Skip to main content

Posts

Showing posts with the label Economy

MENU👈

Show more

The “Bedbug Mentality” in Society: A Challenge of Exploitation and Mental Harassment

“समाज में पनपती खटमल प्रवृत्ति: शोषण और मानसिक उत्पीड़न का जाल” परिचय भारतीय समाज में समय-समय पर विभिन्न सामाजिक समस्याएँ उभरती रही हैं। हाल के वर्षों में एक नई प्रवृत्ति सामने आई है, जिसे हम रूपक में “खटमल प्रवृत्ति” कह सकते हैं। जैसे खटमल बिना श्रम किए दूसरों का रक्त चूसकर जीवित रहता है, वैसे ही कुछ लोग दूसरों की मेहनत, संसाधनों और मानसिक शांति का शोषण करके अपने स्वार्थ पूरे करते हैं। यह केवल आर्थिक परजीविता तक सीमित नहीं है, बल्कि अब इसका नया रूप मानसिक उत्पीड़न (psychological exploitation) के रूप में दिखाई देने लगा है। यह प्रवृत्ति न केवल व्यक्तिगत जीवन, बल्कि संस्थागत और सामाजिक ढाँचे पर भी प्रतिकूल प्रभाव डाल रही है। आर्थिक परजीविता से मानसिक शोषण तक परंपरागत रूप से यह प्रवृत्ति भ्रष्टाचार, मुफ्तखोरी और कार्यस्थल पर दूसरों का श्रेय चुराने जैसे उदाहरणों में दिखाई देती रही है। परंतु अब इसका सूक्ष्म रूप मानसिक उत्पीड़न है — निरंतर आलोचना, अपमानजनक व्यवहार, सोशल मीडिया पर ट्रोलिंग, और असहज तुलना। यह प्रवृत्ति व्यक्ति की mental well-being , समाज की trust capital और संस्थाओं ...

India–Japan Partnership: A Strategic and Economic Milestone

भारत–जापान साझेदारी: रणनीतिक और आर्थिक पड़ाव हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके जापानी समकक्ष की मुलाक़ात ने भारत–जापान संबंधों को एक नई ऊँचाई पर पहुँचा दिया है। अगले दशक में जापान द्वारा भारत में लगभग 5,997 अरब रुपये का निवेश केवल आर्थिक सहयोग का प्रतीक नहीं है, बल्कि यह एक व्यापक दृष्टि को दर्शाता है—साझी समृद्धि, रणनीतिक एकजुटता और हिंद–प्रशांत क्षेत्र में दीर्घकालिक स्थिरता। आर्थिक आयाम: निवेश से परे जापानी निवेश महज़ पूँजी प्रवाह नहीं है; यह भारत की विकास यात्रा को संरचनात्मक रूप से बदलने वाला कदम है। शहरी परिवर्तन: स्मार्ट सिटी और हाई-स्पीड रेल परियोजनाएँ उत्पादकता और संपर्कता को बढ़ाएँगी। हरित ऊर्जा सहयोग: भारत के जलवायु लक्ष्यों (पेरिस समझौता व COP प्रतिबद्धताओं) को पूरा करने में मदद मिलेगी। तकनीकी हस्तांतरण: विनिर्माण, लॉजिस्टिक्स और डिजिटल बुनियादी ढांचे को मज़बूती मिलेगी। हालाँकि, इस निवेश का प्रभाव तभी होगा जब भारत नौकरशाही बाधाओं, नीति अस्थिरता और अवसंरचना की देरी जैसी चुनौतियों को पार कर सके। हिंद–प्रशांत में रणनीतिक महत्व यह साझेदारी केवल आर्...

Trump's 50% Tariff on India: Economic Impacts and Strategic Responses

ट्रम्प की टैरिफ नीति: भारत के लिए नया आर्थिक संकट या केवल परीक्षा की घड़ी अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की 'अमेरिका फर्स्ट' नीति ने वैश्विक व्यापार को नया मोड़ दे दिया है। भारत, जो अमेरिका का एक प्रमुख रणनीतिक साझेदार माना जाता रहा है, अब 50 प्रतिशत टैरिफ की चपेट में फंस गया है। यह कदम न केवल द्विपक्षीय व्यापार को प्रभावित करेगा, बल्कि वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला और दोनों देशों की अर्थव्यवस्था पर गहरा असर डालेगा। ट्रम्प प्रशासन का तर्क है कि भारत का रूस से सस्ता तेल खरीदना यूक्रेन युद्ध को 'ईंधन' दे रहा है, लेकिन यह दावा कई सवाल खड़े करता है—क्यों केवल भारत को निशाना बनाया जा रहा है, जबकि चीन जैसे अन्य बड़े आयातक बच गए हैं? यह टैरिफ युद्ध भारत की आर्थिक महत्वाकांक्षाओं के लिए एक कठिन परीक्षा है, जहां एक ओर निर्यात पर संकट मंडरा रहा है, वहीं दूसरी ओर आत्मनिर्भरता की राहें खुल रही हैं। ट्रम्प का यह फैसला अप्रत्याशित नहीं है। अप्रैल 2025 में उन्होंने 'मुक्ति दिवस' घोषित कर वैश्विक आयात पर 10 प्रतिशत बेसलाइन टैरिफ लगाया था, जिसे बाद में देश-विशेष दरों में बदल दिया ग...

India: The World's 4th Most Equal Country – Or a Misleading Statistic?

  संपादकीय लेख शीर्षक: ‘बराबरी’ का भ्रम: भारत की असमानता पर एक कठोर दृष्टि प्रस्तावना हाल ही में सरकार द्वारा जारी एक दावा कि "भारत अब दुनिया का चौथा सबसे समान देश है" – वैश्विक असमानता के संदर्भ में एक उत्साहवर्धक समाचार प्रतीत होता है। यह दावा 25.5 के निम्न गिनी इंडेक्स स्कोर पर आधारित है, जो 'समानता' को दर्शाता है। परंतु गहराई से देखने पर यह दावा एक भ्रम उत्पन्न करता है। कारण यह है कि यह आंकड़ा खपत (consumption) पर आधारित है, आय (income) पर नहीं – और यहीं से असल सच्चाई छुपाई जाती है। खपत और आय: एक भ्रामक तुलना भारत में आर्थिक सर्वेक्षण मुख्यतः उपभोग (spending) के आधार पर होते हैं। लेकिन आय और उपभोग में स्पष्ट असमानता होती है, खासकर समाज के उच्चतम तबके में। एक निर्धन परिवार अपनी सीमित आय का अधिकांश हिस्सा खर्च करता है, जबकि धनी वर्ग अपनी आय का एक अंश ही खर्च करता है और बाकी निवेश, बचत या विलासिता पर लगाता है – जो सर्वेक्षणों से बाहर रह जाता है। परिणामस्वरूप, गिनी इंडेक्स पर आधारित खपत आंकड़े, आय की असमानता को कृत्रिम रूप से कम करके दर्शाते हैं । वास्तविक...

Advertisement

POPULAR POSTS