सत्यकथा: सरहद की एक माँ भारत-पाक सीमा पर माँ-बेटे की जुदाई: एक मर्मस्पर्शी मानवीय संकट अटारी बॉर्डर पर ठंडी हवाएँ चल रही थीं, पर फ़रहीन की आँखों से गर्म आँसुओं की धार थमने का नाम नहीं ले रही थी। उसके कांपते हाथों में 18 महीने का मासूम बेटा सिकुड़ा हुआ था, जैसे उसे भी पता हो कि कुछ अनहोनी होने वाली है। सिर पर दुपट्टा था, पर चेहरे पर मातृत्व की वेदना ने जैसे सारी दुनिया की नज़रों को थाम रखा था। "उतर जा बेटा... उतर जा," — सास सादिया की आवाज़ रिक्शे के भीतर से आई, लेकिन वह आवाज़ न तो कठोर थी, न ही साधारण। वह टूटे हुए रिश्तों की वह कराह थी जिसे सिर्फ़ एक माँ ही समझ सकती है। रिक्शा भारत की ओर था, पर फ़रहीन को पाकिस्तान जाना था—अपनी जन्मभूमि, पर अब बेगानी सी लगने लगी थी। फ़रहीन, प्रयागराज के इमरान से दो साल पहले ब्याही गई थी। प्यार हुआ, निकाह हुआ और फिर इस प्यार की निशानी—एक नन्हा बेटा हुआ। बेटे का नाम उन्होंने आरिफ़ रखा था, जिसका मतलब होता है—“जानने वाला, पहचानने वाला।” लेकिन आज वो नन्हा आरिफ़ समझ नहीं पा रहा था कि उसकी माँ उसे क्यों छोड़ रही है। "मैं माँ हूँ... कोई अपराधी नही...
✍️ अकेलापन: स्वास्थ्य पर प्रभाव, सामाजिक चुनौतियाँ और समाधान। (UPSC GS Paper 2 & 4 के दृष्टिकोण से विश्लेषणात्मक लेख) ✅ भूमिका: आधुनिक जीवनशैली में अकेलापन एक गंभीर सामाजिक और स्वास्थ्य समस्या बनता जा रहा है। व्यक्ति चाहे भीड़ में हो या घर में, सामाजिक संपर्क की कमी उसे मानसिक और शारीरिक रूप से प्रभावित करती है। अकेलापन न केवल समय से पहले मृत्यु का जोखिम बढ़ाता है, बल्कि यह तनाव, अवसाद, मोटापा, हृदय रोग और अन्य गंभीर बीमारियों को भी जन्म दे सकता है। विशेष रूप से भारत जैसे समाज में, जहाँ परिवार और समुदाय का महत्वपूर्ण स्थान है, अकेलापन एक सामाजिक चुनौती के रूप में उभर रहा है। यह विषय UPSC GS Paper 2 (Governance & Social Issues) और GS Paper 4 (Ethics & Society) में महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह सामाजिक न्याय, मानसिक स्वास्थ्य नीति और समाज में नैतिक मूल्यों से संबंधित है। 🔥 1. अकेलापन: परिभाषा और स्वरूप अकेलापन का अर्थ शारीरिक रूप से अलग-थलग होना नहीं है, बल्कि यह एक मानसिक स्थिति है, जहाँ व्यक्ति सामाजिक रूप से कटा हुआ महसूस करता है। प्रकार: 🔹 स्थिति आधारित अकेल...