करंट अफेयर्स में छिपे UPSC मेन्स के संभावित प्रश्न प्रस्तावना UPSC सिविल सेवा परीक्षा केवल तथ्यों का संग्रह नहीं है, बल्कि सोचने, समझने और विश्लेषण करने की क्षमता की परीक्षा है। प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) तथ्यों और अवधारणाओं पर केंद्रित होती है, लेकिन मुख्य परीक्षा (Mains) विश्लेषणात्मक क्षमता, उत्तर लेखन कौशल और समसामयिक घटनाओं की समझ को परखती है। यही कारण है कि करंट अफेयर्स UPSC मेन्स की आत्मा माने जाते हैं। अक्सर देखा गया है कि UPSC सीधे समाचारों से प्रश्न नहीं पूछता, बल्कि घटनाओं के पीछे छिपे गहरे मुद्दों, नीतिगत पहलुओं और नैतिक दुविधाओं को प्रश्न में बदल देता है। उदाहरण के लिए, अगर अंतरराष्ट्रीय मंच पर जलवायु परिवर्तन की चर्चा हो रही है, तो UPSC प्रश्न पूछ सकता है — “भारत की जलवायु नीति घरेलू प्राथमिकताओं और अंतरराष्ट्रीय दबावों के बीच किस प्रकार संतुलन स्थापित करती है?” यानी, हर करंट इवेंट UPSC मेन्स के लिए एक संभावित प्रश्न छुपाए बैठा है। इस लेख में हम देखेंगे कि हाल के करंट अफेयर्स किन-किन तरीकों से UPSC मेन्स के प्रश्न बन सकते हैं, और विद्यार्थी इन्हें कैसे अपनी तै...
“ऊंट संरक्षण: रेगिस्तान के इस जीवित प्रतीक को बचाना क्यों जरूरी है?” कभी रेगिस्तान की रेत पर सभ्यता की गति और संस्कृति की गूंज ऊंट की चाल से मापी जाती थी। आज वही ऊंट—थार की आत्मा, राजस्थान की पहचान और भारत की विरासत—अपने अस्तित्व के संकट से गुजर रहा है। यह केवल एक पशु के विलुप्त होने की कहानी नहीं, बल्कि हमारी नीतियों, प्राथमिकताओं और पर्यावरणीय दृष्टिकोण के कमजोर पड़ने का प्रतीक है। 1977 में जहां देश में लगभग 11 लाख ऊंट थे, वहीं 2019 तक यह संख्या घटकर केवल 2.52 लाख रह गई। यानी 42 वर्षों में 75 प्रतिशत से अधिक की गिरावट। यह आंकड़ा केवल सांख्यिकीय नहीं, बल्कि हमारी नीतिगत संवेदनहीनता की सजीव तस्वीर है। गिरावट की जड़ें: आधुनिकता के रेगिस्तान में परंपरा की मौत ऊंट सदियों से मरुस्थलीय भारत के लिए जीवन का आधार रहा है। वह न केवल परिवहन का साधन था, बल्कि दूध, ऊन, मांस और कृषि में भी उपयोगी रहा। परंतु पिछले चार दशकों में तकनीकी विकास और औद्योगिक परिवर्तनों ने इस पारंपरिक संबंध को तोड़ दिया। ट्रैक्टर और ट्रक ने ऊंट गाड़ियों की जगह ले ली, सिंथेटिक कपड़ों ने ऊंट ऊन की मांग घटा दी, और सर...