करंट अफेयर्स में छिपे UPSC मेन्स के संभावित प्रश्न प्रस्तावना UPSC सिविल सेवा परीक्षा केवल तथ्यों का संग्रह नहीं है, बल्कि सोचने, समझने और विश्लेषण करने की क्षमता की परीक्षा है। प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) तथ्यों और अवधारणाओं पर केंद्रित होती है, लेकिन मुख्य परीक्षा (Mains) विश्लेषणात्मक क्षमता, उत्तर लेखन कौशल और समसामयिक घटनाओं की समझ को परखती है। यही कारण है कि करंट अफेयर्स UPSC मेन्स की आत्मा माने जाते हैं। अक्सर देखा गया है कि UPSC सीधे समाचारों से प्रश्न नहीं पूछता, बल्कि घटनाओं के पीछे छिपे गहरे मुद्दों, नीतिगत पहलुओं और नैतिक दुविधाओं को प्रश्न में बदल देता है। उदाहरण के लिए, अगर अंतरराष्ट्रीय मंच पर जलवायु परिवर्तन की चर्चा हो रही है, तो UPSC प्रश्न पूछ सकता है — “भारत की जलवायु नीति घरेलू प्राथमिकताओं और अंतरराष्ट्रीय दबावों के बीच किस प्रकार संतुलन स्थापित करती है?” यानी, हर करंट इवेंट UPSC मेन्स के लिए एक संभावित प्रश्न छुपाए बैठा है। इस लेख में हम देखेंगे कि हाल के करंट अफेयर्स किन-किन तरीकों से UPSC मेन्स के प्रश्न बन सकते हैं, और विद्यार्थी इन्हें कैसे अपनी तै...
Pope Leo XIV’s Lebanon Visit: A New Era of Peace, Interfaith Dialogue, and Middle East Religious Diplomacy
पोप लियो XIV का लेबनान दौरा: मध्य पूर्व में धार्मिक कूटनीति का पुनरुत्थान सारांश यह लेख 30 नवंबर से 2 दिसंबर 2025 के बीच संपन्न पोप लियो XIV के लेबनान दौरे का विश्लेषण प्रस्तुत करता है, जो आधुनिक धार्मिक कूटनीति के परिप्रेक्ष्य में एक महत्वपूर्ण अध्याय माना जा रहा है। मध्य पूर्व के राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक संकटों के बीच, पोप की यह यात्रा न केवल लेबनान के लिए एक नैतिक समर्थन थी, बल्कि वैश्विक शांति, धार्मिक संवाद और मानवीय मूल्यों के संरक्षण की दिशा में एक व्यापक संदेश भी थी। लेख में इस यात्रा का ऐतिहासिक संदर्भ, राजनीतिक-धार्मिक आयाम, सांकेतिक यात्रा-स्थल, तथा इसके परिणामों का विश्लेषण किया गया है। 1. प्रस्तावना धार्मिक नेतृत्व इतिहास में अनेक बार वैश्विक संघर्षों के मध्य शांति के स्वर के रूप में उभरा है। 2025 में कैथोलिक चर्च के सर्वोच्च पद पर निर्वाचित पहले अमेरिकी मूल के पोप, लियो XIV, इसी परंपरा के वाहक प्रतीत होते हैं। अपनी पोंटिफिकेट की प्रारंभिक अवस्था में ही तुर्की और लेबनान जैसे संवेदनशील देशों का चयन करना इस बात का संकेत था कि उनका नेतृत्व केवल धार्मिक सीमाओं तक सीमित...