करंट अफेयर्स में छिपे UPSC मेन्स के संभावित प्रश्न प्रस्तावना UPSC सिविल सेवा परीक्षा केवल तथ्यों का संग्रह नहीं है, बल्कि सोचने, समझने और विश्लेषण करने की क्षमता की परीक्षा है। प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) तथ्यों और अवधारणाओं पर केंद्रित होती है, लेकिन मुख्य परीक्षा (Mains) विश्लेषणात्मक क्षमता, उत्तर लेखन कौशल और समसामयिक घटनाओं की समझ को परखती है। यही कारण है कि करंट अफेयर्स UPSC मेन्स की आत्मा माने जाते हैं। अक्सर देखा गया है कि UPSC सीधे समाचारों से प्रश्न नहीं पूछता, बल्कि घटनाओं के पीछे छिपे गहरे मुद्दों, नीतिगत पहलुओं और नैतिक दुविधाओं को प्रश्न में बदल देता है। उदाहरण के लिए, अगर अंतरराष्ट्रीय मंच पर जलवायु परिवर्तन की चर्चा हो रही है, तो UPSC प्रश्न पूछ सकता है — “भारत की जलवायु नीति घरेलू प्राथमिकताओं और अंतरराष्ट्रीय दबावों के बीच किस प्रकार संतुलन स्थापित करती है?” यानी, हर करंट इवेंट UPSC मेन्स के लिए एक संभावित प्रश्न छुपाए बैठा है। इस लेख में हम देखेंगे कि हाल के करंट अफेयर्स किन-किन तरीकों से UPSC मेन्स के प्रश्न बन सकते हैं, और विद्यार्थी इन्हें कैसे अपनी तै...
नेपाल में GEN-Z आंदोलन: सोशल मीडिया प्रतिबंध और भ्रष्टाचार विरोधी जनआंदोलन – UPSC दृष्टिकोण से विश्लेषण
1. पृष्ठभूमि
- 8 सितंबर 2025 को नेपाल में सोशल मीडिया प्रतिबंध और भ्रष्टाचार के खिलाफ शुरू हुआ आंदोलन हिंसक रूप ले बैठा।
- इसमें 19 मौतें और 250 से अधिक घायल हुए।
- सरकार ने पहले तो सोशल मीडिया प्रतिबंध को "राष्ट्रीय हित" बताया, लेकिन भारी विरोध के बाद प्रतिबंध हटाना पड़ा।
- गृह मंत्री रमेश लेखक ने नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए इस्तीफा दिया।
2. आंदोलन के प्रमुख कारण
(क) तात्कालिक कारण
- सरकार द्वारा फेसबुक, इंस्टाग्राम, व्हाट्सएप, यूट्यूब, एक्स आदि 26 प्लेटफॉर्म पर प्रतिबंध।
- तर्क: फेक न्यूज, हेट स्पीच, साइबर धोखाधड़ी रोकना।
- परिणाम: युवाओं में भारी असंतोष क्योंकि वे पढ़ाई, व्यापार और सामाजिक संपर्क के लिए इन प्लेटफॉर्म पर निर्भर हैं।
(ख) गहरे कारण
- संस्थागत भ्रष्टाचार – एयरबस सौदे जैसे मामलों से जनता का भरोसा कमजोर।
- आर्थिक असमानता – राजनेताओं और उनके परिजनों की ऐश्वर्यपूर्ण जीवनशैली बनाम आम जनता का संघर्ष।
- युवा असंतोष – 16-25 आयु वर्ग (20.8% आबादी) बेरोजगारी, अवसरों की कमी और राजनीतिक उपेक्षा से पीड़ित।
- शासन का तानाशाही रवैया – नीतिगत निर्णयों में पारदर्शिता और परामर्श का अभाव।
3. जेन-जेड आंदोलन और लोकतांत्रिक मूल्य
- यह आंदोलन केवल सोशल मीडिया तक सीमित नहीं रहा बल्कि भ्रष्टाचार विरोधी जनआंदोलन में बदल गया।
- लोकतांत्रिक शासन की मांग:
- अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता
- पारदर्शिता और जवाबदेही
- युवा भागीदारी
- यह श्रीलंका (2022) और बांग्लादेश (2024) के आंदोलनों से प्रेरित था।
4. राज्य प्रतिक्रिया और शासन संबंधी प्रश्न
- पुलिस द्वारा अत्यधिक बल प्रयोग (आंसू गैस, रबर बुलेट, कथित गोलीबारी) → मानवाधिकार प्रश्न।
- गृह मंत्री का इस्तीफा नैतिक जिम्मेदारी का उदाहरण है, परंतु प्रधानमंत्री ओली पर बढ़ा दबाव यह दर्शाता है कि लोकतांत्रिक व्यवस्था में जनता की शक्ति निर्णायक हो सकती है।
- सरकार ने अंततः प्रतिबंध हटाया – सामाजिक वैधता बनाम कानूनी वैधता का उदाहरण।
