करंट अफेयर्स में छिपे UPSC मेन्स के संभावित प्रश्न प्रस्तावना UPSC सिविल सेवा परीक्षा केवल तथ्यों का संग्रह नहीं है, बल्कि सोचने, समझने और विश्लेषण करने की क्षमता की परीक्षा है। प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) तथ्यों और अवधारणाओं पर केंद्रित होती है, लेकिन मुख्य परीक्षा (Mains) विश्लेषणात्मक क्षमता, उत्तर लेखन कौशल और समसामयिक घटनाओं की समझ को परखती है। यही कारण है कि करंट अफेयर्स UPSC मेन्स की आत्मा माने जाते हैं। अक्सर देखा गया है कि UPSC सीधे समाचारों से प्रश्न नहीं पूछता, बल्कि घटनाओं के पीछे छिपे गहरे मुद्दों, नीतिगत पहलुओं और नैतिक दुविधाओं को प्रश्न में बदल देता है। उदाहरण के लिए, अगर अंतरराष्ट्रीय मंच पर जलवायु परिवर्तन की चर्चा हो रही है, तो UPSC प्रश्न पूछ सकता है — “भारत की जलवायु नीति घरेलू प्राथमिकताओं और अंतरराष्ट्रीय दबावों के बीच किस प्रकार संतुलन स्थापित करती है?” यानी, हर करंट इवेंट UPSC मेन्स के लिए एक संभावित प्रश्न छुपाए बैठा है। इस लेख में हम देखेंगे कि हाल के करंट अफेयर्स किन-किन तरीकों से UPSC मेन्स के प्रश्न बन सकते हैं, और विद्यार्थी इन्हें कैसे अपनी तै...
Sheikh Hasina Death Sentence: Political Justice, Fair Trial Debate & Bangladesh’s Democratic Crisis (2025 Analysis)
शेख हसीना को मृत्युदंड : बांग्लादेश के राजनीतिक न्याय का एक समालोचनात्मक विश्लेषण बांग्लादेश की राजनीति ने 17 नवंबर 2025 को एक ऐसे मोड़ में प्रवेश किया जिसने पूरे दक्षिण एशिया को हिला दिया। अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण (International Crimes Tribunal–ICT) ने पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को मानवता के विरुद्ध अपराध का दोषी ठहराते हुए मृत्युदंड सुनाया। आरोप था कि जुलाई–अगस्त 2024 के छात्र–जनांदोलन पर हुए निर्मम दमन का आदेश स्वयं उन्होंने दिया। यह निर्णय न केवल बांग्लादेश के लोकतांत्रिक इतिहास में अभूतपूर्व है, बल्कि यह इस बात की भी याद दिलाता है कि सत्ता और न्याय के बीच खींची रेखा कितनी बार धुंधली हो जाती है। 1. मुकदमे की प्रक्रिया: न्याय या राजनीतिक प्रतिशोध? 1.1 गैर-हाजिरी में मुकदमा (Trial in absentia) 5 अगस्त 2024 से शेख हसीना भारत में राजनीतिक शरण लिए हुए हैं। ICT ने 1973 के अंतरराष्ट्रीय अपराध अधिनियम के तहत उनकी अनुपस्थिति में ही मुकदमा पूरा किया। तकनीकी रूप से यह प्रावधान वैध है, परंतु मृत्युदंड जैसी अंतिम सजा परिस्थितियों में यह गंभीर नैतिक और कानूनी प्रश्न उत्पन्न क...