सत्यकथा: सरहद की एक माँ भारत-पाक सीमा पर माँ-बेटे की जुदाई: एक मर्मस्पर्शी मानवीय संकट अटारी बॉर्डर पर ठंडी हवाएँ चल रही थीं, पर फ़रहीन की आँखों से गर्म आँसुओं की धार थमने का नाम नहीं ले रही थी। उसके कांपते हाथों में 18 महीने का मासूम बेटा सिकुड़ा हुआ था, जैसे उसे भी पता हो कि कुछ अनहोनी होने वाली है। सिर पर दुपट्टा था, पर चेहरे पर मातृत्व की वेदना ने जैसे सारी दुनिया की नज़रों को थाम रखा था। "उतर जा बेटा... उतर जा," — सास सादिया की आवाज़ रिक्शे के भीतर से आई, लेकिन वह आवाज़ न तो कठोर थी, न ही साधारण। वह टूटे हुए रिश्तों की वह कराह थी जिसे सिर्फ़ एक माँ ही समझ सकती है। रिक्शा भारत की ओर था, पर फ़रहीन को पाकिस्तान जाना था—अपनी जन्मभूमि, पर अब बेगानी सी लगने लगी थी। फ़रहीन, प्रयागराज के इमरान से दो साल पहले ब्याही गई थी। प्यार हुआ, निकाह हुआ और फिर इस प्यार की निशानी—एक नन्हा बेटा हुआ। बेटे का नाम उन्होंने आरिफ़ रखा था, जिसका मतलब होता है—“जानने वाला, पहचानने वाला।” लेकिन आज वो नन्हा आरिफ़ समझ नहीं पा रहा था कि उसकी माँ उसे क्यों छोड़ रही है। "मैं माँ हूँ... कोई अपराधी नही...
नैतिकता (Ethics) का अर्थ एवं व्यक्तिगत और सार्वजनिक जीवन में महत्ता परिचय नैतिकता (Ethics) वह सिद्धांतों और मूल्यों का समूह है जो यह निर्धारित करता है कि किसी व्यक्ति, समाज या संस्था के लिए क्या सही और क्या गलत है। नैतिकता का आधार मूल रूप से सत्य, ईमानदारी, निष्पक्षता, करुणा, और कर्तव्यपरायणता जैसे गुण होते हैं। यह एक व्यक्ति के जीवन के हर पहलू को प्रभावित करती है, चाहे वह व्यक्तिगत जीवन हो या सार्वजनिक क्षेत्र। आज के वैश्विक और जटिल समाज में नैतिकता का महत्व और भी बढ़ जाता है, क्योंकि नैतिक मूल्यों के बिना समाज में अराजकता, भ्रष्टाचार और अन्याय जैसी समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं। इसलिए, नैतिकता का पालन न केवल एक अच्छे व्यक्ति के निर्माण में सहायक होता है, बल्कि यह एक सशक्त और पारदर्शी प्रशासन का भी आधार बनता है। नैतिकता (Ethics) की परिभाषा और प्रकृति नैतिकता को विभिन्न दार्शनिकों और विद्वानों ने अलग-अलग तरीकों से परिभाषित किया है: 1. अरस्तू (Aristotle): नैतिकता व्यक्ति के चरित्र और गुणों से संबंधित होती है। उनका मानना था कि एक नैतिक व्यक्ति को "सुनहरा मध्य मार्ग" (Golden Mea...