडिया रैंक 1 हासिल करने वाली शक्ति दुबे की कहानी किसी प्रेरणादायक उपन्यास से कम नहीं है। बायोकैमिस्ट्री में स्नातक और परास्नातक, शक्ति ने सात साल के अथक परिश्रम, असफलताओं को गले लगाने और अडिग संकल्प के बल पर यह ऐतिहासिक मुकाम हासिल किया। उनकी कहानी न केवल UPSC अभ्यर्थियों के लिए, बल्कि हर उस व्यक्ति के लिए प्रेरणा है जो अपने सपनों को सच करने की राह पर चल रहा है। आइए, उनके जीवन, संघर्ष, रणनीति और सेवा की भावना को और करीब से जानें। पारिवारिक और शैक्षणिक पृष्ठभूमि: नींव की मजबूती शक्ति दुबे का जन्म प्रयागराज में एक ऐसे परिवार में हुआ, जहां शिक्षा, अनुशासन और देशसेवा को सर्वोपरि माना जाता था। उनके पिता एक पुलिस अधिकारी हैं, जिनके जीवन से शक्ति ने बचपन से ही कर्तव्यनिष्ठा और समाज के प्रति जवाबदेही का पाठ सीखा। माँ का स्नेह और परिवार का अटूट समर्थन उनकी ताकत का आधार बना। शक्ति स्वयं अपनी सफलता का श्रेय अपने ...
संपादकीय लेख शीर्षक: ‘बराबरी’ का भ्रम: भारत की असमानता पर एक कठोर दृष्टि प्रस्तावना हाल ही में सरकार द्वारा जारी एक दावा कि "भारत अब दुनिया का चौथा सबसे समान देश है" – वैश्विक असमानता के संदर्भ में एक उत्साहवर्धक समाचार प्रतीत होता है। यह दावा 25.5 के निम्न गिनी इंडेक्स स्कोर पर आधारित है, जो 'समानता' को दर्शाता है। परंतु गहराई से देखने पर यह दावा एक भ्रम उत्पन्न करता है। कारण यह है कि यह आंकड़ा खपत (consumption) पर आधारित है, आय (income) पर नहीं – और यहीं से असल सच्चाई छुपाई जाती है। खपत और आय: एक भ्रामक तुलना भारत में आर्थिक सर्वेक्षण मुख्यतः उपभोग (spending) के आधार पर होते हैं। लेकिन आय और उपभोग में स्पष्ट असमानता होती है, खासकर समाज के उच्चतम तबके में। एक निर्धन परिवार अपनी सीमित आय का अधिकांश हिस्सा खर्च करता है, जबकि धनी वर्ग अपनी आय का एक अंश ही खर्च करता है और बाकी निवेश, बचत या विलासिता पर लगाता है – जो सर्वेक्षणों से बाहर रह जाता है। परिणामस्वरूप, गिनी इंडेक्स पर आधारित खपत आंकड़े, आय की असमानता को कृत्रिम रूप से कम करके दर्शाते हैं । वास्तविक...