करंट अफेयर्स में छिपे UPSC मेन्स के संभावित प्रश्न प्रस्तावना UPSC सिविल सेवा परीक्षा केवल तथ्यों का संग्रह नहीं है, बल्कि सोचने, समझने और विश्लेषण करने की क्षमता की परीक्षा है। प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) तथ्यों और अवधारणाओं पर केंद्रित होती है, लेकिन मुख्य परीक्षा (Mains) विश्लेषणात्मक क्षमता, उत्तर लेखन कौशल और समसामयिक घटनाओं की समझ को परखती है। यही कारण है कि करंट अफेयर्स UPSC मेन्स की आत्मा माने जाते हैं। अक्सर देखा गया है कि UPSC सीधे समाचारों से प्रश्न नहीं पूछता, बल्कि घटनाओं के पीछे छिपे गहरे मुद्दों, नीतिगत पहलुओं और नैतिक दुविधाओं को प्रश्न में बदल देता है। उदाहरण के लिए, अगर अंतरराष्ट्रीय मंच पर जलवायु परिवर्तन की चर्चा हो रही है, तो UPSC प्रश्न पूछ सकता है — “भारत की जलवायु नीति घरेलू प्राथमिकताओं और अंतरराष्ट्रीय दबावों के बीच किस प्रकार संतुलन स्थापित करती है?” यानी, हर करंट इवेंट UPSC मेन्स के लिए एक संभावित प्रश्न छुपाए बैठा है। इस लेख में हम देखेंगे कि हाल के करंट अफेयर्स किन-किन तरीकों से UPSC मेन्स के प्रश्न बन सकते हैं, और विद्यार्थी इन्हें कैसे अपनी तै...
संयुक्त राष्ट्र में सुधार की आवश्यकता: 1945 से 2025 की ओर (An Academic Analysis of the Need for UN Reforms in the 21st Century) परिचय संयुक्त राष्ट्र (United Nations – UN) की स्थापना 24 अक्टूबर 1945 को द्वितीय विश्व युद्ध की भयावहता के बाद एक ऐसे वैश्विक मंच के रूप में की गई थी, जो अंतरराष्ट्रीय शांति, सुरक्षा, विकास और मानवाधिकारों के संरक्षण को सुनिश्चित करे। उस समय यह संस्था एक नई आशा का प्रतीक थी—एक ऐसे विश्व की, जो संवाद और सहयोग से विवादों का समाधान खोजेगा। किन्तु 80 वर्षों के उपरांत, 2025 के वैश्विक परिदृश्य में यह प्रश्न बार-बार उठ रहा है कि क्या संयुक्त राष्ट्र अब भी अपनी मूल भावना और उद्देश्य के अनुरूप कार्य कर पा रहा है? क्या इसकी संरचना, निर्णय-प्रक्रिया और शक्ति-संतुलन 21वीं सदी की वास्तविकताओं को प्रतिबिंबित करते हैं? भारत के विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने 16 अक्टूबर 2025 को इस प्रश्न को मुखर करते हुए कहा कि “संयुक्त राष्ट्र की संरचना 1945 की है, जबकि विश्व अब 2025 की जटिलताओं में जी रहा है।” उनका यह कथन केवल भारत का दृष्टिकोण नहीं, बल्कि उस सामूहिक वैश्विक असंतोष...