सत्यकथा: सरहद की एक माँ भारत-पाक सीमा पर माँ-बेटे की जुदाई: एक मर्मस्पर्शी मानवीय संकट अटारी बॉर्डर पर ठंडी हवाएँ चल रही थीं, पर फ़रहीन की आँखों से गर्म आँसुओं की धार थमने का नाम नहीं ले रही थी। उसके कांपते हाथों में 18 महीने का मासूम बेटा सिकुड़ा हुआ था, जैसे उसे भी पता हो कि कुछ अनहोनी होने वाली है। सिर पर दुपट्टा था, पर चेहरे पर मातृत्व की वेदना ने जैसे सारी दुनिया की नज़रों को थाम रखा था। "उतर जा बेटा... उतर जा," — सास सादिया की आवाज़ रिक्शे के भीतर से आई, लेकिन वह आवाज़ न तो कठोर थी, न ही साधारण। वह टूटे हुए रिश्तों की वह कराह थी जिसे सिर्फ़ एक माँ ही समझ सकती है। रिक्शा भारत की ओर था, पर फ़रहीन को पाकिस्तान जाना था—अपनी जन्मभूमि, पर अब बेगानी सी लगने लगी थी। फ़रहीन, प्रयागराज के इमरान से दो साल पहले ब्याही गई थी। प्यार हुआ, निकाह हुआ और फिर इस प्यार की निशानी—एक नन्हा बेटा हुआ। बेटे का नाम उन्होंने आरिफ़ रखा था, जिसका मतलब होता है—“जानने वाला, पहचानने वाला।” लेकिन आज वो नन्हा आरिफ़ समझ नहीं पा रहा था कि उसकी माँ उसे क्यों छोड़ रही है। "मैं माँ हूँ... कोई अपराधी नही...
इस लेख में भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) के नए चेयरमैन तुहिन कांत पांडे की नियुक्ति, उनकी भूमिकाओं और जिम्मेदारियों पर विस्तृत जानकारी दी गई है। इसमें SEBI के कार्य, संरचना, उद्देश्यों और भारतीय शेयर बाजार में इसकी भूमिका को समझाया गया है। साथ ही, SEBI द्वारा किए गए प्रमुख सुधारों, चुनौतियों और भविष्य की रणनीतियों पर भी चर्चा की गई है। यह लेख प्रतियोगी परीक्षाओं और सामान्य ज्ञान के लिए उपयोगी है। भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) और नए अध्यक्ष तुहिन कांत पांडे परिचय भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) भारत में पूंजी बाजार का प्रमुख नियामक निकाय है। इसकी स्थापना 1988 में हुई थी, और 1992 में इसे एक संवैधानिक दर्जा दिया गया। इसका मुख्य कार्य निवेशकों के हितों की रक्षा करना और भारतीय शेयर बाजार को सुचारू रूप से संचालित करना है। हाल ही में, तुहिन कांत पांडे को SEBI का 11वां चेयरमैन नियुक्त किया गया है। SEBI का परिचय और महत्व 1. SEBI की स्थापना एवं उद्देश्य SEBI (Securities and Exchange Board of India) की स्थापना 1988 में सरकार द्वारा की गई थी, लेकिन 1992 में इसे अध...