संघर्ष से सेवा तक: UPSC 2025 टॉपर शक्ति दुबे की प्रेरणादायक कहानी प्रयागराज की साधारण सी गलियों से निकलकर देश की सबसे प्रतिष्ठित परीक्षा UPSC सिविल सेवा 2024 (परिणाम अप्रैल 2025) में ऑल इंडिया रैंक 1 हासिल करने वाली शक्ति दुबे की कहानी किसी प्रेरणादायक उपन्यास से कम नहीं है। बायोकैमिस्ट्री में स्नातक और परास्नातक, शक्ति ने सात साल के अथक परिश्रम, असफलताओं को गले लगाने और अडिग संकल्प के बल पर यह ऐतिहासिक मुकाम हासिल किया। उनकी कहानी न केवल UPSC अभ्यर्थियों के लिए, बल्कि हर उस व्यक्ति के लिए प्रेरणा है जो अपने सपनों को सच करने की राह पर चल रहा है। आइए, उनके जीवन, संघर्ष, रणनीति और सेवा की भावना को और करीब से जानें। पारिवारिक और शैक्षणिक पृष्ठभूमि: नींव की मजबूती शक्ति दुबे का जन्म प्रयागराज में एक ऐसे परिवार में हुआ, जहां शिक्षा, अनुशासन और देशसेवा को सर्वोपरि माना जाता था। उनके पिता एक पुलिस अधिकारी हैं, जिनके जीवन से शक्ति ने बचपन से ही कर्तव्यनिष्ठा और समाज के प्रति जवाबदेही का पाठ सीखा। माँ का स्नेह और परिवार का अटूट समर्थन उनकी ताकत का आधार बना। शक्ति स्वयं अपनी सफलता का श्रेय अपने ...
दोषी राजनेताओं पर आजीवन प्रतिबंध का प्रश्न: लोकतंत्र, न्याय और संविधान के मध्य संतुलन की तलाश भारत एक विशाल लोकतांत्रिक देश है, जहाँ विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका की त्रयी के बीच सत्ता का संतुलन लोकतंत्र की मूल भावना को जीवित रखता है। इसी लोकतांत्रिक प्रक्रिया का एक महत्वपूर्ण पहलू है जनता द्वारा अपने प्रतिनिधियों का चयन। किंतु जब जनता द्वारा चुने गए प्रतिनिधि ही किसी आपराधिक मामले में दोषी सिद्ध हो जाते हैं, तो यह प्रश्न उठना स्वाभाविक है कि क्या उन्हें भविष्य में चुनाव लड़ने की अनुमति दी जानी चाहिए? हाल ही में सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई, जिसमें दोषी सांसदों और विधायकों पर आजीवन प्रतिबंध लगाने की माँग की गई थी। केंद्र सरकार ने इस याचिका का विरोध करते हुए कहा कि यह संवैधानिक सिद्धांतों के अनुरूप नहीं है और वर्तमान में निर्धारित छह वर्षों की अयोग्यता को बढ़ाकर आजीवन प्रतिबंध लगाना “अनुचित रूप से कठोर” होगा। इस मुद्दे पर उठी बहस लोकतंत्र, न्याय और संविधान के बीच संतुलन की आवश्यकता को रेखांकित करती है। 1. पृष्ठभूमि और महत्त्व भारतीय लोकतंत्र विश्व के सबसे बड़े लोकत...