करंट अफेयर्स में छिपे UPSC मेन्स के संभावित प्रश्न प्रस्तावना UPSC सिविल सेवा परीक्षा केवल तथ्यों का संग्रह नहीं है, बल्कि सोचने, समझने और विश्लेषण करने की क्षमता की परीक्षा है। प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) तथ्यों और अवधारणाओं पर केंद्रित होती है, लेकिन मुख्य परीक्षा (Mains) विश्लेषणात्मक क्षमता, उत्तर लेखन कौशल और समसामयिक घटनाओं की समझ को परखती है। यही कारण है कि करंट अफेयर्स UPSC मेन्स की आत्मा माने जाते हैं। अक्सर देखा गया है कि UPSC सीधे समाचारों से प्रश्न नहीं पूछता, बल्कि घटनाओं के पीछे छिपे गहरे मुद्दों, नीतिगत पहलुओं और नैतिक दुविधाओं को प्रश्न में बदल देता है। उदाहरण के लिए, अगर अंतरराष्ट्रीय मंच पर जलवायु परिवर्तन की चर्चा हो रही है, तो UPSC प्रश्न पूछ सकता है — “भारत की जलवायु नीति घरेलू प्राथमिकताओं और अंतरराष्ट्रीय दबावों के बीच किस प्रकार संतुलन स्थापित करती है?” यानी, हर करंट इवेंट UPSC मेन्स के लिए एक संभावित प्रश्न छुपाए बैठा है। इस लेख में हम देखेंगे कि हाल के करंट अफेयर्स किन-किन तरीकों से UPSC मेन्स के प्रश्न बन सकते हैं, और विद्यार्थी इन्हें कैसे अपनी तै...
भा रत में नये श्रम संहिताओं का लागू होना (21 नवंबर 2025 से): UPSC दृष्टिकोण से एक विश्लेषण भारत के श्रम-कानूनी ढाँचे में 21 नवंबर 2025 से एक ऐतिहासिक पुनर्गठन प्रभावी हुआ, जिसके अंतर्गत लगभग 29 विविध और खंडित श्रम-कानूनों को समाहित कर चार व्यापक श्रम-संहिताएँ लागू की गई हैं— वेतन संहिता, 2019 औद्योगिक संबंध संहिता, 2020 सामाजिक सुरक्षा संहिता, 2020 व्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य एवं कार्य-दशा संहिता, 2020 इन संहिताओं का प्रभाव लगभग 4.5 करोड़ संगठित कर्मचारियों और 40 करोड़ से अधिक असंगठित एवं गिग श्रमिकों (Ola, Uber, Swiggy, Zomato आदि प्लेटफॉर्म वर्कर्स) तक फैला हुआ है। UPSC के दृष्टिकोण से यह सुधार भारतीय अर्थव्यवस्था में लॉजिकल रेशनलाइजेशन, राज्य क्षमता निर्माण, सामाजिक सुरक्षा के विस्तार और Ease of Doing Business जैसे बहुआयामी मुद्दों से जुड़ा है। 1. वेतन, न्यूनतम मजदूरी और भुगतान प्रणाली में मानकीकरण अब देश में एक राष्ट्रीय फ्लोर वेज (National Floor Wage) होगा जिसे केंद्र सरकार समय-समय पर निर्धारित करेगी। कोई भी राज्य इससे कम मजदूरी नहीं तय कर सकेगा। सभी कर्मचारियों (चाह...