करंट अफेयर्स में छिपे UPSC मेन्स के संभावित प्रश्न प्रस्तावना UPSC सिविल सेवा परीक्षा केवल तथ्यों का संग्रह नहीं है, बल्कि सोचने, समझने और विश्लेषण करने की क्षमता की परीक्षा है। प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) तथ्यों और अवधारणाओं पर केंद्रित होती है, लेकिन मुख्य परीक्षा (Mains) विश्लेषणात्मक क्षमता, उत्तर लेखन कौशल और समसामयिक घटनाओं की समझ को परखती है। यही कारण है कि करंट अफेयर्स UPSC मेन्स की आत्मा माने जाते हैं। अक्सर देखा गया है कि UPSC सीधे समाचारों से प्रश्न नहीं पूछता, बल्कि घटनाओं के पीछे छिपे गहरे मुद्दों, नीतिगत पहलुओं और नैतिक दुविधाओं को प्रश्न में बदल देता है। उदाहरण के लिए, अगर अंतरराष्ट्रीय मंच पर जलवायु परिवर्तन की चर्चा हो रही है, तो UPSC प्रश्न पूछ सकता है — “भारत की जलवायु नीति घरेलू प्राथमिकताओं और अंतरराष्ट्रीय दबावों के बीच किस प्रकार संतुलन स्थापित करती है?” यानी, हर करंट इवेंट UPSC मेन्स के लिए एक संभावित प्रश्न छुपाए बैठा है। इस लेख में हम देखेंगे कि हाल के करंट अफेयर्स किन-किन तरीकों से UPSC मेन्स के प्रश्न बन सकते हैं, और विद्यार्थी इन्हें कैसे अपनी तै...
Jammu and Kashmir PSA Revocation Debate: Owaisi vs Omar Abdullah on Constitutional and Security Implications
जम्मू-कश्मीर सार्वजनिक सुरक्षा अधिनियम (पीएसए), 1978: ऐतिहासिक, राजनीतिक और मानवाधिकार दृष्टिकोण से एक समग्र विश्लेषण परिचय जम्मू-कश्मीर सार्वजनिक सुरक्षा अधिनियम (पीएसए), 1978, भारतीय विधायी इतिहास में एक विवादास्पद कानून है। इसे निवारक निरोध (preventive detention) के उद्देश्य से लागू किया गया, ताकि राज्य की सुरक्षा और सार्वजनिक व्यवस्था बनाए रखी जा सके। तत्कालीन मुख्यमंत्री शेख अब्दुल्ला ने इसे लागू किया, जो ब्रिटिश कालीन 'डिफेंस ऑफ इंडिया एक्ट, 1915' की परंपरा से प्रेरित था। यह औपनिवेशिक कानून राजनीतिक असंतोष को दबाने का साधन था और पीएसए भी समय के साथ इसी प्रवृत्ति का अनुकरण करता दिखाई दिया। विशेष रूप से 2019 में अनुच्छेद 370 की समाप्ति के बाद, पीएसए का प्रयोग राजनीतिक नेताओं, कार्यकर्ताओं और आम नागरिकों के विरुद्ध बढ़ गया। आलोचक इसे ‘कानूनहीन कानून’ कहते हैं, और इसे समाप्त करने कि बात करते हैं। जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला का मानना है कि PSA का मूल उद्देश्य राज्य की सुरक्षा के लिए अस्थायी रूप से लागू किया जाना था, लेकिन बीते वर्षों में इसे राजनीतिक असहमति को...