करंट अफेयर्स में छिपे UPSC मेन्स के संभावित प्रश्न प्रस्तावना UPSC सिविल सेवा परीक्षा केवल तथ्यों का संग्रह नहीं है, बल्कि सोचने, समझने और विश्लेषण करने की क्षमता की परीक्षा है। प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) तथ्यों और अवधारणाओं पर केंद्रित होती है, लेकिन मुख्य परीक्षा (Mains) विश्लेषणात्मक क्षमता, उत्तर लेखन कौशल और समसामयिक घटनाओं की समझ को परखती है। यही कारण है कि करंट अफेयर्स UPSC मेन्स की आत्मा माने जाते हैं। अक्सर देखा गया है कि UPSC सीधे समाचारों से प्रश्न नहीं पूछता, बल्कि घटनाओं के पीछे छिपे गहरे मुद्दों, नीतिगत पहलुओं और नैतिक दुविधाओं को प्रश्न में बदल देता है। उदाहरण के लिए, अगर अंतरराष्ट्रीय मंच पर जलवायु परिवर्तन की चर्चा हो रही है, तो UPSC प्रश्न पूछ सकता है — “भारत की जलवायु नीति घरेलू प्राथमिकताओं और अंतरराष्ट्रीय दबावों के बीच किस प्रकार संतुलन स्थापित करती है?” यानी, हर करंट इवेंट UPSC मेन्स के लिए एक संभावित प्रश्न छुपाए बैठा है। इस लेख में हम देखेंगे कि हाल के करंट अफेयर्स किन-किन तरीकों से UPSC मेन्स के प्रश्न बन सकते हैं, और विद्यार्थी इन्हें कैसे अपनी तै...
महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (MGNREGA): 20 साल का सफर और सियासी घमासान परिचय: एक योजना जो बनी ग्रामीण भारत की धड़कन 2005 में जब भारत में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (MGNREGA) की शुरुआत हुई, तो यह ग्रामीण भारत के लिए एक क्रांतिकारी कदम था। गाँवों में बेरोजगारी और गरीबी से जूझ रहे परिवारों को न सिर्फ रोजगार का हक मिला, बल्कि एक उम्मीद की किरण भी दिखी। 2025 में इस योजना ने अपनी 20वीं सालगिरह मनाई, लेकिन इस मौके पर खुशी के साथ-साथ सियासी तू-तू मैं-मैं भी जोरों पर है। कांग्रेस ने केंद्र की मोदी सरकार पर इस योजना को कमजोर करने का आरोप लगाया है, तो सरकार का दावा है कि उसने इसे और मजबूत किया है। आइए, इस योजना की कहानी, इसकी उपलब्धियों और विवादों को सरल और रुचिकर अंदाज में समझते हैं। MGNREGA की कहानी: एक नजर में शुरुआत : 2005 में तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह और यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी की अगुवाई में शुरू हुई यह योजना ग्रामीण भारत की तस्वीर बदलने का वादा लेकर आई थी। इसका मकसद था हर ग्रामीण परिवार को साल में कम से कम 100 दिन का रो...