करंट अफेयर्स में छिपे UPSC मेन्स के संभावित प्रश्न प्रस्तावना UPSC सिविल सेवा परीक्षा केवल तथ्यों का संग्रह नहीं है, बल्कि सोचने, समझने और विश्लेषण करने की क्षमता की परीक्षा है। प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) तथ्यों और अवधारणाओं पर केंद्रित होती है, लेकिन मुख्य परीक्षा (Mains) विश्लेषणात्मक क्षमता, उत्तर लेखन कौशल और समसामयिक घटनाओं की समझ को परखती है। यही कारण है कि करंट अफेयर्स UPSC मेन्स की आत्मा माने जाते हैं। अक्सर देखा गया है कि UPSC सीधे समाचारों से प्रश्न नहीं पूछता, बल्कि घटनाओं के पीछे छिपे गहरे मुद्दों, नीतिगत पहलुओं और नैतिक दुविधाओं को प्रश्न में बदल देता है। उदाहरण के लिए, अगर अंतरराष्ट्रीय मंच पर जलवायु परिवर्तन की चर्चा हो रही है, तो UPSC प्रश्न पूछ सकता है — “भारत की जलवायु नीति घरेलू प्राथमिकताओं और अंतरराष्ट्रीय दबावों के बीच किस प्रकार संतुलन स्थापित करती है?” यानी, हर करंट इवेंट UPSC मेन्स के लिए एक संभावित प्रश्न छुपाए बैठा है। इस लेख में हम देखेंगे कि हाल के करंट अफेयर्स किन-किन तरीकों से UPSC मेन्स के प्रश्न बन सकते हैं, और विद्यार्थी इन्हें कैसे अपनी तै...
अब्राहम समझौता: मध्य-पूर्व में शांति का सपना और यथार्थ प्रस्तावना मध्य-पूर्व दशकों से संघर्ष, धार्मिक ध्रुवीकरण और क्षेत्रीय वर्चस्व की राजनीति का केंद्र रहा है। ऐसे परिदृश्य में 2020 का अब्राहम समझौता एक ऐतिहासिक मोड़ बनकर आया। इसने पहली बार बड़े पैमाने पर इज़रायल और अरब देशों के बीच औपचारिक संबंधों की शुरुआत की। 2025 में, पाँच साल पूरे करने के बाद यह समझौता अब अपने सबसे कठिन इम्तहान से गुजर रहा है। एक ओर यह सहयोग और आर्थिक साझेदारी का रास्ता खोलता है, दूसरी ओर फिलिस्तीनी मुद्दे और गाज़ा युद्ध ने इसकी सीमाओं को उजागर किया है। ऐतिहासिक आधार अब्राहम समझौता अचानक नहीं आया। 1979 में मिस्र-इज़रायल शांति संधि और 1994 में जॉर्डन-इज़रायल समझौते के बाद दशकों तक अरब देशों ने इज़रायल को मान्यता देने से परहेज किया। ट्रंप प्रशासन की “Prosperity for Peace” रणनीति ने इस जड़ता को तोड़ा। संयुक्त अरब अमीरात, बहरीन, मोरक्को और सूडान ने औपचारिक संबंध स्थापित किए। यह प्रक्रिया सुरक्षा, तकनीकी सहयोग, पर्यटन, और धार्मिक संवाद पर आधारित थी, जबकि फिलिस्तीनी मुद्दा साइड-लाइन पर रखा गया। पाँच वर्षों की ...