सत्यकथा: सरहद की एक माँ भारत-पाक सीमा पर माँ-बेटे की जुदाई: एक मर्मस्पर्शी मानवीय संकट अटारी बॉर्डर पर ठंडी हवाएँ चल रही थीं, पर फ़रहीन की आँखों से गर्म आँसुओं की धार थमने का नाम नहीं ले रही थी। उसके कांपते हाथों में 18 महीने का मासूम बेटा सिकुड़ा हुआ था, जैसे उसे भी पता हो कि कुछ अनहोनी होने वाली है। सिर पर दुपट्टा था, पर चेहरे पर मातृत्व की वेदना ने जैसे सारी दुनिया की नज़रों को थाम रखा था। "उतर जा बेटा... उतर जा," — सास सादिया की आवाज़ रिक्शे के भीतर से आई, लेकिन वह आवाज़ न तो कठोर थी, न ही साधारण। वह टूटे हुए रिश्तों की वह कराह थी जिसे सिर्फ़ एक माँ ही समझ सकती है। रिक्शा भारत की ओर था, पर फ़रहीन को पाकिस्तान जाना था—अपनी जन्मभूमि, पर अब बेगानी सी लगने लगी थी। फ़रहीन, प्रयागराज के इमरान से दो साल पहले ब्याही गई थी। प्यार हुआ, निकाह हुआ और फिर इस प्यार की निशानी—एक नन्हा बेटा हुआ। बेटे का नाम उन्होंने आरिफ़ रखा था, जिसका मतलब होता है—“जानने वाला, पहचानने वाला।” लेकिन आज वो नन्हा आरिफ़ समझ नहीं पा रहा था कि उसकी माँ उसे क्यों छोड़ रही है। "मैं माँ हूँ... कोई अपराधी नही...
सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों की संपत्ति का सार्वजनिक होना: पारदर्शिता और जवाबदेही की दिशा में एक बड़ा कदम भूमिका भारतीय लोकतंत्र में न्यायपालिका की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। न्यायपालिका की स्वतंत्रता और निष्पक्षता बनाए रखने के लिए उसमें पारदर्शिता और जवाबदेही आवश्यक है। हाल ही में, सुप्रीम कोर्ट के सभी 33 न्यायाधीशों ने अपनी संपत्ति का विवरण सार्वजनिक करने का निर्णय लिया है। यह निर्णय न केवल न्यायपालिका में पारदर्शिता को बढ़ावा देगा, बल्कि जनता के विश्वास को भी मजबूत करेगा। यह कदम लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा और सुशासन की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल के रूप में देखा जा सकता है। न्यायपालिका में पारदर्शिता का महत्व जनता का विश्वास बढ़ाना: जब न्यायाधीश अपनी संपत्ति का विवरण सार्वजनिक करेंगे, तो इससे न्यायपालिका के प्रति जनता का विश्वास और अधिक मजबूत होगा। लोगों को यह महसूस होगा कि न्यायाधीश भी अन्य सार्वजनिक अधिकारियों की तरह जवाबदेह हैं। भ्रष्टाचार पर नियंत्रण: पारदर्शिता भ्रष्टाचार को रोकने का एक प्रभावी तरीका है। न्यायाधीशों की संपत्ति सार्वजनिक होने से यह सुनिश्चित होगा कि वे...