करंट अफेयर्स में छिपे UPSC मेन्स के संभावित प्रश्न प्रस्तावना UPSC सिविल सेवा परीक्षा केवल तथ्यों का संग्रह नहीं है, बल्कि सोचने, समझने और विश्लेषण करने की क्षमता की परीक्षा है। प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) तथ्यों और अवधारणाओं पर केंद्रित होती है, लेकिन मुख्य परीक्षा (Mains) विश्लेषणात्मक क्षमता, उत्तर लेखन कौशल और समसामयिक घटनाओं की समझ को परखती है। यही कारण है कि करंट अफेयर्स UPSC मेन्स की आत्मा माने जाते हैं। अक्सर देखा गया है कि UPSC सीधे समाचारों से प्रश्न नहीं पूछता, बल्कि घटनाओं के पीछे छिपे गहरे मुद्दों, नीतिगत पहलुओं और नैतिक दुविधाओं को प्रश्न में बदल देता है। उदाहरण के लिए, अगर अंतरराष्ट्रीय मंच पर जलवायु परिवर्तन की चर्चा हो रही है, तो UPSC प्रश्न पूछ सकता है — “भारत की जलवायु नीति घरेलू प्राथमिकताओं और अंतरराष्ट्रीय दबावों के बीच किस प्रकार संतुलन स्थापित करती है?” यानी, हर करंट इवेंट UPSC मेन्स के लिए एक संभावित प्रश्न छुपाए बैठा है। इस लेख में हम देखेंगे कि हाल के करंट अफेयर्स किन-किन तरीकों से UPSC मेन्स के प्रश्न बन सकते हैं, और विद्यार्थी इन्हें कैसे अपनी तै...
एससीओ शिखर सम्मेलन और भारतीय विदेश नीति का बदलता संतुलन प्रस्तावना भारत की विदेश नीति ऐतिहासिक रूप से "रणनीतिक स्वायत्तता" और "संतुलन" के सिद्धांतों पर आधारित रही है। किंतु हाल के वर्षों में यह नीति अमेरिका और पश्चिमी देशों की ओर झुकी हुई दिखाई दी थी। ऐसे समय में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का सात वर्षों बाद चीन की यात्रा करना और शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर सम्मेलन में सक्रिय भागीदारी यह संकेत देता है कि भारत अपनी विदेश नीति में पुनः संतुलन साधने की दिशा में बढ़ रहा है। यह बदलाव न केवल एशिया बल्कि वैश्विक शक्ति संतुलन की राजनीति में भी महत्वपूर्ण है। संदर्भ और पृष्ठभूमि 2020 के गलवान संघर्ष और उसके बाद बने अविश्वास के माहौल ने भारत-चीन संबंधों को गहरे संकट में डाल दिया था। लंबे समय तक वार्ता और सैन्य स्तर पर पीछे हटने की प्रक्रिया के बाद, 2024 से दोनों देशों ने संबंध सामान्य करने की पहल शुरू की। इस पृष्ठभूमि में तियानजिन में प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति शी जिनपिंग की भेंट एक ऐतिहासिक क्षण के रूप में देखी जा रही है। यह पहली बार था जब दोनों नेता खुले तौर पर ...