करंट अफेयर्स में छिपे UPSC मेन्स के संभावित प्रश्न प्रस्तावना UPSC सिविल सेवा परीक्षा केवल तथ्यों का संग्रह नहीं है, बल्कि सोचने, समझने और विश्लेषण करने की क्षमता की परीक्षा है। प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) तथ्यों और अवधारणाओं पर केंद्रित होती है, लेकिन मुख्य परीक्षा (Mains) विश्लेषणात्मक क्षमता, उत्तर लेखन कौशल और समसामयिक घटनाओं की समझ को परखती है। यही कारण है कि करंट अफेयर्स UPSC मेन्स की आत्मा माने जाते हैं। अक्सर देखा गया है कि UPSC सीधे समाचारों से प्रश्न नहीं पूछता, बल्कि घटनाओं के पीछे छिपे गहरे मुद्दों, नीतिगत पहलुओं और नैतिक दुविधाओं को प्रश्न में बदल देता है। उदाहरण के लिए, अगर अंतरराष्ट्रीय मंच पर जलवायु परिवर्तन की चर्चा हो रही है, तो UPSC प्रश्न पूछ सकता है — “भारत की जलवायु नीति घरेलू प्राथमिकताओं और अंतरराष्ट्रीय दबावों के बीच किस प्रकार संतुलन स्थापित करती है?” यानी, हर करंट इवेंट UPSC मेन्स के लिए एक संभावित प्रश्न छुपाए बैठा है। इस लेख में हम देखेंगे कि हाल के करंट अफेयर्स किन-किन तरीकों से UPSC मेन्स के प्रश्न बन सकते हैं, और विद्यार्थी इन्हें कैसे अपनी तै...
भारत–अमेरिका 10 वर्षीय रक्षा ढांचा समझौता: इंडो-पैसिफिक स्थिरता के लिए रणनीतिक अनिवार्यता परिचय भू-राजनीतिक प्रतिस्पर्धा के तीव्र होते दौर और बदलते वैश्विक शक्ति-संतुलन के बीच, 31 अक्टूबर 2025 को मलेशिया के कुआलालंपुर में भारत और अमेरिका के बीच हस्ताक्षरित 10 वर्षीय “प्रमुख रक्षा साझेदारी ढांचा समझौता” (Framework for Major Defense Partnership) , दोनों देशों के द्विपक्षीय संबंधों में एक ऐतिहासिक मोड़ का प्रतीक है। यह समझौता, जिस पर भारतीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और अमेरिकी रक्षा सचिव पीट हेगसेथ ने आसियान रक्षा मंत्रियों की बैठक-प्लस (ADMM-Plus) के इतर हस्ताक्षर किए, केवल एक औपचारिक कूटनीतिक दस्तावेज नहीं है, बल्कि यह भारत की “Act East Policy” और अमेरिका की Indo-Pacific Strategy के बीच रणनीतिक सामंजस्य का सजीव उदाहरण है। यह समझौता न केवल रक्षा सहयोग को संस्थागत रूप देता है, बल्कि उभरती प्रौद्योगिकियों, औद्योगिक साझेदारी, और क्षेत्रीय स्थिरता के नए अध्याय की शुरुआत करता है — वह भी भारत की रणनीतिक स्वायत्तता को बनाए रखते हुए। ऐतिहासिक पृष्ठभूमि भारत–अमेरिका रक्षा संबंधों की या...