करंट अफेयर्स में छिपे UPSC मेन्स के संभावित प्रश्न प्रस्तावना UPSC सिविल सेवा परीक्षा केवल तथ्यों का संग्रह नहीं है, बल्कि सोचने, समझने और विश्लेषण करने की क्षमता की परीक्षा है। प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) तथ्यों और अवधारणाओं पर केंद्रित होती है, लेकिन मुख्य परीक्षा (Mains) विश्लेषणात्मक क्षमता, उत्तर लेखन कौशल और समसामयिक घटनाओं की समझ को परखती है। यही कारण है कि करंट अफेयर्स UPSC मेन्स की आत्मा माने जाते हैं। अक्सर देखा गया है कि UPSC सीधे समाचारों से प्रश्न नहीं पूछता, बल्कि घटनाओं के पीछे छिपे गहरे मुद्दों, नीतिगत पहलुओं और नैतिक दुविधाओं को प्रश्न में बदल देता है। उदाहरण के लिए, अगर अंतरराष्ट्रीय मंच पर जलवायु परिवर्तन की चर्चा हो रही है, तो UPSC प्रश्न पूछ सकता है — “भारत की जलवायु नीति घरेलू प्राथमिकताओं और अंतरराष्ट्रीय दबावों के बीच किस प्रकार संतुलन स्थापित करती है?” यानी, हर करंट इवेंट UPSC मेन्स के लिए एक संभावित प्रश्न छुपाए बैठा है। इस लेख में हम देखेंगे कि हाल के करंट अफेयर्स किन-किन तरीकों से UPSC मेन्स के प्रश्न बन सकते हैं, और विद्यार्थी इन्हें कैसे अपनी तै...
बिहार में 65 लाख मतदाताओं का गायब होना: लोकतंत्र पर सवालों का साया स्वर: जब 65 लाख आवाजें मतदाता सूची से गायब हो जाएँ, तो क्या लोकतंत्र की धड़कन कमजोर नहीं पड़ती? भारत का लोकतंत्र अपनी चुनावी प्रक्रिया की मजबूती से चमकता है। यह वह नींव है, जिस पर संविधान निर्माताओं ने जनता की संप्रभुता का भव्य भवन खड़ा किया। लेकिन बिहार में हालिया Special Intensive Revision (SIR) प्रक्रिया ने इस नींव को हिलाकर रख दिया है। ड्राफ्ट मतदाता सूची से 65 लाख नामों का विलोपन कोई साधारण प्रशासनिक चूक नहीं, बल्कि लोकतंत्र के विश्वास को चुनौती देने वाला संकट है। यह आंकड़ा सिर्फ कागजी नहीं, बल्कि उन लाखों नागरिकों की आवाज है, जो अब मतपेटी तक पहुँचने से वंचित हो सकते हैं। आंकड़ों का अंधेरा चुनाव आयोग (ECI) का दावा है कि: 22 लाख नाम मृतकों के थे, 36 लाख लोग प्रवास कर गए या अनुपलब्ध थे, लाख नाम डुप्लिकेट पाए गए। ये आंकड़े सुनने में व्यवस्थित लगते हैं, लेकिन सवाल यह है कि क्या इतने बड़े पैमाने पर नाम हटाने से पहले हर मतदाता को नोटिस और सुनवाई का मौका दिया गया? 65 लाख नामों का मतलब है कई लोकसभा क्षेत...