करंट अफेयर्स में छिपे UPSC मेन्स के संभावित प्रश्न प्रस्तावना UPSC सिविल सेवा परीक्षा केवल तथ्यों का संग्रह नहीं है, बल्कि सोचने, समझने और विश्लेषण करने की क्षमता की परीक्षा है। प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) तथ्यों और अवधारणाओं पर केंद्रित होती है, लेकिन मुख्य परीक्षा (Mains) विश्लेषणात्मक क्षमता, उत्तर लेखन कौशल और समसामयिक घटनाओं की समझ को परखती है। यही कारण है कि करंट अफेयर्स UPSC मेन्स की आत्मा माने जाते हैं। अक्सर देखा गया है कि UPSC सीधे समाचारों से प्रश्न नहीं पूछता, बल्कि घटनाओं के पीछे छिपे गहरे मुद्दों, नीतिगत पहलुओं और नैतिक दुविधाओं को प्रश्न में बदल देता है। उदाहरण के लिए, अगर अंतरराष्ट्रीय मंच पर जलवायु परिवर्तन की चर्चा हो रही है, तो UPSC प्रश्न पूछ सकता है — “भारत की जलवायु नीति घरेलू प्राथमिकताओं और अंतरराष्ट्रीय दबावों के बीच किस प्रकार संतुलन स्थापित करती है?” यानी, हर करंट इवेंट UPSC मेन्स के लिए एक संभावित प्रश्न छुपाए बैठा है। इस लेख में हम देखेंगे कि हाल के करंट अफेयर्स किन-किन तरीकों से UPSC मेन्स के प्रश्न बन सकते हैं, और विद्यार्थी इन्हें कैसे अपनी तै...
US Soybean Crisis: How Trump’s Tariff War with China Became a Political Nightmare for American Farmers
अमेरिकी सोयाबीन किसान — ‘अमेरिका फर्स्ट’ की कीमत अंतरराष्ट्रीय व्यापार में हर कदम का एक प्रतिघात होता है — और आज इसका सबसे सटीक उदाहरण अमेरिकी सोयाबीन किसान हैं। डोनाल्ड ट्रंप की “अमेरिका फर्स्ट” नीति के तहत चीन के खिलाफ लगाए गए टैरिफ का प्रतिफल अब अमेरिका के कृषि क्षेत्र को झेलना पड़ रहा है। वैश्विक व्यापार युद्ध की यह आग अमेरिकी किसानों की जमीन तक पहुंच चुकी है, और इसका राजनीतिक, आर्थिक और कूटनीतिक असर आने वाले महीनों में गहराई से महसूस किया जाएगा। 1. व्यापार युद्ध की जड़: राजनीतिक लाभ या आर्थिक भूल? ट्रंप प्रशासन ने अप्रैल 2025 में चीन से आने वाले औद्योगिक और इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों पर भारी आयात शुल्क लगाकर “अमेरिका को आत्मनिर्भर” बनाने का नारा दिया। उद्देश्य था — घरेलू उद्योगों को बढ़ावा देना और चीन की व्यापारिक बढ़त को रोकना। परंतु, इस रणनीति का सबसे बड़ा शिकार वे बन गए जो इस खेल में कभी प्रत्यक्ष पक्ष ही नहीं थे — अमेरिकी किसान। चीन ने अमेरिकी सोयाबीन, मक्का और सूअर के मांस पर टैरिफ बढ़ा दिए, जिससे अमेरिकी कृषि निर्यात का एक बड़ा हिस्सा ठप हो गया। यह विडंबना ही है कि जो नीति ...