सत्यकथा: सरहद की एक माँ भारत-पाक सीमा पर माँ-बेटे की जुदाई: एक मर्मस्पर्शी मानवीय संकट अटारी बॉर्डर पर ठंडी हवाएँ चल रही थीं, पर फ़रहीन की आँखों से गर्म आँसुओं की धार थमने का नाम नहीं ले रही थी। उसके कांपते हाथों में 18 महीने का मासूम बेटा सिकुड़ा हुआ था, जैसे उसे भी पता हो कि कुछ अनहोनी होने वाली है। सिर पर दुपट्टा था, पर चेहरे पर मातृत्व की वेदना ने जैसे सारी दुनिया की नज़रों को थाम रखा था। "उतर जा बेटा... उतर जा," — सास सादिया की आवाज़ रिक्शे के भीतर से आई, लेकिन वह आवाज़ न तो कठोर थी, न ही साधारण। वह टूटे हुए रिश्तों की वह कराह थी जिसे सिर्फ़ एक माँ ही समझ सकती है। रिक्शा भारत की ओर था, पर फ़रहीन को पाकिस्तान जाना था—अपनी जन्मभूमि, पर अब बेगानी सी लगने लगी थी। फ़रहीन, प्रयागराज के इमरान से दो साल पहले ब्याही गई थी। प्यार हुआ, निकाह हुआ और फिर इस प्यार की निशानी—एक नन्हा बेटा हुआ। बेटे का नाम उन्होंने आरिफ़ रखा था, जिसका मतलब होता है—“जानने वाला, पहचानने वाला।” लेकिन आज वो नन्हा आरिफ़ समझ नहीं पा रहा था कि उसकी माँ उसे क्यों छोड़ रही है। "मैं माँ हूँ... कोई अपराधी नही...
✅ ऑपरेशन ब्रह्म: भारत का मानवीय राहत अभियान और क्षेत्रीय नेतृत्व की भूमिका 🔹 भूमिका मार्च 2025 में म्यांमार में आए 7.2 तीव्रता के विनाशकारी भूकंप ने देश को गहरे मानवीय संकट में डाल दिया। इस आपदा में 2 000 से अधिक लोग मारे गए , हजारों घायल हुए और लाखों लोग बेघर हो गए। बुनियादी ढांचा ध्वस्त हो गया और प्रभावित क्षेत्रों में खाद्य, जल और चिकित्सा संकट उत्पन्न हो गया। भारत ने इस आपदा के जवाब में ऑपरेशन ब्रह्म (Operation Brahma) नामक एक व्यापक मानवीय राहत अभियान शुरू किया। इसके तहत, भारतीय नौसेना (Indian Navy Relief Mission) और राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF) ने म्यांमार में राहत और बचाव अभियान चलाया। भारत का यह कदम Neighbourhood First Policy (पड़ोसी प्रथम नीति) का परिचायक था, जिसके माध्यम से भारत ने अपनी क्षेत्रीय नेतृत्व क्षमता (India’s Regional Leadership) और मानवीय संवेदनशीलता का प्रदर्शन किया। 🔹 म्यांमार भूकंप 2025: तबाही का मंजर मार्च 2025 में म्यांमार के सगाइंग क्षेत्र में 7.2 तीव्रता का भूकंप (Myanmar Earthquake 2025) आया, जिसने देश के प्रमुख शहरों और ग्रामीण इल...