“समाज में पनपती खटमल प्रवृत्ति: शोषण और मानसिक उत्पीड़न का जाल” परिचय भारतीय समाज में समय-समय पर विभिन्न सामाजिक समस्याएँ उभरती रही हैं। हाल के वर्षों में एक नई प्रवृत्ति सामने आई है, जिसे हम रूपक में “खटमल प्रवृत्ति” कह सकते हैं। जैसे खटमल बिना श्रम किए दूसरों का रक्त चूसकर जीवित रहता है, वैसे ही कुछ लोग दूसरों की मेहनत, संसाधनों और मानसिक शांति का शोषण करके अपने स्वार्थ पूरे करते हैं। यह केवल आर्थिक परजीविता तक सीमित नहीं है, बल्कि अब इसका नया रूप मानसिक उत्पीड़न (psychological exploitation) के रूप में दिखाई देने लगा है। यह प्रवृत्ति न केवल व्यक्तिगत जीवन, बल्कि संस्थागत और सामाजिक ढाँचे पर भी प्रतिकूल प्रभाव डाल रही है। आर्थिक परजीविता से मानसिक शोषण तक परंपरागत रूप से यह प्रवृत्ति भ्रष्टाचार, मुफ्तखोरी और कार्यस्थल पर दूसरों का श्रेय चुराने जैसे उदाहरणों में दिखाई देती रही है। परंतु अब इसका सूक्ष्म रूप मानसिक उत्पीड़न है — निरंतर आलोचना, अपमानजनक व्यवहार, सोशल मीडिया पर ट्रोलिंग, और असहज तुलना। यह प्रवृत्ति व्यक्ति की mental well-being , समाज की trust capital और संस्थाओं ...
भारत–जापान साझेदारी: रणनीतिक और आर्थिक पड़ाव हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके जापानी समकक्ष की मुलाक़ात ने भारत–जापान संबंधों को एक नई ऊँचाई पर पहुँचा दिया है। अगले दशक में जापान द्वारा भारत में लगभग 5,997 अरब रुपये का निवेश केवल आर्थिक सहयोग का प्रतीक नहीं है, बल्कि यह एक व्यापक दृष्टि को दर्शाता है—साझी समृद्धि, रणनीतिक एकजुटता और हिंद–प्रशांत क्षेत्र में दीर्घकालिक स्थिरता। आर्थिक आयाम: निवेश से परे जापानी निवेश महज़ पूँजी प्रवाह नहीं है; यह भारत की विकास यात्रा को संरचनात्मक रूप से बदलने वाला कदम है। शहरी परिवर्तन: स्मार्ट सिटी और हाई-स्पीड रेल परियोजनाएँ उत्पादकता और संपर्कता को बढ़ाएँगी। हरित ऊर्जा सहयोग: भारत के जलवायु लक्ष्यों (पेरिस समझौता व COP प्रतिबद्धताओं) को पूरा करने में मदद मिलेगी। तकनीकी हस्तांतरण: विनिर्माण, लॉजिस्टिक्स और डिजिटल बुनियादी ढांचे को मज़बूती मिलेगी। हालाँकि, इस निवेश का प्रभाव तभी होगा जब भारत नौकरशाही बाधाओं, नीति अस्थिरता और अवसंरचना की देरी जैसी चुनौतियों को पार कर सके। हिंद–प्रशांत में रणनीतिक महत्व यह साझेदारी केवल आर्...