करंट अफेयर्स में छिपे UPSC मेन्स के संभावित प्रश्न प्रस्तावना UPSC सिविल सेवा परीक्षा केवल तथ्यों का संग्रह नहीं है, बल्कि सोचने, समझने और विश्लेषण करने की क्षमता की परीक्षा है। प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) तथ्यों और अवधारणाओं पर केंद्रित होती है, लेकिन मुख्य परीक्षा (Mains) विश्लेषणात्मक क्षमता, उत्तर लेखन कौशल और समसामयिक घटनाओं की समझ को परखती है। यही कारण है कि करंट अफेयर्स UPSC मेन्स की आत्मा माने जाते हैं। अक्सर देखा गया है कि UPSC सीधे समाचारों से प्रश्न नहीं पूछता, बल्कि घटनाओं के पीछे छिपे गहरे मुद्दों, नीतिगत पहलुओं और नैतिक दुविधाओं को प्रश्न में बदल देता है। उदाहरण के लिए, अगर अंतरराष्ट्रीय मंच पर जलवायु परिवर्तन की चर्चा हो रही है, तो UPSC प्रश्न पूछ सकता है — “भारत की जलवायु नीति घरेलू प्राथमिकताओं और अंतरराष्ट्रीय दबावों के बीच किस प्रकार संतुलन स्थापित करती है?” यानी, हर करंट इवेंट UPSC मेन्स के लिए एक संभावित प्रश्न छुपाए बैठा है। इस लेख में हम देखेंगे कि हाल के करंट अफेयर्स किन-किन तरीकों से UPSC मेन्स के प्रश्न बन सकते हैं, और विद्यार्थी इन्हें कैसे अपनी तै...
भारत की बहुलतावादी आत्मा पर सुनियोजित प्रहार : पहलगाम त्रासदी से सीख जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हालिया आतंकी हमला महज हिंसा की एक सामान्य घटना नहीं थी। यह भारत की धर्मनिरपेक्ष पहचान पर किया गया एक सुनियोजित और गहरा प्रहार था — एक ऐसा प्रयास जो सामाजिक अविश्वास को बढ़ाने, सांप्रदायिक विभाजन को गहरा करने और भारत की बहुलतावादी छवि को धूमिल करने के उद्देश्य से किया गया। 26 निर्दोष नागरिकों की हत्या — जिनमें से कई को धार्मिक पहचान के आधार पर निशाना बनाया गया — इस बात का स्पष्ट प्रमाण है कि आतंक का उद्देश्य केवल जानमाल का नुकसान नहीं, बल्कि भारत के सामाजिक संतुलन को अस्थिर करना भी था। यह त्रासदी न केवल मानवीय दृष्टिकोण से अत्यंत दुखद है, बल्कि इसके दूरगामी सामाजिक, राजनीतिक और रणनीतिक निहितार्थ भी हैं। अतः यह आवश्यक हो जाता है कि इस घटना के पीछे की गहरी परतों को समझा जाए और भविष्य के लिए एक सशक्त रणनीति तैयार की जाए। सामाजिक ताने-बाने पर हमला धार्मिक पहचान के आधार पर निशाना बनाना आतंकवाद की पुरानी रणनीति रही है। 1990 के दशक में कश्मीरी पंडितों के पलायन ने यह दिखा दिया था कि कैसे सांप्रदा...