करंट अफेयर्स में छिपे UPSC मेन्स के संभावित प्रश्न प्रस्तावना UPSC सिविल सेवा परीक्षा केवल तथ्यों का संग्रह नहीं है, बल्कि सोचने, समझने और विश्लेषण करने की क्षमता की परीक्षा है। प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) तथ्यों और अवधारणाओं पर केंद्रित होती है, लेकिन मुख्य परीक्षा (Mains) विश्लेषणात्मक क्षमता, उत्तर लेखन कौशल और समसामयिक घटनाओं की समझ को परखती है। यही कारण है कि करंट अफेयर्स UPSC मेन्स की आत्मा माने जाते हैं। अक्सर देखा गया है कि UPSC सीधे समाचारों से प्रश्न नहीं पूछता, बल्कि घटनाओं के पीछे छिपे गहरे मुद्दों, नीतिगत पहलुओं और नैतिक दुविधाओं को प्रश्न में बदल देता है। उदाहरण के लिए, अगर अंतरराष्ट्रीय मंच पर जलवायु परिवर्तन की चर्चा हो रही है, तो UPSC प्रश्न पूछ सकता है — “भारत की जलवायु नीति घरेलू प्राथमिकताओं और अंतरराष्ट्रीय दबावों के बीच किस प्रकार संतुलन स्थापित करती है?” यानी, हर करंट इवेंट UPSC मेन्स के लिए एक संभावित प्रश्न छुपाए बैठा है। इस लेख में हम देखेंगे कि हाल के करंट अफेयर्स किन-किन तरीकों से UPSC मेन्स के प्रश्न बन सकते हैं, और विद्यार्थी इन्हें कैसे अपनी तै...
फ्रांस की अर्थव्यवस्था और सामाजिक कल्याण का भविष्य — भारत के लिए संतुलन का सबक 🌍 प्रस्तावना: समृद्धि की कीमत फ्रांस लंबे समय तक यूरोप के सामाजिक कल्याण मॉडल का प्रतीक रहा है। यह वह देश है जिसने हर नागरिक को स्वास्थ्य, शिक्षा, पेंशन, मातृत्व अवकाश और न्यूनतम आय की गारंटी देकर “मानव कल्याण” को अपनी पहचान बनाया। लेकिन आज यही फ्रांस आर्थिक ठहराव, बढ़ते कर्ज और घटती उत्पादकता के संकट में फँसा है। सवाल यह नहीं कि सामाजिक कल्याण जरूरी है या नहीं, बल्कि यह है कि कितना कल्याण टिकाऊ है और उसकी कीमत क्या होगी? 🇫🇷 फ्रांस का ‘कल्याण द्वंद्व’ फ्रांस का सामाजिक कल्याण मॉडल, जो कभी उसकी ताकत था, अब उसकी सबसे बड़ी चुनौती बन गया है। फ्रांस का सामाजिक खर्च GDP का 31% है, जो OECD देशों में सबसे अधिक है। यह मॉडल नागरिकों को सुरक्षा का वादा तो करता है, लेकिन इसके लिए भारी कर और बढ़ता राजकोषीय घाटा उसकी कीमत बन रहा है। उदाहरण के लिए, 2023 में जब सरकार ने पेंशन की आयु 60 से 62 वर्ष करने का प्रस्ताव रखा, तो लाखों लोग पेरिस की सड़कों पर उतर आए। यह विरोध केवल नीति के खिलाफ नहीं था, बल्कि उस “सामाजिक अ...