करंट अफेयर्स में छिपे UPSC मेन्स के संभावित प्रश्न प्रस्तावना UPSC सिविल सेवा परीक्षा केवल तथ्यों का संग्रह नहीं है, बल्कि सोचने, समझने और विश्लेषण करने की क्षमता की परीक्षा है। प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) तथ्यों और अवधारणाओं पर केंद्रित होती है, लेकिन मुख्य परीक्षा (Mains) विश्लेषणात्मक क्षमता, उत्तर लेखन कौशल और समसामयिक घटनाओं की समझ को परखती है। यही कारण है कि करंट अफेयर्स UPSC मेन्स की आत्मा माने जाते हैं। अक्सर देखा गया है कि UPSC सीधे समाचारों से प्रश्न नहीं पूछता, बल्कि घटनाओं के पीछे छिपे गहरे मुद्दों, नीतिगत पहलुओं और नैतिक दुविधाओं को प्रश्न में बदल देता है। उदाहरण के लिए, अगर अंतरराष्ट्रीय मंच पर जलवायु परिवर्तन की चर्चा हो रही है, तो UPSC प्रश्न पूछ सकता है — “भारत की जलवायु नीति घरेलू प्राथमिकताओं और अंतरराष्ट्रीय दबावों के बीच किस प्रकार संतुलन स्थापित करती है?” यानी, हर करंट इवेंट UPSC मेन्स के लिए एक संभावित प्रश्न छुपाए बैठा है। इस लेख में हम देखेंगे कि हाल के करंट अफेयर्स किन-किन तरीकों से UPSC मेन्स के प्रश्न बन सकते हैं, और विद्यार्थी इन्हें कैसे अपनी तै...
From MGNREGA to VB-G RAM G: India’s Shift from Rights-Based Rural Employment to a Development Mission
2025 का अंत: MGNREGA से VB-G RAM G एक्ट तक — ग्रामीण रोजगार गारंटी में नया विवाद और सत्ता-विपक्ष की जंग भूमिका भारत की ग्रामीण अर्थव्यवस्था में रोज़गार सुरक्षा हमेशा से एक निर्णायक नीति-क्षेत्र रही है। विशेष रूप से निम्न-आय, कृषि-आश्रित और श्रम-प्रधान समाज में रोज़गार गारंटी का विचार केवल आर्थिक नहीं, बल्कि सामाजिक न्याय, गरिमा और अधिकार से भी जुड़ा माना गया है। इसी पृष्ठभूमि में 2005 में लागू हुआ महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (MGNREGA) दो दशकों तक ग्रामीण भारत की सामाजिक सुरक्षा का एक प्रमुख स्तंभ बना रहा। लेकिन 2025 के अंतिम महीनों में इस व्यवस्था ने एक बड़ा मोड़ लिया, जब केंद्र सरकार ने MGNREGA को निरस्त कर उसकी जगह विकसित भारत – ग्रामीण रोजगार और आजीविका मिशन गारंटी (VB-G RAM G एक्ट, 2025) लागू कर दिया। यह बदलाव केवल एक प्रशासनिक पुनर्गठन नहीं, बल्कि एक राजनीतिक और वैचारिक टकराव का नया मंच बन गया है। सरकार इसे सुधार की दिशा में बड़ा कदम मानती है, जबकि विपक्ष इसे गरीबों के अधिकारों और गांधीवादी परंपरा पर हमला बता रहा है। MGNREGA: सामाजिक अधिकार से विकास न...