करंट अफेयर्स में छिपे UPSC मेन्स के संभावित प्रश्न प्रस्तावना UPSC सिविल सेवा परीक्षा केवल तथ्यों का संग्रह नहीं है, बल्कि सोचने, समझने और विश्लेषण करने की क्षमता की परीक्षा है। प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) तथ्यों और अवधारणाओं पर केंद्रित होती है, लेकिन मुख्य परीक्षा (Mains) विश्लेषणात्मक क्षमता, उत्तर लेखन कौशल और समसामयिक घटनाओं की समझ को परखती है। यही कारण है कि करंट अफेयर्स UPSC मेन्स की आत्मा माने जाते हैं। अक्सर देखा गया है कि UPSC सीधे समाचारों से प्रश्न नहीं पूछता, बल्कि घटनाओं के पीछे छिपे गहरे मुद्दों, नीतिगत पहलुओं और नैतिक दुविधाओं को प्रश्न में बदल देता है। उदाहरण के लिए, अगर अंतरराष्ट्रीय मंच पर जलवायु परिवर्तन की चर्चा हो रही है, तो UPSC प्रश्न पूछ सकता है — “भारत की जलवायु नीति घरेलू प्राथमिकताओं और अंतरराष्ट्रीय दबावों के बीच किस प्रकार संतुलन स्थापित करती है?” यानी, हर करंट इवेंट UPSC मेन्स के लिए एक संभावित प्रश्न छुपाए बैठा है। इस लेख में हम देखेंगे कि हाल के करंट अफेयर्स किन-किन तरीकों से UPSC मेन्स के प्रश्न बन सकते हैं, और विद्यार्थी इन्हें कैसे अपनी तै...
एससी/एसटी आरक्षण में ‘क्रीमी लेयर’ की अवधारणा : सामाजिक न्याय की नई चुनौती (मौलिक, प्रवाहपूर्ण एवं विश्लेषणात्मक लेख) प्रस्तावना भारतीय संविधान सामाजिक और शैक्षिक रूप से वंचित समुदायों को समान अवसर सुनिश्चित करने के लिए आरक्षण को एक सुधारात्मक उपाय (affirmative action) के रूप में मान्यता देता है। अनुच्छेद 15(4), 16(4) और 335 के तहत अनुसूचित जाति (SC) एवं अनुसूचित जनजाति (ST) समुदायों को शिक्षा, नौकरियों और पदोन्नति में आरक्षण प्रदान किया गया है। परंतु समय के साथ यह प्रश्न उभर कर सामने आया है कि क्या इन समुदायों के भीतर भी एक ऐसा आर्थिक-सामाजिक रूप से उन्नत वर्ग विकसित हो चुका है, जो आरक्षण के वास्तविक उद्देश्य से परे है और जिसके कारण अत्यंत वंचित उप-जातियाँ पीछे रह जा रही हैं? नवंबर 2025 में मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गावई—जो स्वयं एक अनुसूचित जाति समुदाय से आते हैं—ने खुलकर कहा कि एससी/एसटी आरक्षण में भी ‘क्रीमी लेयर’ को बाहर करना चाहिए ताकि लाभ वास्तविक रूप से वंचित वर्गों तक पहुँच सके। यह टिप्पणी उस बड़े संवैधानिक विमर्श को नई दिशा देती है, जिसकी शुरुआत सुप्रीम कोर्ट ने 2024 के उप-व...