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Showing posts with the label 'जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रन’ रिपोर्ट

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Cracking UPSC Mains Through Current Affairs Analysis

करंट अफेयर्स में छिपे UPSC मेन्स के संभावित प्रश्न प्रस्तावना UPSC सिविल सेवा परीक्षा केवल तथ्यों का संग्रह नहीं है, बल्कि सोचने, समझने और विश्लेषण करने की क्षमता की परीक्षा है। प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) तथ्यों और अवधारणाओं पर केंद्रित होती है, लेकिन मुख्य परीक्षा (Mains) विश्लेषणात्मक क्षमता, उत्तर लेखन कौशल और समसामयिक घटनाओं की समझ को परखती है। यही कारण है कि  करंट अफेयर्स UPSC मेन्स की आत्मा माने जाते हैं। अक्सर देखा गया है कि UPSC सीधे समाचारों से प्रश्न नहीं पूछता, बल्कि घटनाओं के पीछे छिपे गहरे मुद्दों, नीतिगत पहलुओं और नैतिक दुविधाओं को प्रश्न में बदल देता है। उदाहरण के लिए, अगर अंतरराष्ट्रीय मंच पर जलवायु परिवर्तन की चर्चा हो रही है, तो UPSC प्रश्न पूछ सकता है —  “भारत की जलवायु नीति घरेलू प्राथमिकताओं और अंतरराष्ट्रीय दबावों के बीच किस प्रकार संतुलन स्थापित करती है?” यानी, हर करंट इवेंट UPSC मेन्स के लिए एक संभावित प्रश्न छुपाए बैठा है। इस लेख में हम देखेंगे कि हाल के करंट अफेयर्स किन-किन तरीकों से UPSC मेन्स के प्रश्न बन सकते हैं, और विद्यार्थी इन्हें कैसे अपनी तै...

Decline in Child Marriage in India: 69% Drop Among Girls and 72% Among Boys – Causes, Impact and the Way Forward

भारत में बाल विवाह में कमी: एक सकारात्मक सामाजिक बदलाव भारत लंबे समय से बाल विवाह की चुनौती से जूझता रहा है। यह केवल एक सामाजिक बुराई नहीं, बल्कि बच्चों के स्वास्थ्य, शिक्षा और अधिकारों का हनन करने वाला गंभीर मसला है। हाल ही में ‘जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रन’ नामक 250 से अधिक गैर-सरकारी संगठनों (NGOs) के नेटवर्क द्वारा जारी रिपोर्ट में भारत में लड़कियों के बीच बाल विवाह में 69% और लड़कों में 72% की कमी दर्ज होना इसी दिशा में सकारात्मक परिवर्तन का संकेत देता है। यह आंकड़े दर्शाते हैं कि जागरूकता, नीतिगत सुधार और सामुदायिक हस्तक्षेप मिलकर समाज में गहरी जड़ें जमा चुकी प्रथाओं को भी बदल सकते हैं। संपादकीय दृष्टि: यह बदलाव क्यों महत्वपूर्ण है बाल विवाह केवल एक परंपरा नहीं बल्कि गरीबी, लैंगिक असमानता और सामाजिक रूढ़ियों का प्रतिबिंब है। खासकर ग्रामीण और आदिवासी इलाकों में यह प्रथा बच्चों को बचपन, शिक्षा और स्वास्थ्य से वंचित करती है। लड़कियों में कम उम्र में विवाह उनके शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य पर गहरा असर डालता है—कुपोषण, कम उम्र में गर्भधारण, और घरेलू हिंसा का खतरा बढ़ता है। वहीं लड़कों पर...

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