5. अंतरराष्ट्रीय और क्षेत्रीय प्रभाव
-
संयुक्त राष्ट्र व अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया
- UN और Amnesty International ने पुलिस हिंसा की निंदा की।
- पश्चिमी देशों ने "फ्रीडम ऑफ एक्सप्रेशन" का समर्थन किया।
-
भारत की चिंता
- भारत-नेपाल सीमा (उत्तर प्रदेश, बिहार) पर सुरक्षा बढ़ी।
- भारत के लिए यह आंदोलन आंतरिक सुरक्षा और सीमा प्रबंधन का प्रश्न भी है।
- चीन और अन्य बाहरी शक्तियाँ अस्थिरता का लाभ उठाकर नेपाल में प्रभाव बढ़ा सकती हैं।
6. UPSC GS पेपर-2 और GS पेपर-3 के लिए प्रासंगिक बिंदु
- लोकतंत्र और शासन: अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, राज्य का दमनकारी रवैया बनाम नागरिक अधिकार।
- युवा और राजनीति: दक्षिण एशिया में "डेमोग्राफिक डिविडेंड" और उससे जुड़ा असंतोष।
- मानवाधिकार और अंतरराष्ट्रीय कानून: पुलिस द्वारा अत्यधिक बल प्रयोग पर UN की प्रतिक्रिया।
- भारत-नेपाल संबंध: सीमा प्रबंधन, राजनीतिक अस्थिरता का असर, भारत की विदेश नीति।
- प्रौद्योगिकी और शासन: सोशल मीडिया नियंत्रण बनाम लोकतांत्रिक मूल्यों का संतुलन।
7. तुलनात्मक संदर्भ
- श्रीलंका (2022): जनता का आंदोलन राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे के इस्तीफे तक पहुँचा।
- बांग्लादेश (2024): छात्रों का आंदोलन बड़े राजनीतिक बदलाव का कारण बना।
- भारत: सोशल मीडिया नियमन पर चर्चा (IT Rules, 2021) – परंतु लोकतांत्रिक मूल्यों और न्यायिक समीक्षा के तहत।
8. नैतिक दृष्टिकोण (GS पेपर-4 से जुड़ा)
- जवाबदेही: सत्ता में बैठे नेताओं का जनता के प्रति उत्तरदायित्व।
- नैतिक जिम्मेदारी: गृह मंत्री का इस्तीफा – सार्वजनिक जीवन में नैतिकता का उदाहरण।
- न्याय: राज्य और नागरिकों के बीच संतुलन – सुरक्षा बनाम स्वतंत्रता।
- सत्यनिष्ठा और पारदर्शिता: भ्रष्टाचार विरोध का मूल आधार।
9. संभावित UPSC प्रश्न
(क) मुख्य परीक्षा प्रश्न
- नेपाल में हालिया "जेन-जेड आंदोलन" केवल सोशल मीडिया प्रतिबंध का विरोध नहीं बल्कि लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा का संघर्ष था। विवेचना कीजिए।
- दक्षिण एशिया में युवाओं के नेतृत्व वाले आंदोलनों का क्षेत्रीय स्थिरता और लोकतंत्र पर क्या प्रभाव पड़ सकता है? भारत के लिए इससे क्या सबक मिलते हैं?
- अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और सोशल मीडिया नियमन – लोकतांत्रिक देशों के लिए संतुलन की चुनौती पर चर्चा कीजिए।
(ख) प्रिलिम्स संभावित तथ्य
- नेपाल में 90% आबादी इंटरनेट उपयोगकर्ता।
- नेपाल की जनसंख्या का 20.8% युवा (16–25 वर्ष)।
- गृह मंत्री रमेश लेखक का इस्तीफा।
- UNHRC और Amnesty International की प्रतिक्रिया।
10. निष्कर्ष
नेपाल का यह आंदोलन बताता है कि जनभागीदारी और लोकतांत्रिक मूल्यों को नज़रअंदाज़ कर केवल "नियंत्रणवादी नीतियाँ" टिकाऊ नहीं हो सकतीं। युवाओं की शक्ति दक्षिण एशिया में परिवर्तनकारी कारक बन रही है।
भारत जैसे पड़ोसी देशों के लिए यह सबक है कि सोशल मीडिया नियमन, भ्रष्टाचार विरोध और जनसरोकार से जुड़ी नीतियों में पारदर्शिता और सहभागिता को प्राथमिकता दी जाए।
👉 यह लेख UPSC के लिए उपयोगी है क्योंकि इसमें समाचार की तथ्यात्मक जानकारी, विश्लेषण, तुलनात्मक दृष्टिकोण, अंतरराष्ट्रीय संदर्भ और संभावित प्रश्न सभी शामिल हैं।
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