करंट अफेयर्स में छिपे UPSC मेन्स के संभावित प्रश्न प्रस्तावना UPSC सिविल सेवा परीक्षा केवल तथ्यों का संग्रह नहीं है, बल्कि सोचने, समझने और विश्लेषण करने की क्षमता की परीक्षा है। प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) तथ्यों और अवधारणाओं पर केंद्रित होती है, लेकिन मुख्य परीक्षा (Mains) विश्लेषणात्मक क्षमता, उत्तर लेखन कौशल और समसामयिक घटनाओं की समझ को परखती है। यही कारण है कि करंट अफेयर्स UPSC मेन्स की आत्मा माने जाते हैं। अक्सर देखा गया है कि UPSC सीधे समाचारों से प्रश्न नहीं पूछता, बल्कि घटनाओं के पीछे छिपे गहरे मुद्दों, नीतिगत पहलुओं और नैतिक दुविधाओं को प्रश्न में बदल देता है। उदाहरण के लिए, अगर अंतरराष्ट्रीय मंच पर जलवायु परिवर्तन की चर्चा हो रही है, तो UPSC प्रश्न पूछ सकता है — “भारत की जलवायु नीति घरेलू प्राथमिकताओं और अंतरराष्ट्रीय दबावों के बीच किस प्रकार संतुलन स्थापित करती है?” यानी, हर करंट इवेंट UPSC मेन्स के लिए एक संभावित प्रश्न छुपाए बैठा है। इस लेख में हम देखेंगे कि हाल के करंट अफेयर्स किन-किन तरीकों से UPSC मेन्स के प्रश्न बन सकते हैं, और विद्यार्थी इन्हें कैसे अपनी तै...
रवींद्रनाथ टैगोर: मानवता, सौहार्द और सभ्यता के शाश्वत संदेशवाहक प्रस्तावना: एक युगदृष्टा की प्रासंगिकता आज की दुनिया, जहां सामाजिक ध्रुवीकरण, पर्यावरणीय संकट और संकीर्ण राष्ट्रवाद तेजी से बढ़ रहे हैं, हमें ऐसे विचारकों की आवश्यकता है जो मानवता को एकजुट करने वाले मूल्यों की बात करें। रवींद्रनाथ टैगोर (1861–1941)—कवि, दार्शनिक, शिक्षाविद्, और साहित्य में पहले गैर-यूरोपीय नोबेल पुरस्कार विजेता—ऐसे ही युगदृष्टा थे। उनकी रचनाएँ, जैसे गीतांजलि, राष्ट्रवाद, और घरे बाइरे, केवल साहित्यिक कृतियाँ नहीं, बल्कि मानवता, नैतिकता और सांस्कृतिक एकता के लिए एक जीवंत घोषणापत्र हैं। टैगोर का दर्शन आज भी भारत और विश्व के सामने खड़ी चुनौतियों—जैसे सामाजिक असमानता, पर्यावरणीय विनाश, और वैश्विक तनाव—के लिए समाधान सुझाता है। यह लेख टैगोर के विचारों को समकालीन संदर्भों में विश्लेषित करता है, जो UPSC जैसे मंचों पर गहन चिंतन की माँग करता है। राष्ट्रवाद पर टैगोर की दूरदृष्टि: सीमाओं से परे एक दृष्टिकोण टैगोर का राष्ट्रवाद पर विचार आज भी उतना ही क्रांतिकारी है, जितना 20वीं सदी की शुरुआत में था। जब भारत औपनिवेशिक शा...